समस्या,समाधान और प्रयास…………!  
जीवन संघर्ष का नाम है।  ये पूरे जीवनकाल तक चलने वाली प्रक्रिया है।  मानव इन्ही संघर्षों से जूझता उबरता जिंदगी का सफर तय करता है। किसी भी बच्चे के बड़े होने के साथ से माता पिता उसे परिस्थितियों और संघर्षों से लड़ने की  शिक्षा देने लगते है ताकि वो बड़े हो कर अपने खुद के निर्णयों से अपनी समस्याओं का हल कर सके।  समस्या जीवन जीने का एक हिस्सा है। आप जो नहीं चाहते वो परिस्थितियां उत्पन्न होना आप के लिए एक समस्या ही है। ये आप की काबिलियत पर निर्भर करता है की उस समस्या का हल आप इस तरह करें की वह दूसरी समस्याओं को पैदा होने से पहले ही समाप्त कर दे।  क्या आप ने बिना किसी चाभी के ताला देखा है ? इसी तरह कोई भी समस्या बिना समाधान के नहीं उत्पन्न होती। ये भी संभव है की एक समस्या दूसरी अन्य कई समस्याओं की वजह बन जाये इस लिए  प्रयासरत रहना चाहिए की समस्याओं के इस जाल को पनपने ही न दिया जाये। ये पूर्णतया अपने व्यव्हार पर निर्भर करता है कि किसी भी समस्या को हम किस दृष्टिकोण  से देखते है। अक्सर ये देखा गया है की जिस विषय पर चिंतित हो कर हम समाधान के लिए प्रयासरत है वो विषय चिंता का नहीं बल्कि हमारे जीवन में होने वाला एक सामान्य सा कार्य है। पहले ही किसी विषय को गंभीर बना कर उसके लिए चिंतित होने से आगे आने वाली और कई समस्याओं के मार्ग में हम बाधाएं उत्पन्न कर देते हैं। धैर्य और  सहनशीलता से जीवन में आने वाली हर बाधा को पार किया जा सकता है।  उदहारण के तौर पर लें की.……यदि आप का बच्चा पढाई में रूचि न ले रहा हो या उसका मन कही इधर उधर भटकता रहता हो तो पहले आप अपने बच्चे की रूचि जानने का प्रयास करें उसे भटकने के समय में अपने पास रोककर उसकी इच्छाओं के बारे में जानने की कोशिश करें जो उसे अच्छा लगेगा।यही अपनेपन का वातावरण उसके लिए अमृत सामान बन कर आगे का मार्ग प्रशस्त करेगा। उससे मित्रवत व्यव्हार कर रूचि के अनुसार आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करें।  देखें ऐसा करने पर जरूर वो सही राह पा जायेगा और आप को भी संतुष्टि मिलेगी। इसी तरह अनेकों समस्याओं में हम उत्तेजित होकर सयंम खो देते है और समाधान सामने हो कर हमें नजर नहीं आता।
        मानव विकास की प्रक्रिया चूँकि भौतिक वस्तुओं के आस पास ही होती है इस लिए आज कल जीवन मशीनी हो जाता है। और इसी मशीनी जीवन का नतीजा है भावनाओं से वंचित होते जाना। मन मस्तिष्क दिल का कहा सुना बेमानी होने लगता है। शायद इसी लिए किसी भी विकट परिस्थिति में  हम अपना आपा सबसे पहले खो देते है। सही समय और सही निर्णय की मदद से बड़ी से बड़ी समस्या का समाधान ढूंढा जा सकता है। समस्याओं के निपटारे का एक बेहतर उपाय ये भी है की बड़े बुजर्ग जो की अपने अनुभवों से उसे समझ और भाँप लेते हैं उनकी राय को अहमियत दी जाये। बना बनाया रास्ता किसी को नहीं मिलता खासकर जीवन के मामले में। परन्तु फिर भी अनुभवी व्यक्ति की राय से उस रास्ते  को खोजने में आसानी रहती  है और उसे  तलाशने की समस्या से आप बच सकते है।  एक समृद्ध वातावरण में चर्चा अनेकों समाधान छिपाए रखती है।  अक्सर बातों बातों में हल मिल जाना कोई नई बात नहीं है। जरूरत है उसे धैर्य और सहनशीलता से तलाशने की। क्यूंकि अशांत मन और मस्तिष्क सिवाय उलझाव और परेशानी के कुछ नहीं देगा। चिंता किसी भी समस्या का हल नहीं। हल  विचारों में छुपा है जो शांत दिल और दिमाग की उपज है। 

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