सच्चे ज्ञान की खोज स्वयं से…………!
जीवन में अच्छे कार्य सभी करना चाहते है और इसके लिए यदि उन्हें कही से प्रेरणा और मार्ग मिले तो यह उत्तम है। यह एक अच्छे गुरु का कार्य है की वह अपने संपर्क में आने वाले को सही मार्ग और सही संगत में रहना सिखाये।इस गुरु पूर्णिमा पर हज़ारों लाखों की तादाद में शिष्योँ ने अपने अपने गुरुओं को पूजा और उनसे आशीर्वाद प्राप्त किया। कबीर का यह दोहा की बलिहारी गुरु आपनों जो गोविन्द दियो बतायो .......... सही है। पर समयानुसार इसकी महत्ता और विश्वसनीयता समाप्त सी हो गई है क्योंकि अब न तो ऐसे गुरु है न ही शिष्य। एक व्यक्ति जो पूरी तरह विवाह , बच्चे ,रहने खाने से जुड़े हर सांसारिक जीवन में लिप्त हो वो आपको एक यह ज्ञान दे कि सांसारिक मोह माया छोड़ कर प्रभु में ध्यान रमाओं क्या यह जायज है ? आज हर गुरु इसी तरह का जीवन जी रहा है। एक बार अपनी प्रसिद्धि प्राप्त हो जाने के उपरांत उनके पास की धन दौलत और सुविधाओं का भंडार लग जाता है। आप के ही दान और त्याग का वह लोग किस प्रकार प्रयोग कर संपत्ति और भूमि का संग्रहण करते है यह यदा- कदा समाचारों में सुनने और देखने को मिल ही जाता है। ईश्वर को पाने के लिए या उनके बताये पदचिन्हों पर चलने के लिए या तो किसी भी गुरु की आवश्यकता नहीं है, या एक सच्चा गुरु जो किसी भी रूप में आप को मिल जाये सही है। अपने धर्म ग्रंथों में ईश्वरीय वचनों के द्वारा ऐसा ज्ञान समेटा गया है जिस का विस्तार आप खुद ही कर सकते है। गीता में श्री कृष्ण द्वारा, रामायण में श्री राम द्वारा और अनेकों उपनिषदों ,वेदों में आचार व्यवहार और संस्कारों को अपनाने के लिए अनेकों मार्ग बताएं गए है ।आप को उन्हें पढ़ कर अपनाना है और वह भी अपने तरीके से। गीता में स्पष्ट लिखा है की कार्य करो फल की चिंता ईश्वर पर छोड़ दो। जबकी हर गुरु अपनी इच्छा का कार्य करवाने की चाह में व्यक्ति को आने वाले परिणाम के प्रति आशंकित कर देता है ,और भविष्य न जानने वाला व्यक्ति गुरु को भविष्यवक्ता समझ उसकी हर इच्छा शिरोधार्य करना प्रारम्भ कर देता है। क्या हमारे पास ईश्वर की कमी है ? सौ करोड़ देवीदेवताओं में से किसी को भी आदर्श बना कर आप जीवन का लक्ष्य तय कर लीजिये और उनके जीवन का अनुसरण करते हुए एक सार्थक जिंदगी जीयें। आज के कलयुग समाज में किसी ऐसे व्यक्ति पर विश्वास जो गुरु का चोला पहनकर अपने स्वार्थ सिद्धि के मार्ग प्रशस्त कर रहा हो वह आप को क्या मार्ग दिखायेगा ? यदि इसे आप इस नजर से देखते है कि गुरु अच्छी बातें बताते है तो इस प्रकार तो अनेको गुरु हो सकते हैं सबसे पहले तो अपनी माँ को ही गुरु मानें जो जीवन का पाठ पढ़ाती है उसके बाद पिता, शिक्षक अपने बड़े बुजुर्ग सभी गुरु हुए। ये सभी अच्छा ज्ञान देकर जीवन को सही गति और दिशा देने का प्रयास करते है। ये जरूर है की घर का ज्ञान हमें कचरे के समान लगता है वही बाहर मिले तो सोना। जरूरी यह है की अपने अंदर ही वह ज्ञान की रोशनी प्रज्वलित करें की जिसे आज कल किसी कलयुगी गुरु की आवश्यकता न पड़े। जो ज्ञान आप खुद से पाना चाहेंगे वही सत्य और शुद्ध होगा। जीवन अनमोल है और उसके लिए खुद ही सर्वोत्तम मार्ग चुनें यह चुनाव आप को ईश्वरीय ज्ञान से मिलेगा। और यह ज्ञान पाने लिए खुद ईश्वर का जीवन दर्शन मौजूद है। अच्छी पुस्तकों का चुनाव् करें, पढ़े , अच्छे धार्मिक कार्यक्रमों का हिस्सा बनें और खुद ही ज्ञान का विस्तार करें। आप घर बैठे ही बिना गुरु के सच्चा ज्ञान पा सकेंगे। जरूरत है खुद की पहल की ………
जीवन में अच्छे कार्य सभी करना चाहते है और इसके लिए यदि उन्हें कही से प्रेरणा और मार्ग मिले तो यह उत्तम है। यह एक अच्छे गुरु का कार्य है की वह अपने संपर्क में आने वाले को सही मार्ग और सही संगत में रहना सिखाये।इस गुरु पूर्णिमा पर हज़ारों लाखों की तादाद में शिष्योँ ने अपने अपने गुरुओं को पूजा और उनसे आशीर्वाद प्राप्त किया। कबीर का यह दोहा की बलिहारी गुरु आपनों जो गोविन्द दियो बतायो .......... सही है। पर समयानुसार इसकी महत्ता और विश्वसनीयता समाप्त सी हो गई है क्योंकि अब न तो ऐसे गुरु है न ही शिष्य। एक व्यक्ति जो पूरी तरह विवाह , बच्चे ,रहने खाने से जुड़े हर सांसारिक जीवन में लिप्त हो वो आपको एक यह ज्ञान दे कि सांसारिक मोह माया छोड़ कर प्रभु में ध्यान रमाओं क्या यह जायज है ? आज हर गुरु इसी तरह का जीवन जी रहा है। एक बार अपनी प्रसिद्धि प्राप्त हो जाने के उपरांत उनके पास की धन दौलत और सुविधाओं का भंडार लग जाता है। आप के ही दान और त्याग का वह लोग किस प्रकार प्रयोग कर संपत्ति और भूमि का संग्रहण करते है यह यदा- कदा समाचारों में सुनने और देखने को मिल ही जाता है। ईश्वर को पाने के लिए या उनके बताये पदचिन्हों पर चलने के लिए या तो किसी भी गुरु की आवश्यकता नहीं है, या एक सच्चा गुरु जो किसी भी रूप में आप को मिल जाये सही है। अपने धर्म ग्रंथों में ईश्वरीय वचनों के द्वारा ऐसा ज्ञान समेटा गया है जिस का विस्तार आप खुद ही कर सकते है। गीता में श्री कृष्ण द्वारा, रामायण में श्री राम द्वारा और अनेकों उपनिषदों ,वेदों में आचार व्यवहार और संस्कारों को अपनाने के लिए अनेकों मार्ग बताएं गए है ।आप को उन्हें पढ़ कर अपनाना है और वह भी अपने तरीके से। गीता में स्पष्ट लिखा है की कार्य करो फल की चिंता ईश्वर पर छोड़ दो। जबकी हर गुरु अपनी इच्छा का कार्य करवाने की चाह में व्यक्ति को आने वाले परिणाम के प्रति आशंकित कर देता है ,और भविष्य न जानने वाला व्यक्ति गुरु को भविष्यवक्ता समझ उसकी हर इच्छा शिरोधार्य करना प्रारम्भ कर देता है। क्या हमारे पास ईश्वर की कमी है ? सौ करोड़ देवीदेवताओं में से किसी को भी आदर्श बना कर आप जीवन का लक्ष्य तय कर लीजिये और उनके जीवन का अनुसरण करते हुए एक सार्थक जिंदगी जीयें। आज के कलयुग समाज में किसी ऐसे व्यक्ति पर विश्वास जो गुरु का चोला पहनकर अपने स्वार्थ सिद्धि के मार्ग प्रशस्त कर रहा हो वह आप को क्या मार्ग दिखायेगा ? यदि इसे आप इस नजर से देखते है कि गुरु अच्छी बातें बताते है तो इस प्रकार तो अनेको गुरु हो सकते हैं सबसे पहले तो अपनी माँ को ही गुरु मानें जो जीवन का पाठ पढ़ाती है उसके बाद पिता, शिक्षक अपने बड़े बुजुर्ग सभी गुरु हुए। ये सभी अच्छा ज्ञान देकर जीवन को सही गति और दिशा देने का प्रयास करते है। ये जरूर है की घर का ज्ञान हमें कचरे के समान लगता है वही बाहर मिले तो सोना। जरूरी यह है की अपने अंदर ही वह ज्ञान की रोशनी प्रज्वलित करें की जिसे आज कल किसी कलयुगी गुरु की आवश्यकता न पड़े। जो ज्ञान आप खुद से पाना चाहेंगे वही सत्य और शुद्ध होगा। जीवन अनमोल है और उसके लिए खुद ही सर्वोत्तम मार्ग चुनें यह चुनाव आप को ईश्वरीय ज्ञान से मिलेगा। और यह ज्ञान पाने लिए खुद ईश्वर का जीवन दर्शन मौजूद है। अच्छी पुस्तकों का चुनाव् करें, पढ़े , अच्छे धार्मिक कार्यक्रमों का हिस्सा बनें और खुद ही ज्ञान का विस्तार करें। आप घर बैठे ही बिना गुरु के सच्चा ज्ञान पा सकेंगे। जरूरत है खुद की पहल की ………
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