प्रेम ताकत बने कमजोरी नहीं ……!
हर व्यक्ति प्रेम के जरिये किसी ना किसी से जुड़ा है। अर्थात वह जिन भी रिश्तों में बंधा है वह प्रेम के जरिये ही जुड़े हुए हैं। एक दूसरे को पसंद करना और एक दूसरे की पसंद के अनुसार करना यही प्रेम का एकमात्र लक्ष्य है। आप जरूर प्रेम करें पर एक अतिआवश्यक सत्य से अनजान न रहें वह ये की ये प्रेम आप की ताकत बनना चाहिए न की कमज़ोरी। प्रेम में अंधे होकर वह न करें जो स्वीकार्य नहीं। इसी से सम्बंधित एक कथा सुनें जो सत्य है कवि कालिदास जी का विवाह राजकुमारी विद्योत्तमा से हुआ।वह राजकुमारी से अत्यंत प्रेम करने लगे। विवाहोपरांत विद्योत्तमा को कालिदास जी के महामूर्ख होने का सत्य पता चला। अपनी पत्नी के प्रेम में सब कुछ भूल वह सिर्फ उसका ही स्मरण करते रहते थे। तब विद्योत्तमा ने कालिदास जी को मूर्खता के कारण घर छोड़ कर जाने को कहा और उनसे यह बात कही कि वह प्रेम क्या जो व्यक्ति को इतना दुर्बल बना दे कि वह जीवन का सार ही भूल जाए। जीवन कुछ अति विशिष्ट करने के लिए मिला है और उसके लिए प्रयास करना पड़ता है। प्रेम में इतने अंधे हो जाना कि आगे का कुछ भी नज़र न आये शर्मिंदगीपूर्ण है। ये सुन कर कालिदास जी के ज्ञान चक्षु खुले और उन्हें सत्य दिखने लगा। घर त्यागने के बाद उन्होंने अभिज्ञानशाकुंतलम् ,मेघदूत ,कुमारसम्भव ,कुमारदासा जैसे कई महान ग्रंथों की रचना की। आगे चल कर वह संस्कृत के प्रकांड पंडित कहलाये। कहने का तात्पर्य ये है कि प्रेम व्यक्ति से उसका बल न छीन ले और उसे वह कार्य करने को न उकसाए जो सर्वथा गलत है।
यदि आप किसी से प्रेम करते हैं तो कुछ ऐसा करें कि वह आप पर गर्व कर सके। प्रेम में सबसे जरूरी जो चीज है वह है विवेक। जो सही गलत की पहचान करा सके। यदि आप का सहयोगी कुछ अनुचित भी मांग कर रहा हो तो आप उसे शक्तिशाली ढंग से मना कर सकें। क्योंकि यही सही मायनों में प्रेम की ताकत है कि आप स्वयं भी सही राह पर हों और अपने साथी को भी सही राह की ओर ले जाए। कहते है कि विवाहोपरांत युवक का स्वाभाव अपने परिवार के प्रति बदल सा जाता है ऐसा इस लिए की वह अपनी पत्नी के प्रेम के प्रति वफादार होने का प्रयास भी करने लगता है। ये जरूरी भी है , एक युवती जो अपने माँ - पिता का घर एक अजनबी के भरोसे छोड़ आई हो उसे वह सम्मान मिलना ही चाहिए। परन्तु यहीं विवेक की महत्वपूर्ण भूमिका की आवश्यकता होती है जो एक संतुलित व्यव्हार के जरिये इस नए रिश्ते के साथ दूसरे रिश्तों में भी प्रेम बनाये रहता है और एक के प्रति अँधा हो कर दूसरे को हानि या अवहेलना का शिकार नहीं करता। अक्सर प्रेम में डूबे युवा कुछ ऐसा कर गुजरने को तैयार रहते हैं जो उन्हें या उनके परिवार को सामाजिक तिरस्कार का भागी बना देता है। हमारे एक परिचित अपनी एकमात्र संतान , पुत्री से बेइन्तिहा प्रेम करते थे। और उसके लिए न जाने कैसे कैसे सपने भी देख रखे थे।पर उनकी पुत्री ने अपने किसी परिचित , दूसरी जाति के युवक ,जो कि उसके पिता को सख्त नापसंद था विवाह कर लिया। इस से उसके पिता को गंभीर ठेस लगी और उनका देहावसान हो गया। उस पुत्री की माँ आज भी उस को इस बात के लिए माफ़ नहीं कर पायी कि उसके कारण उनके पति की मृत्यु हुई। अब सोचे कि क्या वह पुत्री भी अपने विवाहित संसार में यह सोच कर दुखी नहीं होती होगी कि उसकी माँ आज उसके निर्णय का दंश भोग रही है। यही है प्रेम की कमजोरी जो गलत निर्णय लेने पर उकसाती है जबकि ताकत हमेशा प्रयास करने को कहती है कि सब कुछ अच्छा हो सकता है। यदि आप किसी से प्रेम करते है तो उसे यह दिखाए की आप क्या क्या कर सकते हैं , कैसे अपना नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखवा कर उसे खुद से जुड़ने पर गर्व महसूस करा सकते है। प्रेम में वह करें कि आपका साथी आप से गर्व से जुड़ कर ख़ुशी महसूस करें। न की किसी अनुचित कार्य पर शर्मिंदगी। इस लिए आज ही प्रण करें कि अब से प्रेम ताकत बन कर उभरेगा न की अपनी कमज़ोरी।
हर व्यक्ति प्रेम के जरिये किसी ना किसी से जुड़ा है। अर्थात वह जिन भी रिश्तों में बंधा है वह प्रेम के जरिये ही जुड़े हुए हैं। एक दूसरे को पसंद करना और एक दूसरे की पसंद के अनुसार करना यही प्रेम का एकमात्र लक्ष्य है। आप जरूर प्रेम करें पर एक अतिआवश्यक सत्य से अनजान न रहें वह ये की ये प्रेम आप की ताकत बनना चाहिए न की कमज़ोरी। प्रेम में अंधे होकर वह न करें जो स्वीकार्य नहीं। इसी से सम्बंधित एक कथा सुनें जो सत्य है कवि कालिदास जी का विवाह राजकुमारी विद्योत्तमा से हुआ।वह राजकुमारी से अत्यंत प्रेम करने लगे। विवाहोपरांत विद्योत्तमा को कालिदास जी के महामूर्ख होने का सत्य पता चला। अपनी पत्नी के प्रेम में सब कुछ भूल वह सिर्फ उसका ही स्मरण करते रहते थे। तब विद्योत्तमा ने कालिदास जी को मूर्खता के कारण घर छोड़ कर जाने को कहा और उनसे यह बात कही कि वह प्रेम क्या जो व्यक्ति को इतना दुर्बल बना दे कि वह जीवन का सार ही भूल जाए। जीवन कुछ अति विशिष्ट करने के लिए मिला है और उसके लिए प्रयास करना पड़ता है। प्रेम में इतने अंधे हो जाना कि आगे का कुछ भी नज़र न आये शर्मिंदगीपूर्ण है। ये सुन कर कालिदास जी के ज्ञान चक्षु खुले और उन्हें सत्य दिखने लगा। घर त्यागने के बाद उन्होंने अभिज्ञानशाकुंतलम् ,मेघदूत ,कुमारसम्भव ,कुमारदासा जैसे कई महान ग्रंथों की रचना की। आगे चल कर वह संस्कृत के प्रकांड पंडित कहलाये। कहने का तात्पर्य ये है कि प्रेम व्यक्ति से उसका बल न छीन ले और उसे वह कार्य करने को न उकसाए जो सर्वथा गलत है।
यदि आप किसी से प्रेम करते हैं तो कुछ ऐसा करें कि वह आप पर गर्व कर सके। प्रेम में सबसे जरूरी जो चीज है वह है विवेक। जो सही गलत की पहचान करा सके। यदि आप का सहयोगी कुछ अनुचित भी मांग कर रहा हो तो आप उसे शक्तिशाली ढंग से मना कर सकें। क्योंकि यही सही मायनों में प्रेम की ताकत है कि आप स्वयं भी सही राह पर हों और अपने साथी को भी सही राह की ओर ले जाए। कहते है कि विवाहोपरांत युवक का स्वाभाव अपने परिवार के प्रति बदल सा जाता है ऐसा इस लिए की वह अपनी पत्नी के प्रेम के प्रति वफादार होने का प्रयास भी करने लगता है। ये जरूरी भी है , एक युवती जो अपने माँ - पिता का घर एक अजनबी के भरोसे छोड़ आई हो उसे वह सम्मान मिलना ही चाहिए। परन्तु यहीं विवेक की महत्वपूर्ण भूमिका की आवश्यकता होती है जो एक संतुलित व्यव्हार के जरिये इस नए रिश्ते के साथ दूसरे रिश्तों में भी प्रेम बनाये रहता है और एक के प्रति अँधा हो कर दूसरे को हानि या अवहेलना का शिकार नहीं करता। अक्सर प्रेम में डूबे युवा कुछ ऐसा कर गुजरने को तैयार रहते हैं जो उन्हें या उनके परिवार को सामाजिक तिरस्कार का भागी बना देता है। हमारे एक परिचित अपनी एकमात्र संतान , पुत्री से बेइन्तिहा प्रेम करते थे। और उसके लिए न जाने कैसे कैसे सपने भी देख रखे थे।पर उनकी पुत्री ने अपने किसी परिचित , दूसरी जाति के युवक ,जो कि उसके पिता को सख्त नापसंद था विवाह कर लिया। इस से उसके पिता को गंभीर ठेस लगी और उनका देहावसान हो गया। उस पुत्री की माँ आज भी उस को इस बात के लिए माफ़ नहीं कर पायी कि उसके कारण उनके पति की मृत्यु हुई। अब सोचे कि क्या वह पुत्री भी अपने विवाहित संसार में यह सोच कर दुखी नहीं होती होगी कि उसकी माँ आज उसके निर्णय का दंश भोग रही है। यही है प्रेम की कमजोरी जो गलत निर्णय लेने पर उकसाती है जबकि ताकत हमेशा प्रयास करने को कहती है कि सब कुछ अच्छा हो सकता है। यदि आप किसी से प्रेम करते है तो उसे यह दिखाए की आप क्या क्या कर सकते हैं , कैसे अपना नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखवा कर उसे खुद से जुड़ने पर गर्व महसूस करा सकते है। प्रेम में वह करें कि आपका साथी आप से गर्व से जुड़ कर ख़ुशी महसूस करें। न की किसी अनुचित कार्य पर शर्मिंदगी। इस लिए आज ही प्रण करें कि अब से प्रेम ताकत बन कर उभरेगा न की अपनी कमज़ोरी।
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