ख़तरनाक आदत बनती कल्पनायें

ख़तरनाक आदतें बनती कल्पनाएं  •••••••••••••••••••••••••••••• 

एक स्कूल के कार्यक्रम में किसी बड़े अफसर को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था।

जब सभागार में वह भाषण देने पहुंचे तो एक कोने से सभी परिचित अतिथियों के पास गए और एक-एक करके सभी से हाथ मिलाने लगे और नमस्कार करने लगे। वहां बैठे अजनबियों से भी हाथ मिलाया, लेकिन एक व्यक्ति की ओर उन्होंने हाथ बढ़ाया तो उस ने उनका हाथ अनदेखा कर दिया, तो उन्हें ये बहुत बुरा लगा। कुछ सेकंड बाद, उन्होंने अपना हाथ वापस खींच लिया और खुद को अपमानित और उस व्यक्ति से नाराज़  महसूस करने लगे। 

सोचते रहे कि , "वो खुद को क्या समझ रहा है?" सभी ने मेरा अभिवादन स्वीकार किया, पर उसने मुझे अनदेखा किया। फ़िर अपनी जगह पर जाकर बैठने के बाद भी उनका क्रोध कम नहीं हुआ। वह बार-बार उसे देखते रहे कि वह अन्य लोगों के साथ कैसा व्यवहार कर रहा....

तभी अचानक ये एहसास हुआ… यकीनन वह व्यक्ति दृष्टिहीन था ! उसकी आँखें खुली थीं, लेकिन वह देख नहीं सकता था। जो लोग उससे हाथ मिला रहे थे, वे पहले उसे हल्के से छूते थे और फिर हाथ मिलाते थे। यह जानकर उसे अंदर से बहुत शर्मिंदगी महसूस हुई।

अंत में उसने अपने इस क्रोध और ग्लानि को अपने भाषण में इस तरह व्यक्त किया। और विषय बन गया – 

"कल्पना की ख़तरनाक आदत।"

1. कल्पना ज़हर की तरह होती है।          ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

🙋 हम महज़ अनुमान लगाते हैं,पर सत्यापन नहीं करते.......

★कोई फोन नहीं उठाता, हम मान लेते हैं कि वह हमें नज़रअंदाज कर रहा है।

★कोई हमें आर्थिक मदद नहीं करता, तो हम उसे कंजूस और स्वार्थी समझ लेते हैं।

★कोई हमें कॉल या मैसेज नहीं करता, तो हम सोचते हैं कि उसे हमारी परवाह नहीं है।

हम यह कभी नहीं सोचते कि शायद वे किसी समस्या में हों।

2. जीवन की विविधता                            ~~~~~~~~~~~~~~~~

🙋 हर व्यक्ति का जीवन अलग होता है।

★ जिसने आपको पैसे देने का वादा किया था, हो सकता है उसकी आर्थिक स्थिति खराब हो गई हो।

★ जिसने फोन नहीं उठाया, हो सकता है वह व्यस्त हो।

महत्वपूर्ण सबक:            ~~~~~~~~~~~~

★ संदेह का लाभ दें: दूसरों के लिए बहाने बनाएं।

★ पुष्टि करें, अनुमान नहीं लगाएं: प्रतिक्रिया देने से पहले अपने विचारों को सत्यापित करें।

★ नाराज़ होना अपरिपक्वता है: हर छोटी बात पर आहत होना बचकाना है।

उदाहरण:                                              ~~~~~~~~

किसी ने आपको शादी में आमंत्रित नहीं किया – आप नाराज़ हो जाते हैं।

किसी ने जन्मदिन की शुभकामनाएँ नहीं दी – आप नाराज़ हो जाते हैं।

किसी ने आपकी सोशल मीडिया पोस्ट को लाइक नहीं किया – आप नाराज़ हो जाते हैं।

याद रखें :                                                   ~~~~~~~

★ हर कोई अपने जीवन में संघर्षों से जूझ रहा है।

★ जिनसे आप मदद की उम्मीद रखते हैं, वे भी किसी न किसी समस्या से जूझ रहे होते हैं।

★ हर बात को व्यक्तिगत न लें।

★ कई बार लोग अपने जीवन में व्यस्त होते हैं।

 नाराज़गी से ऊपर उठें :                          ~~~~~~~~~~~~~~~~~ 

निराशा को समझदारी से संभालें और रिश्तों को बनाए रखें।

अनावश्यक मनमुटाव से बचें और मित्रता बनाए रखें।

नाराजगी को छोड़कर जीवन में आगे बढ़ें।

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