स्वयं से नहीं,जीवन से प्रेम करें…………!
हमें जीवन उस परमपिता परमेश्वर ने दिया। हमें उसका आभारी होना चाहिए कि उसने ये दुनिया देखने और इस के अनोखे दृश्यों में हमें जीने का मौका दिया। जन्म तो पशु पक्षी भी लेते है पर हमने मानव रूप में जन्म लेकर वह सारे सुख और ख़ुशी उठाने का अवसर पाया है जो इस संसार में मौजूद है। मानव जन्म अमूल्य है और उसको सही मायनो में जीना ही उसको सार्थक करना है। पर आज कल कुछ और ही देखने और महसूस करने को मिलता है। हर व्यक्ति जी तो रहा है पर इस तरह कि उसे अपने जीवन की कोई कीमत नहीं है। उसे खुद से तो प्यार है पर अपने जीवन से नहीं। जबकि ये जीवन है तभी तो आप है ये समझना जरूरी है। क्या ये कहना अनुचित होगा की आज हर दूसरा व्यक्ति अपने जीवन से खिलवाड़ करता नज़र आ लाएगा। देखें और महसूस करें इस तरह के अनेकों उदाहरण मिल जायेंगे। मोबाइल कान में लगा कर अपनी गर्दन एक ओर झुका कर गाड़ी चलाना जिस से स्वयं का और सामने वाले का जीवन खतरे में आ जाये ,सड़कों पर दौड़ती गाड़ियों के बीच इस तरह से आर - पार जाना जैसे जीवन बचाने की जिम्मेदारी सामने वाले की ही है , अपने खानपान का ढंग इस तरह का बनाना जिसका प्रत्यक्ष प्रभाव स्वास्थ्य पर पड़े और अस्वस्थ जीवन छोटा हो जाये ,इस तरह की गतिविधियों में लिप्त रहना जो कानूनन अवैद्य है,जल्दी से सब कुछ अच्छा पाने की आस में गलत राह अपना लेना जो सामाजिक मान्यताओं के खिलाफ हो ,आधुनिक बनने और पाश्चात्य ढर्रे पर चलने के लिए जीवन विरोधी औषधि अर्थात नशीली दवाई (ड्रग्स) आदि का सेवन करना, यह अनेकों में से कुछ ऐसे मार्ग है जो यह दर्शाते है कि अब जीवन की कीमत कुछ भी नहीं रह गयी है।
आज का मानव सिर्फ खुद से प्यार करता है अपने लिए सब कुछ अच्छा और बेहतर, हमेशा और अनंत। यह धारणा होने से उसने कार्यों के अच्छे बुरे का आंकलन छोड़ दिया है। अब यदि वह कुछ करता है तो अपने मन और ख़ुशी को संतुष्ट करने के लिए। जबकि ये समझना ज्यादा जरूरी है कि यदि आप जीवित है तभी तो यह सब कर पा रहें है। और जीवन को खतरे में डाल कर आप सब आप सब कुछ खो देते हैं स्वयं से प्रेम करना जरूरी है तो उस से ज्यादा जरूरी है कि जीवन से प्रेम किया जाए। और जीवन को बनाये रखने के लिए कुछ तो त्याग और समझौते करने पड़ेंगे। यदि आप किसी से प्रेम करते है तो उसे बनाये रखने के लिए समझौते करते हैं। फिर जीवन की इतनी अवहेलना क्यों जबकि यह तो अनमोल है। प्रेम यदि जिंदगी में आया और चला गया तो दुबारा फिर से आ जायेगा पर जीवन क्या दुबारा मिलेगा ? इसे बनाये रखने के लिए सारे समझोते आप को मौका देते है और भरपूर जीवन जीने का। कुछ छोटी छोटी बातों को याद रख कर हम जीवन को कृतार्थ कर सकते है। बशर्ते हमारा ध्यान खुद पर से हट कर अपने जीवन की उपलब्धियों पर जाएँ। जीवन से प्रेम वाली धारणा हमेशा जब हमारे विचारों में मौजूद रहेगी तभी हम अपने जीने का सही मूल्य पहचानकर जी पाएंगे। ऐसा कोई भी कार्य करने से हिचकिचाएं जिस से जीवन को कोई खतरा हो या जीवन पर कोई आंच आये। जिन्दा रहना भी एक बड़ी चुनौती है और इसे आप सरल और सुरक्षित रास्ते अपना कर पूरा किया जा सकता है। खुद से प्रेम करने का फलसफा तभी सत्य होगा जब जीवन आप के हाथ में हो। और जीवन तभी हाथ में रहेगा जब उसको बनाये रखने के लिए छोटे छोटे प्रयासों को आजमाते रहेंगे। धैर्य ,संयम ,शांति ,संकोच ,संचय ,विवेक और पहले आप को मौका देने जैसे कई रास्ते है जो जीवन को लम्बा और प्यारा बना सकते है। जीयें और जीनें दें का सत्य हमेशा से ही फलीभूत हुआ हैं। इसे अपनाएं और अपने जीवन से प्यार करते हुए लंबा खुशहाल जीवन जीयें।
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