लाभकारी मित्र और संगत…………! 

एक अच्छा सा वक्तव्य है कि यदि आप अच्छी किताबों के साथ है तब  आप दुनिया के सबसे ज्ञानी व्यक्तिओं के बीच है और उनसे संपर्क के द्वारा अपना ज्ञान बढ़ा रहें है। क्योंकि दिमाग को तेज  बनाने के लिए सोचने से ज्यादा जरूरी सीखना होता है। एक अच्छी पुस्तक से भले ही आप कुछ न सीखे पर यदि आप उस के विचारों से सहमत है तो उसे अपने जीवन में आजमाएंगे जरूर।और एक दिन यही आजमाना आदत बन जाता है जो जीवन भर साथ निभाता है। एक विचार ही ऐसे है जिस पर मानव का नियंत्रण है बाकि सब कुछ उसके इख़्तियार से बाहर है। प्रकृति का हर सत्य उसके लिए एक चुनौती की तरह होता है जिनका उसे अपने विचारों की ताकत से सामना करना होता है। विचारों की शुद्धता निर्भर करती है आपकी संगत पर , ये संगत अच्छे व्यक्तिओं या ज्ञानवर्धक पुस्तकों किसी की भी हो सकती है। किसी के कहने , सुनने या मानने  से बेहतर है एक अच्छी पुस्तक के साथ को चुनना , उसे मित्र बनाना । ये मित्रता हमेशा लाभकारी सिद्ध होगी क्योंकि ज्ञान बढाने के बाद ये आपसे तर्क वितर्क नहीं करेगी। बल्कि एक याद बन कर आने वाले समय में आप के सच्चे मार्गदर्शक बन  रास्ते का उजाला ही बनेगी।
            आज कई लेखक अपनी पुस्तकों की वजह से प्रकाश में आये और उन्होंने अपनी सोच के जरिये दूसरों को प्रभावित भी किया। उद्देश्य यह है की इन पुस्तकों के सार का महत्व जाने। जिस तरह लगातार पत्थर पर पानी गिरते रहने से उस पर भी निशान पड़ जाते है यह सत्य है कि अच्छी पुस्तकों के संपर्क में रहने से विचार परिवर्तन अवश्य होगा। खुद को आगे बढ़ाते रहने का एक अच्छा साधन है ये पुस्तकें , क्योंकि इनकी रौशनी का स्रोत वह विचार ही है जो आप को प्रभावित कर बेहतरी के लिए उकसाते है । दो व्यक्तिओं के वार्तालाप में यह स्पष्ट हो जाता है कि अमुक व्यक्ति ज्ञान का कितना धनी  है।  बातचीत के माध्यम से अपना ज्ञान प्रदर्शित करने का का एक बेहतर तरीका है कि आप पुस्तकों के उदाहरण से अपनी बात का वज़न बढ़ाएं।                                                                                               उदाहरण के तौर पर देखें कि क्रिकेट खिलाड़ी और सांसद नवजोत सिंह सिद्धू  अपनी विद्यमानता दर्शाने के लिए न जाने कितने ही सम्बंधित जुमले या वक्तव्यों का प्रयोग कर यह दिखा देते है की पढ़ने और जानने की रूचि ने उनकी प्रत्युत्पन्नमतित्व (presence of mind) को कितना बढ़ा दिया है।ज्ञान बाँटने से और बढ़ता है  ये तो आप जानते ही है। पर उस ज्ञान को दूसरों तक पहुचाने का एक अच्छा माध्यम ये पुस्तकें भी है।  आप जितना भी जानते है उसे लिखें , किसी भी रूप में जब वह लोगो तक पहुंचेगा तब उसका कुछ तो प्रभाव जरूर पड़ेगा।  और यदि असर न भी हो तो रूचि तो बन ही सकता है। लिखना और पढ़ते रहना एक ऐसी आदत है जो जीवन में तर्क वितर्क की क्षमता बढाती है।  जो भी तथ्य सत्य है उसका ज्ञान पुस्तकों के ही माध्यम से आप तक पहुंचेगा। मित्र हमेशा ऐसा चुनो जो  सच्चा मार्गदर्शक बन कर साथ निभाए और इस के लिए पुस्तकों से बेहतर और कोई नहीं। अच्छा दिमाग का होना उतना जरूरी नहीं जितना कि  दिमाग का अच्छा उपयोग होना जरूरी है। और दिमाग  को धारदार करने के लिए पुस्तकों  से बेहतर और कोई विकल्प नहीं।ऐसा नहीं की पुस्तकों में छपा सारा ज्ञान अच्छा हो आप के काम का हो पर ये सत्य है की अच्छा और बुरा दोनों का तुलनात्मक अध्ययन से सही फैसला लेने की क्षमता बढ़ेगी। समाज के बीच रहकर अच्छे बुरे को पहचानने की परख से पुस्तकों को चुनने और समझने में आसानी होगी तब श्रेष्ठ का चुनाव आसान हो जाएगा।  गीता जैसी पुस्तकों को पढ़  कर देखें अपने अंदर उमड़ती घुमड़ती अशांति को असीम सुख और शांति में बदलता देख प्रसन्नता होगी। और संसार में रह कर परिस्थितियों से लड़ कर जीने का हौसला मिलेगा।      

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