बंधन या आजादी !……चुनाव करें। 

आज 16 अगस्त है आजादी के एक दिन बाद का दिन। और आप सोच रहे होंगे कि दिन गुजरने के बाद आज आजादी की बात क्यों ? वह इस लिए क्योंकि आजादी  के रहते आजादी की कीमत कोई न समझ सका है न ही समझना चाहता है। आज आजादी सिर्फ विद्यालयों और दफ्तरों में एक परंपरा के रूप में मनाने  का उत्सव रह गया है। राष्ट्रीय ध्वज भी शायद इस मजबूरी में फहरा देते है कि जिस देश का नमक खा रहें है उसके प्रति सम्मान दिखाने का बंधन जो है। आज उस आजादी को जीना कोई नहीं चाहता क्योकि उसे जीने के लिए उसका अनुसरण करना पड़ेगा। जब अपने मन से जीने की चाह ने सारे बंधन पहले ही तोड़ दिए है तो फिर आजादी के क्या मायने ? हम आजाद है और आजाद रहना चाहते हैं। इसके लिए उन तमाम बातों को पीछे छोड़ रहें है जो बंधन हो कर भी जीवन के लिए अति आवश्यक हो सकती थी। बंधन और आजादी के सही मायने हम हिंदुस्तानियों से पूछो।  उन्हें उस आजादी से कोई सरोकार नहीं जो हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने अंग्रेजों से लड़ कर पाई क्योंकि हमारे अनुसार तो जो बीत गयी सो बात गयी। जो समय गुजर गया उसमे रुझान रख कर क्यों सर खपाना। अब तो आज की आजादी के बारे में सोचना है।आज की आजादी के मायने ............ जिंदगी अपनी शर्तों पर जीने की आजादी ,अपने तरह से खाने पीने की आजादी,जिसका साथ पसंद हो उसके साथ जीने की आजादी, माता पिता की आज्ञा या मर्जी के बिना वह सब करने की आजादी जो सामाजिक मान्यताओं के खिलाफ है , कही भी- कैसे भी आने जाने की आजादी , कपड़ों से ढकें सुन्दर तन को उघाड़ कर रखने की आजादी, कार्यालयों में कार्य करने के बदले रिश्वत मांगने की आजादी।   और क्या क्या गिनाया जाए ये तो एक लम्बी फेहरिस्त है जो आज की आजादी का प्रतिरूप बन गयी है। सब कुछ बदल सा गया है और इस बदलाव को हम आजादी का नाम देते है। यह मानते है की इस तरह का जीवन जीने का मतलब हम आजादी से जी रहें हैं। 
                 एक सत्य है कि हम बहुत सी पुरानी रूढ़िवादी परम्पराओं से आजाद हुएं है। पर वो आजादी वास्तविक है जिसकी हमें जरूरत थी। क्योंकि उस के बिना हम खुल कर नहीं जी पा रहे थे। लेकिन इस खुलेपन को जिस तरह हमने अपनी जिंदगी में उतारा है वह गलत है। किसी भी चीज़ को उसके वास्तविक रूप में रखा जाए तभी सही है उसे तोड़ मरोड़ कर प्रयोग करने से समाज और प्रकृति दोनों के अपराधी बन जाना पड़ता है। बहुत सी कुत्सित प्रथाओं और कुरितिओं को खुद से अलग कर एक मिसाल कायम की गयी  है। ये मिसालें कायम रहती अगर हम इन्हे विकृत रूप में प्रयोग न करना प्रारम्भ कर देते। आज जो कुछ भी सही नहीं है वह इसी आजादी का दुरुपयोग का नतीजा है। अभी भी समय है सचेत होने का क्योंकि अब अगर हम अपने बच्चो को सही राह पर डालना चाहते है तो सचेत होकर उस नकारात्मक आजादी को ठुकराना होगा। और आजादी के साथ बंधनों का भी महत्व समझाना होगा। बंधन वह है जो ख़ुशी ,प्रेम , अपनापन ,निष्ठा और ऐसे कई गुण इंसान में उत्पन्न करने का जादू रखता है। आजाद और अकेला क्या कर लेगा ,जब आस पास दो चार लोग होंगे तब तो जीवन जियोगे और आस पास तभी कोई रहेगा जब आप किसी न किसी रूप में उस से जुड़े होंगे। इस लिए बंधन में ही आजादी को महसूस करें कि आप आजाद है अपने रिश्तों को खुश होकर जीने और मजबूत बनाने के लिए।                                      
                                     

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