मोबाइल ……विकास या विनाश की क्रांति ! 

पुराने समय का एक प्रसिद्द गीत याद करें …… मेरे पिया गए रंगून , वहां से किया है टेलीफून। इसी गीत के साथ पुराने ज़माने का फ़ोन याद करेंघर में रहने वाला , काले रंग का बड़े से मुहँ वाला ,जिसमे एक गोल चक्कर  में 1 से लेकर 0 तक नंबर लिखे रहते थे। गोल घुमाओ और नंबर लगाओ। धीरे धीरे समय के साथ और बदलाव आया , थोड़ी और उन्नति के साथ शक्ल भी बदल गयी।  नंबर अब बटन वाले आ गए, रीडायल और कॉल रिकॉर्ड रखने की सुविधा भी मिलने लगी। काला रंग भी रंगों में बदल गया। पर शायद मानव इतने से संतुष्ट होने वाला प्राणी नहीं है। उसने और भी ज्यादा वृद्धि कर एक और लम्बी छलांग मारी।  और एक बहुत ही चिपकू वस्तु को ईजाद किया वह है मोबाइल। जिसने समय, रिश्ते, प्राथमिक आवश्यकताएं सब को पीछे छोड़ दिया है। समय के साथ तरक्की ने मानव को बहुत कुछ दिया है जिस से जीवन और भी सुलभ और सुचारू बन गया है।धीरे धीरे मानव इन सभी का आदी भी होता जा रहा है। मोबाइल इनमे से एक है। विलासतापूर्ण जीवन जीने की चाहत उसे हर सुख सुविधा जुटाने और प्रयोग करने को उकसाती रहती है।  इसी लिए उसने और भी ज्यादा काम करना शुरू कर दिया है। मोबाइल इस अतिरिक्त काम में और उलझा कर रखने में सहायक है । यूँ  देखे तो मोबाइल के कई फायदे भी है परन्तु यदि नुकसानों पर नजर डालें तो शायद उनकी गिनती ज्यादा होगी। आज जीवन की कल्पना यदि मोबाइल के बिना करनी हो तो ऐसा महसूस होगा कि जैसे कोई कोमा में पड़ा साँसो के बिना जी रहा हो।
     सिर्फ एक दिन बिना मोबाइल के जीवन की कल्पना कर देखिये गश खाकर गिर जाएंगे। क्यों इंसान इस छोटी सी चीज का इतना आदी हो गया है कि अब जीवन की कीमत भी इस मोबाइल से कम होने लगी है।  सड़कों पर भागती दौड़ती गाड़ियों के बीच भी इस मोबाइल को कान में लगा  कर किस तरह जीवन के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।जीवन अमूल्य है इसे समझने के लिए पहले जिंदगी में मोबाइल की कीमत कम करनी होगी।आज बच्चे बच्चे के हाथ में आप को मोबाइल दिखेगा और उसे चलाना भी बखूबी जान गए हैं। हम अभिभावक इस पर गर्व करते हैं की हमारा 2 साल का बच्चा मोबाइल की सारी ऍप्लिकेशन्स जानता है।पर ये नहीं सोचते कि उसके  आदी होने के लिए पहली सीढ़ी तो हमने ही बना दी। हजारों एप्लिकेशन्स के साथ नए से नए मोबाइल ने व्यक्ति  को अन्तर्मुखी बना कर स्वकेंद्रित कर दिया है नजर घुमाएं हर के हाथ में मोबाइल  और निगाह सिर्फ उसी परमिलेगी। बाहर की दुनिया से मतलब तो है पर सिर्फ मोबाइल के जरिये। यदि जानकारी की ही बात है तो उसके लिया साधनों की कमी नहीं। बशर्ते आप घर से तो निकलें पूरी दुनिया आप के सामने है हर व्यक्ति ,हर लम्हा , हर घटना ,हर क्षेत्र में जानकारी भरी पड़ी है आप के उसे जानने भर की देर है।आज बच्चा पढ़ना भी चाहता है तो मोबाइल में e - books के जरिये आँख फोड़ना ज्यादा पसंद करेगा।पुस्तकें जो एक समय में व्यक्ति की सबसे अच्छी दोस्त कही जाती थी आज वह रद्दी के भाव बिक रही है। किसे इतना समय है की वह लाइब्रेरी जाए बैठे पुस्तक ढूंढें और फिर पढ़े। बड़े बड़े टैबलेट ,आई-पैड ,स्मार्ट फ़ोन ने पूरी दुनिया को करीब तो ला दिया पर अब खुद के लिए ही समय निकलना और जीवन को सार्थक बनाने के लिए कुछ करने का समय नहीं है। 
      अपराधों में बढ़ोत्तरी भी इसी मोबाइल के नए नए एप्लिकेशन्स की वजह से हुई है। कैमरा, विडिओ रिकॉर्डिंग , आवाज की रिकॉर्डिंग ,आदि ऐसे कई सुविधा है जिसने फायदे के बजाये नुकसान ही पहुँचाया है।आज एक चलन और मार रहा है की  हैसियत न होता हुए भी महंगे से महंगा फोन रखना जीवन स्तर की पहचान बन गया है। यदि आप के हाथ में एक मामूली फोन है तो आप एक  बहुत ही सामान्य श्रेणी  के व्यक्ति हैं जबकि दूसरी और यदि आप के हाथ में एक महंगा स्मार्ट फोन है तो आप की औकात रईसों में गिनी जाएगी। उस के आधार पर आप का वित्तीय स्थिति का अंदाजा लगाया जाएगा। जबकि इसे  हाथ में रखना एक चुनौती से कम नहीं। महंगे फोन का चौबीस घंटे ध्यान रखना ऐसा लगता है कि जैसे अपने बच्चे को सहेजा  जा रहा हो। अगर वाकई में देखे तो मोबाइल  का वास्तविक प्रयोग है अपनी जगह से अलग भी अपनों के संपर्क में रहना। और इसी कारण से इसकी ईजाद भी हुई पर उसमे हजारों नए फीचर्स डाल कर उसे फोन से ज्यादा और बहुत कुछ बना दिया गया। अब जो वास्तविक प्रयोग है वह तो हो नहीं पाता  क्योंकि जब फोन silent पर या switched off रहेगा तो कैसी बात , किसकी बात। अपनी सुविधा के हिसाब से उसे दूसरों के लिए on या off किया जाता है। जबकि पहले जोरदार घंटी से सभी सदयों को पता चल जाता था कि फोन आया है।यह चोरी युवावस्था की सबसे बड़ी मुसीबत है।   जरूरी है कि इस  छूत की बीमारी जैसे रोग को खुद से थोड़ा दूर रख कर समय जीवन जीने का प्रयास किया जाए कोशिश  करके देखे ,तकलीफ तो होगी पर इस के साथ कई फायदे भी जुड़े होंगे .............!          

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