मन तभी खुलेंगे जब हृदय खुलेंगे😊

मन तभी खुलेंगे जब ह्रदय खुलेंगे……!

अगर मन और ह्रदय की बात करें तो शायद ये असमंजसता उत्पन्न हो जाये की यहाँ भिन्नता क्या है ? क्यूंकि सतही  तौर पर दोनों एक ही जान पड़ते हैं।  पर वास्तविकता में देखा जाए तो यह  अहसास होगा की मन हमारे दिमाग के नियंत्रण में चलता है। अर्थात मन में जो भी कुछ चलता है उसे दिमाग सही या गलत बताते हुए मानने या न मानने की सलाह देता रहता है। जबकि दिल अपनी मर्जी का राजा है वह वही करता है जो वह करना चाहता है। इसलिए जब भी किसी कार्य को करने हेतु आप दिल से प्रयासरत होंगे तब आप दिमाग की भी सुनना बंद कर देंगे। ऐसा इस लिए क्यूंकि दिल का रिश्ता सीधा व्यक्ति की आतंरिक भावनाओं से जुड़ा होता है। और भावना सही -गलत , उचित - अनुचित का भेद नहीं करना जानती                                                      हम जिस समाज में रहते है उसमें भिन्न - भिन्न  भाषाएँ , जाति , वर्ण , कुल, धर्म के लोग बसते  है।  पर क्या उनके ह्रदय की भावनाएं भी भिन्न हो सकती है ?  अपनापन,  प्रेम, लगाव, दया, सुख, शांति जैसी आवश्यकता हर उस ह्रदय को होती है जो जीवन जी रहा है। समाज में प्राचीन काल से अनेक पूर्वाग्रहों ने इंसान को जकड़ रखा है  और मन इन्ही पूर्वाग्रहों के अच्छे या बुरे होने के बीच  हिचकोले खा रहा है। आज भी कितनी कुरितिओं को समाज में इसी लिए जगह मिली हुई है क्यूंकि मन उसे गलत मानने को तैयार नहीं …। ह्रदय शरीर में रक्त के साथ भावनाएं भी प्रवाहित करता है  इस तथ्य को इस उदाहरण के द्वारा समझा जाए की किसी सड़क पर आकस्मिक दुर्घटना स्थल पर आप का ह्रदय तो चाहता है की आप उस घायल का सहयोग करें पर मन अनावश्यक मुसीबत में पड़ने से रोकेगा।  यही कश्मकश उस घायल  के जीवन पर भारी पड़ती है  यदि उस समय आप दिल की सुन लें  तो एक जीवन ख़त्म होने से बचाया  जा सकता है. 
                                    ह्रदय में प्रेम पनपता है और प्रेम एक छूत की बीमारी की तरह होता है बशर्ते आप अपना ह्रदय खोल उसे स्वीकार करें। एक प्रसिद्ध गीत है ……पंछी नदिया पवन के झोकें कोई सरहद न इन्हे रोके सोचो मैंने तुमने क्या पाया इंसान होके।   यह ये साबित करता है की ये सब अपने दिल की सुन कर आजादी महसूस करते है  जबकि  मानव अपने मन से नियंत्रित हो कर  सरहदों  और लकीरों में के फेर में पड़ा हुआ है।  अतः जरूरी है की हम सब अपने ह्रदय के द्वार खोलें और खुली हवा से  प्रेम अपनापन और एकता को प्रवेश करने दें। एक दूसरे को ह्रदय से जुड़ा महसूस करिये रिश्ते अपने आप सुदृढ़ हो जायेगें। 





Comments