नयी ऊर्जा,नया उत्साह भरें.................!
नयी जिंदगी की शुरुआत में सब कुछ अच्छा-अच्छा सा लगता है। हर स्थिति हर पहलु और हर घटना जीवन के एक नए पड़ाव का अहसास कराती है। इंसान उसे रूचि से जीता है और साथ में enjoy भी करता है। सब कुछ पहली बार होने या दिखने की वजह से exciting महसूस होता है। जीवन को ख़ुशी से जीना अच्छा लगता है। उदाहरण के तौर पर देखें , बालक जब पहली बार विद्यालय जाता है तब उसकी ख़ुशी देखते ही बनती है नया bag नयी bottle नया bookset ,नया pencilbox सब कुछ नया उसे उत्साहहित करता है पर एक routine बन जाने के बाद उसे विद्यालय के लिए सुबह उठना भी भारी लगने लगता है। यह सब कुछ एक समय के बाद और एक उम्र हो जाने बाद क्यों नीरस सा लगने लगता है ? वही सब करते , देखते, और निभाते हम इतंने अभ्यस्त और बोर हो जाते हैं कि आगे कुछ भी अच्छा या रोमांचक होने पर हम अपना interest नहीं दिखा पाते। इसे depression या अनिच्छा कहते है। एक ही track पर चलते चलते जीवन बोर सा लगने लगता है।हर किसी को बदलाव के लिए एक platform की जरूरत होती है और ये उसे जिंदगी ही देती है। यदि जिंदगी एक ढ़र्रे पर चलते चलते पुरानी सी लगे तो यह महसूस करना चाहिए की कही कुछ नया , कुछ भिन्न होना चाहिए। ये बदलाव कैसा भी हो ,कितना भी हो और कभी भी हो पर इसकी आवश्यकता है जीवन में रूचि बनाये रखने के लिए। हमारे भारतीय जीवनशैली में व्यक्ति 6 दिन काम कर के एक दिन परिवार और स्वयं के लिए बचाने का प्रयास करता है पर उस दिन भी ऐसे अनेकों काम तैयार रहतें है जिन में पूरा दिन ख़त्म हो जाता है। इस तरह से देखें तो पूरे हफ्ते ही किसी न किसी काम का बोझ जीवन की जरूरत बन गया है। यदि आप जिम्मेदारी से सभी कामों के प्रति सजग है तो आप को स्वयं के लिए समय निकालना मुश्किल होगा। यही से इस frustration और depression की शुरुआत होती है। क्योंकि व्यक्ति अपने स्वयं की ख़ुशी के लिए सोचते हुए भी कुछ नहीं कर पाता। भागते समय को अपनी जरूरतों में बांध कर रखने की ख्वाहिश ने इंसान को मशीन सा बना दिया है। वह चाहता है की कम से कम समय में ज्यादा से ज्यादा जरूरतों को पूरा कर सके। इस वजह से उसने जीवन को आनंद ले कर जीना छोड़ दिया है।
ये art of living classes या meditation therapy जैसी अनेकों विधाएँ इसीलिए प्रकाश में आईं क्योंकि व्यक्ति सही मायनों में जीना भूल चुका है। उसे उसी के जीवन में रूचि जागृत करने के लिए ये अनेकों तरह के process अपनाती है। जिस से व्यक्ति खुश हो कर परिस्थितियों से जूझना और और उन्हें जीना सीख ले। ये कक्षाएं व्यक्ति को कुछ समय के लिए जीवन की भागदौड़ से काट कर एकांत देने की कोशिश करती हैं जिस में सही मायनों में व्यक्ति खुद से जुड़ पाता है। और अपने निर्णय लेने की क्षमता को और strong कर पाता है। किस परिस्थिति का धैर्य और शांति से कैसे सामना करना है ये कक्षाएं उसे सिखाती है। माता पिता हमें जीवन देने और जीवन को जीने के तरीके सीखाने के बाद हमारे खुद के सामर्थ्य पर हमें छोड़ देते हैं। ये सामर्थ्य परिस्थितियों के अनुसार कम या ज्यादा होता रहता है। जीवन की उपलब्धियों में हार हमारे सामर्थ्य को घटाती है। ये कक्षाएं हमारे इसी सामर्थ्य और धैर्य को बढाने का प्रयास करती है। क्योंकि धैर्य ही है जो हमारे अंदर की शक्ति को बनाये रखने में सक्षम होता है। उन्ही परिस्थितियों को एक नए तरीके से face करने के लिए तैयार होना व्यक्ति को positive बनाता है। अगर आप को कभी भी ऐसा लगे की जीवन अब बेकार सा लग रहा है तो सचेत हो कर किसी ऐसी कक्षा या संस्था के सदस्य बनिए जिस से एक नई ऊर्जा और उत्साह के साथ जीवन जीने की प्रेरणा मिलेगी। वहाँ और कुछ नहीं तो कम से कम आप की नकारात्मक सोच को एक नयापन मिल सकेगा। और थका हुआ मन एक नयी उम्मीद और हौसले के साथ फिर से जीवन की दौड़ में शामिल हो जाएगा। ऐसा हमेशा देखा गया है की जब परेशानी में हो तो किसी की सांत्वना दवाई का सा काम करती है। यह एक तरह की दवाई ही है जो आप को मानसिक तौर पर दी जाती है। और आप के ग्रहण करने की क्षमता से जीवन जीने की सोच बदलने लगती है। इस लिए जीवन की भाग दौड़ में थके हारे मन को एक नयी ऊर्जा और उत्साह से भरने का प्रयास करें,जीवन खुश हो कर जियें।
नयी जिंदगी की शुरुआत में सब कुछ अच्छा-अच्छा सा लगता है। हर स्थिति हर पहलु और हर घटना जीवन के एक नए पड़ाव का अहसास कराती है। इंसान उसे रूचि से जीता है और साथ में enjoy भी करता है। सब कुछ पहली बार होने या दिखने की वजह से exciting महसूस होता है। जीवन को ख़ुशी से जीना अच्छा लगता है। उदाहरण के तौर पर देखें , बालक जब पहली बार विद्यालय जाता है तब उसकी ख़ुशी देखते ही बनती है नया bag नयी bottle नया bookset ,नया pencilbox सब कुछ नया उसे उत्साहहित करता है पर एक routine बन जाने के बाद उसे विद्यालय के लिए सुबह उठना भी भारी लगने लगता है। यह सब कुछ एक समय के बाद और एक उम्र हो जाने बाद क्यों नीरस सा लगने लगता है ? वही सब करते , देखते, और निभाते हम इतंने अभ्यस्त और बोर हो जाते हैं कि आगे कुछ भी अच्छा या रोमांचक होने पर हम अपना interest नहीं दिखा पाते। इसे depression या अनिच्छा कहते है। एक ही track पर चलते चलते जीवन बोर सा लगने लगता है।हर किसी को बदलाव के लिए एक platform की जरूरत होती है और ये उसे जिंदगी ही देती है। यदि जिंदगी एक ढ़र्रे पर चलते चलते पुरानी सी लगे तो यह महसूस करना चाहिए की कही कुछ नया , कुछ भिन्न होना चाहिए। ये बदलाव कैसा भी हो ,कितना भी हो और कभी भी हो पर इसकी आवश्यकता है जीवन में रूचि बनाये रखने के लिए। हमारे भारतीय जीवनशैली में व्यक्ति 6 दिन काम कर के एक दिन परिवार और स्वयं के लिए बचाने का प्रयास करता है पर उस दिन भी ऐसे अनेकों काम तैयार रहतें है जिन में पूरा दिन ख़त्म हो जाता है। इस तरह से देखें तो पूरे हफ्ते ही किसी न किसी काम का बोझ जीवन की जरूरत बन गया है। यदि आप जिम्मेदारी से सभी कामों के प्रति सजग है तो आप को स्वयं के लिए समय निकालना मुश्किल होगा। यही से इस frustration और depression की शुरुआत होती है। क्योंकि व्यक्ति अपने स्वयं की ख़ुशी के लिए सोचते हुए भी कुछ नहीं कर पाता। भागते समय को अपनी जरूरतों में बांध कर रखने की ख्वाहिश ने इंसान को मशीन सा बना दिया है। वह चाहता है की कम से कम समय में ज्यादा से ज्यादा जरूरतों को पूरा कर सके। इस वजह से उसने जीवन को आनंद ले कर जीना छोड़ दिया है।
ये art of living classes या meditation therapy जैसी अनेकों विधाएँ इसीलिए प्रकाश में आईं क्योंकि व्यक्ति सही मायनों में जीना भूल चुका है। उसे उसी के जीवन में रूचि जागृत करने के लिए ये अनेकों तरह के process अपनाती है। जिस से व्यक्ति खुश हो कर परिस्थितियों से जूझना और और उन्हें जीना सीख ले। ये कक्षाएं व्यक्ति को कुछ समय के लिए जीवन की भागदौड़ से काट कर एकांत देने की कोशिश करती हैं जिस में सही मायनों में व्यक्ति खुद से जुड़ पाता है। और अपने निर्णय लेने की क्षमता को और strong कर पाता है। किस परिस्थिति का धैर्य और शांति से कैसे सामना करना है ये कक्षाएं उसे सिखाती है। माता पिता हमें जीवन देने और जीवन को जीने के तरीके सीखाने के बाद हमारे खुद के सामर्थ्य पर हमें छोड़ देते हैं। ये सामर्थ्य परिस्थितियों के अनुसार कम या ज्यादा होता रहता है। जीवन की उपलब्धियों में हार हमारे सामर्थ्य को घटाती है। ये कक्षाएं हमारे इसी सामर्थ्य और धैर्य को बढाने का प्रयास करती है। क्योंकि धैर्य ही है जो हमारे अंदर की शक्ति को बनाये रखने में सक्षम होता है। उन्ही परिस्थितियों को एक नए तरीके से face करने के लिए तैयार होना व्यक्ति को positive बनाता है। अगर आप को कभी भी ऐसा लगे की जीवन अब बेकार सा लग रहा है तो सचेत हो कर किसी ऐसी कक्षा या संस्था के सदस्य बनिए जिस से एक नई ऊर्जा और उत्साह के साथ जीवन जीने की प्रेरणा मिलेगी। वहाँ और कुछ नहीं तो कम से कम आप की नकारात्मक सोच को एक नयापन मिल सकेगा। और थका हुआ मन एक नयी उम्मीद और हौसले के साथ फिर से जीवन की दौड़ में शामिल हो जाएगा। ऐसा हमेशा देखा गया है की जब परेशानी में हो तो किसी की सांत्वना दवाई का सा काम करती है। यह एक तरह की दवाई ही है जो आप को मानसिक तौर पर दी जाती है। और आप के ग्रहण करने की क्षमता से जीवन जीने की सोच बदलने लगती है। इस लिए जीवन की भाग दौड़ में थके हारे मन को एक नयी ऊर्जा और उत्साह से भरने का प्रयास करें,जीवन खुश हो कर जियें।
Comments
Post a Comment