आम सी बात लगती है ना ये
आम सी बात लगती है ना ये : **********************
लगनी भी चाहिए। क्या नया है ....ऐसे किस्से तो रोज ही सुनने पढ़ने में आते हैं। हम तो सुनकर,पढ़कर, जानकर react करना भी भूल चुके हैं। क्योंकि ये कोई आश्चर्य करने वाली घटना तो है नहीं....
नाबालिग जो उम्र में 18 से भी छोटा है। जिसकी उम्र नहीं कि वह ये सब सोचे, करे। वह अगर ऐसे काम करने की सोच रहा, कर रहा तो वाकई शाबाशी मिलनी चाहिए ऐसे समाज को....क्या खूब तरक्की कर रहा है। बढियाँ है विकास चाहिए था सबको।
गावँ घेरे की जिंदगी सबको उबाऊ लगती थी। शहरों की चकाचौंध और टेक्नोलॉजी से सीधे जुड़ने की लालच ने आदमी को आदमी नहीं रहने दिया या तो वो मशीन बन गया है या जानवर। काम से मशीन और इच्छाओं से जानवर। इंसानियत तो रही नहीं उसमें......जिस तरह जानवर इच्छापूर्ति और जरूरत के लिए अपने बच्चों तक को खा सकते हैं। उसी तरह इंसान अपनी इच्छापूर्ति के लिए किसी को भी किसी भी तरह इस्तेमाल कर सकता है।
18 साल से कम उम्र का लड़के में वासना का इतना तीव्र उफान होना अचंभित करने वाली बात है। आजकल वयस्क वीडियोस की सनज उपलब्धता ने हर बच्चे को यौन कुंठित बना दिया है। उन्हें वीडियोस देखने के बाद वही सब पाने की जरूरत महसूस होने लगती है। ये कुंठा इस कदर हावी होने लगती है कि आसपड़ोस , मोहल्ले में अगर कोई बच्ची भी मिल जाये तो अपनी भूख शांत करने के लिए वह साधन लगने लगती है। उस लड़के की उम्र और बच्ची की उम्र का कोई अर्थ नहीं रह जाता।
बहुत विकास विकास की रट लगाए रखते थे सभी की.... विदेशों को देखो कितने advance होकर जी रहे और हम हिंदुस्तानी अभी भी गंवार है। तो विकास ने हमें भी इतना advance बना दिया कि एक बच्ची जन्मते ही भूख मिटाने का जरिया बन जाती है। किसी की हवस को शांत करने के लिए बस उसका शरीर ही काफ़ी है। उम्र की जरूरत नहीं। 😭😭
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