
सहयोग का सराहनीय जज्बा…………वाह !
वैसे तो इसे मेरे मन की त्रासदी ही कहिये कि मुझे आज कल के युवाओं का जीवन जीने का तरीका नहीं पसंद आता , कारण........आप मेरे कई लेखों को पढ़ कर जान ही गए होंगे। परन्तु कभी कभी ये भी जब अपने आधुनिक अंदाज में ही कुछ अलग या कुछ बहुत ही अच्छा करते हैं तब वाकई प्रशंसा करने के लिए बाध्य होना पड़ता है। इन दिनों ice water bucket challenge के नाम से एक नया campaign शुरू किया गया है। नर्वस सिस्टम को प्रभावित करने वाले एक रोग एम्योट्रोफिक लेटरल स्क्लीरोसिस (ALS ) के इलाज के रिसर्च के लिए धन जुटाने हेतु यह अभियान अमेरिका की एक संस्था द्वारा चलाया जा रहा है। और इसे पूरे विश्व का सहयोग मिल रहा है और अब तक करोड़ो का धन जमा हो चुका है। हालाँकि चैरिटी को सफल बनाने का कोई जादुई फार्मूला नहीं है पर इस आइस बकेट चैलेंज की सफलता ने ये साबित कर दिया कि यदि एक पंथ दो काज या एक तीर दो शिकार जैसे फार्मूले को अपना कर कुछ किया जाए तो वह अवश्य सफल होगा। अर्थात करो तो प्रसिद्धि और साथ में सहयोग के मन्त्र का नुस्खा काम कर गया। अनेकों प्रसिद्ध हस्तिओं ने इसे सहर्ष स्वीकार कर भाग लिया जिस से अन्य दूसरों को प्रेरणा मिली और लोग जुड़ कर इसे और सफल बनाते चले गए।
इसी तरह के कुछ और मुहीम है जैसे WHO की save life ,clean hands जिसमे युवाओं को लम्बे स्वस्थ जीवन के लिए हाथों की स्वच्छता की आवश्यकता से अवगत कराया गया। इसके लिए भी हाथों के प्रयोग के अनेकों तरीकों को नए सिरे से प्रस्तुत कर एक नयी संकल्पना बनाई गयी । और इस अभियान में साबुन बनाने वाली कंपनीयों को भी शामिल किया गया। जिन के प्रयास से जागरूकता बढ़ी। इसी तरह का एक और अभियान रंग ला रहा है वह है ice bucket का देसी version ,rice bucket challenge, इस में ये किया जा रहा कि एक बर्तन भर चावल अपने ऊपर से गिरा कर उन्हें एकत्र कर या तो गरीबों को दान किया जाये या किसी संस्था को दे कर उसे पका कर गरीबों को खिलाया जाये। इस मुहीम में इस के अलावा 100 रूपये की न्यूनतम राशि भी दान की जा सकती है। इस अभियान का समर्थन हॉलीवुड हस्ती माइली सायरस ने किया जिस से ये भी प्रचलित हो रहा है। इस तरह के अभियानों एक chain की आवश्यकता पड़ती है। अर्थात कोई एक कुछ नया करके किसी दूसरे एक या कई को चुनौती देता है जिस से एक कड़ी बनती जाती है और इस तरह ये एक chain के रूप में आगे चलता रहता है। कुछ नामचीन हस्तियों के जुड़ जाने से इस तरह के अभियानों में सामान्य लोग भी जुड़ कर प्रसिद्धि का लालच पूरा कर लेते है। ये एक अच्छी पहल है मदद किसी भी तरीके से या किसी भी रूप में हो वह हमेशा प्रशंसनीय होती है। उसे लोकप्रिय बनाने के लिए कुछ ऐसा करना पड़ता है कि एक सामान्य व्यक्ति भी उस से जुड़ कर खुद को लोकप्रिय मानने लगे। अर्थात एक हाथ लेनी एक हाथ देनी। अतः सार यह है की नेक विचार के प्रसार के लिए कोई स्टैण्डर्ड फार्मूला नहीं है बस लोगों को उसमे जोड़ने के लिए कारगर तरीका आना चाहिए। आज कल लोग हमेशा वह कार्य करने को लालायित रहते है जिसमे उनका नाम हो चाहे वह सही गलत कैसा भी हो इस लिए इन संस्थाओं द्वारा यदि एक सरल सा रास्ता दिखा कर उनके मकसद के साथ अपना मकसद भी पूरा कर लिया तो ये तो सोने पे सुहागा जैसी बात हो गयी। युवा इन मामलों में तो प्रशंसनीय है कि इस तरह की मुहिम का समर्थन करने के लिए समय निकाल ही लेते हैं। जो की आवश्यक भी है और सराहनीय भी।
Truly said....good efforts need to be appreciated
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