तकनीकी उन्नति का परिणाम

तकनीकी उन्नति का परिणाम :  ************************


 सबको सिर्फ विकास की चाह है। वो किस कीमत पर मिल रहा इसकी परवाह नहीं। ये विकास जो मोबाइल लेकर आया है। वह अब भावनाओं को कातिल बना रहा। बचपना, खिलंदड़पन, प्यार , दोस्ती सब खत्म हो रहे। 

मोबाइल पर वीडियो गेम्स खेल खेल कर बच्चों में अजीब सा जोश पैदा हो रहा जो हमेशा जीतने की इच्छा करता है। मैं ही मैं हूँ बस इसी attitude से वो सबके बीच खुद को ही special रखना चाहते हैं। हर कोई सिर्फ उसकी सुने। खुद को सबसे आगे रखने की चाह ने अब मेलजोल को नगण्य कर दिया है। 

अब देखिए ना 10-12 साल के मासूम अगर क्रिकेट खेलने में स्टंप से पीट पीट कर अपने एक साथी को मार डाले तो इसे क्या कहेंगे...? कहाँ से इतने छोटे बच्चों में इतना aggression ,गुस्सा , और प्रतिरोध समाया...?कहाँ से उनको अपने दोस्त के साथ मारा पिटाई करना सही लगा ? क्यों नहीं उनको समझ आया कि अगर वो स्टंप से दूसरे के सर पर धमाधम मार रहे तो उसे भयंकर चोट लग सकती है ...? ये सवाल सोचा जाना जरूरी है।

और कमाल ये की अगर एक नए दूसरे को पीटना शुरू किया तो बाकी और बच्चे उसमें मज़े क्यों ले रहे...उन्होंने आगे बढ़ कर इसे रोकने की कोशिश क्यों नहीं की। उस बच्चे को बचाने के लिए हल्ला क्यों नहीं मचाया। या तो फिर उन्हें भी इस मारपिटाई में मज़ा आ रहा होगा। बहुत सी बातें है जो सीधे तौर पर मोबाइल से ही जुड़ी है। जिसने लोगों को अब मशीन बना दिया है। काम तो कर रहे पर भावनाएं खत्म हो गई हैं। 

अच्छा है अब यही विकास हर घर में पसरा रहे तो कम से कम लोगों को मोबाइल होने के सुख के साथ उसके आने से पनपे दुख से भी दो चार होने की आदत हो जाएगी। क्योंकी कोई भी चीज़ अपने साथ अच्छा बुरादोनों लेकर आती है। चुनना हमें होता है और हमने मोबाइल क्रांति को चुनकर सार्थक भावनाओं के क्षय का रास्ता चुना लिया है। 

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