RETURN की ताकत …………!

एक हाथ लेनी एक हाथ देनी। ………। कहावत सुनी तो होगी। अमल में कितना लाते है ये एक अलग बात है। जीवन चक्र इसी का नाम है की जब भी किसी दूसरे से कुछ पाएं , देने के लिए तैयार रहें। अर्थात आप तभी कुछ पाने के हक़दार हो सकतें  है जब आप की देने या वापस करने की नीयत प्रबल हो। संसार का यही नियम है और हर रिश्ता इसी आधार पर चल रहा है। यहाँ तक की नजदीकी रिश्तें ,पति पत्नी ,माता पिता बच्चे,   ससुराल या मायके के रिश्ते भी इस तर्ज पर चलते हुए बचे हुए हैं। वरना आजकल कहाँ कोई किये का लौटने के लिए खुद को बाध्य समझता है। पाने और सिर्फ पाने की आस ने व्यक्ति को इतना  ज्यादा आत्मकेंद्रित बना दिया है कि उसे अपनी जिंदगी से return शब्द ही निकाल कर फेंक सा दिया है। अगर वास्तव में इस शब्द का अर्थ और प्रयोग इंसान समझ जाये तो जीवन सरल और सहज हो जायेगा। जरूरी नहीं कि सिर्फ पाने पर ही इस return की आवश्यकता पड़े। खुद से देने को ततपर होना भी एक बड़ी काबिलियत है। इसे अनेकों सन्दर्भ में देखें तो हर बार ये कहना सही होगा की  return एक ऐसा शब्द है जो जीवन को खुशियों से भर सकता है बशर्ते नीयत सही हो।किसी भी संस्थान में जब आप कार्य करेंगे तभी आपको मेहनताना मिलेगा यह तो आप जानते ही हैं। अर्थात आप ने कार्य दिया बदले में आप को मेहनताना मिला। यही return है , एक हाथ लेनी एक हाथ देनी।  जीवन के सभी महत्वपूर्ण क्षण इसी return  पर आधारित हैं। जैसे विवाह में बेटी दे कर दामाद पाना ,और अपना बेटा देकर बहु लाना।  
                         जब तक आप पैसे नहीं खर्च करेंगे कोई आप को सामान देगा क्या ? यह funda जब जीवन के हर पहलु पर लागू होता है तब इस funde को हम रिश्ते बचने या संजोने में क्यों नहीं प्रयोग करते। जब भी किसी से कुछ पाएं उसे किसी भी रूप में लौटने को ततपर रहें। इस भौतिकवादी और सिर्फ पैसे से मतलब रखने वाली  दुनिया में भी अगर कोई सिर्फ प्यार ही दे पा रहा हो तो भी बदले में प्यार देने की कोशिश तो करें।  देखे फायदे में रहेंगें। return एक ऐसा शब्द है जो जीवन के पूरे मायने बदल सकता है।  बराबर के तोल  मोल  से ऊपर उठ कर कम या ज्यादा ही सही पर इस return  की परंपरा को निभाते रहें। रिश्तों में वजन का आ जाना रिश्तों की नींव खोखली करता है। तेरा मेरा ,उसका इसका ,इतना उतना ,ये सब जरूरी है पर करीबी रिश्तों से दूर हो कर। आज समाज के हर व्यक्ति को अपना नहीं कहा जा सकता।  मत कहिए , पर जो बेहद करीब है उन्हें तो समाज में  मिलने मत  दीजिये। जब भी किसी रिश्ते से इस return का सिलसिला टूटता है वह रिश्ता बिखर जाता है। पति पत्नी को ही ले पति अपने फर्ज के अनुसार कमा कर घर की जरूरत पूरी करता है जबकि पत्नी उसको बदले में घर सँभालने का तोहफा देती है। दोनों के एक दूसरे को लेने देने से एक गृहस्थी का निर्माण होता है। यही परंपरा आगे चलकर बच्चे वहन करते हैं। माता पिता बन कर बच्चो के साथ भी यही लेने देने की प्रक्रिया शुरू हो जाती  है। पर यहाँ बात कुछ अलग है ………एक यही रिश्ता ऐसा है जहाँ देने की मात्रा , लेने की मात्रा से कही ज्यादा होती है। क्योंकि छोटे बच्चों से कुछ ज्यादा पाने की उम्मीद व्यर्थ है। पर बराबरी वाले रिश्तों में समान न करने का नतीजा वीभत्स होता है जैसे पति पत्नी का तलाक आदि। विश्वास बड़ी चीज है और इस return पर विश्वास करना हमेशा ही आप को लाभ में रखेगा।हमेशा देने की नियत , पाने का भाग्य प्रबल करती है। ईश्वर पर ही ले  आप  भक्ति पाने पर ही वह प्रसन्न हो कर आप  इच्छाएं पूरी करता है। यदि आप अवहेलना करेंगे तो पाने की आस कैसी। इस लिए विश्वास को बढाइये और return की ताकत को पहचानिये। यही आप का जीवन भरा पूरा  रखने में मदद कर सकता है। भले ही रूप अलग अलग हों पर लौटने की नियत से ही आप का सम्मान ऊँचा हो जायेगा।  

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