उन्मुक्त उड़ान की सीमा ............. !

आकाश में स्वछंद उड़ने का सुख पंछियों से पूछे। उनकी उन्मुक्त उड़ान उनके स्वतंत्र होने और खुली हवा में पर फ़ैलाने का सन्देश देती है। उड़ान का सुख जीवन का वह सुख है जिस का आनंद हर जीवित प्राणी लेना चाहता है। किसे नहीं चाह कि वह ऐसी उड़ान भरे की आकाश की बुलंदियां उसके क़दमों में हों। ऊँचा और ऊँचा उड़ने की चाह , और ऊपर उठाती जाती है। जमीन से फासला बढ़ने के साथ ही औंधे मुँह गिरने का खतरा भी बढ़ जाता है पर फिर भी उड़ान जारी है । एक पतंग को ही ले , ऊँची उड़ान के साथ कटने के खतरे के बावजूद उसे ऊँचा और ऊँचा जाना ही पसंद है तभी ढील पाते है उसका रुख  आकाश की ऊंचाइयों की ओर हो जाता है। पंछी भी उड़ान भरते समय खतरों से वाकिफ रहते होंगे पर और ज्यादा खुली हवा में पर फ़ैलाने के सुख का लालच उन्हें इस ख़ुशी को पाने से नहीं रोक पाता। 
                          उड़ान भरने के कुछ नियम है जो हर उस पर लागू होता है जो इस में रूचि रखता है। पहला ये की उड़ान की गति सीमा या speed limit निर्धारित होनी चाहिए। दूसरा ये की दिशा या क्षेत्र निर्धारित होना चाहिए। तीसरा ये की उड़ान का मकसद या लक्ष्य निश्चित  होना चाहिए। और चौथा और अंतिम ये की आप की उड़ान किसी दूसरे को हानि न पहुंचाए। अगर गहराई में जा कर देखे तो ये नियम पंछियों के साथ हम पर भी उतने ही लागू होते हैं। इसे  इस तरह देखें कि गति सीमा का उलंघन चोट या टकराव की स्थिति उत्पन्न करता है। दिशा या क्षेत्र का निर्धारण मार्ग तय करता है। लक्ष्य का पता होने से हमेशा उसी ओर पंख बढ़ेंगे। और उड़ान ऐसी हो दूसरे के मार्ग की बाधा न बने। इसी सन्दर्भ में देखे की अक्सर पंछियों के कारण हवाई जहाजों को दुर्घटनाग्रस्त होते देखा होगा। मानव के लिए भी इन नियमों की अनदेखी भारी पड़ती है। आज की पीढ़ी को ले तो उनके लिए जीवन में गति सीमा अब एक बंधन के रूप में देखी जाती है। अंधाधुंध दौड़ में सब को पीछे छोड़ आगे भागने  की चाह ने अप्रत्याशित रूप से गति बढ़ा दी है। कभी कभी तो ये भी पता नहीं होता की हम भाग क्यों रहे हैं। बस भागना है इस लिए भाग रहें हैं। दिशा या क्षेत्र तो तब निर्धारित होगा जब अपना विवेक काम करेगा। भेड़ चाल  में बहने वाले ये भी भूल जाते है हर किसी का क्षेत्रफल अलग अलग है। अपना फैलाव या विस्तार यदि समझ पाये तो अवश्य ही लक्ष्य भी तय हो जायेगा। क्यूंकि  जो अपनी पहुँच में हो और जिसे सहजता से पाया जा सके वही सही है। दूसरों की देखा देखी अपने भविष्य के साथ खिलवाड़ उचित नहीं है। जैसे हर पंछी की उड़ान ऊंचाई निर्धारित है यदि वह उससे ऊपर जाने का प्रयास करेगा तो थकेगा भी और संकट में पड़ सकता है। इसी प्रकार अपनी range या limit का अहसास सुरक्षित रखने में मदद करता है। उड़ान से पहले ही गंतव्य का भी पता होना चाहिए। क्या कोई हवाई जहाज बिना गंतव्य तय किये अपनी जगह से निकलता है। इसी प्रकार ये पता होना चाहिए की हमें कहाँ जाना है।   
                  सिर्फ मौज मस्ती के लिए की गयी उड़ान का कोई लक्ष्य नहीं होता। सिर्फ मजे के लिए की गयी उड़ान का ये भी नुकसान है कि इस उड़ान में वही संगी साथी मिलेंगे जो अपने भविष्य के प्रति ईमानदार नहीं होंगे। वर्ना कौन है जो अपने भविष्य को बनाने वाले कामों को छोड़ अनावश्यक उड़ान में समय व्यतीत करे। जो सही मायनों में निष्ठा से अपने लक्ष्य का निर्धारण कर चुकें है उनकी उड़ान में वह सारे गुण होंगे जो उसे सफल बनाने के लिए आवश्यक है। पंछी और मानव में जो प्रमुख भिन्नता है , वह है भविष्य के प्रति जागरूकता की। वर्ना तो दोनों ही उड़ान के प्रति सजग होने की जिम्मेदारी रखते है। सोच और समझ से थोड़ा पीछे रहने के ही कारण पंछी मानव की तरह अपनी उड़ानों को व्यवस्थित नहीं कर पाता जबकि यह गुण मानव में है इस लिए उससे ये नासमझी की उम्मीद क्यों की जाए। उन्मुक्त उड़ान में सुरक्षित रहते हुए तभी आनंदित हो पाएंगे जब सारे नियमों का ईमानदारी से पालन किया जाए। पंछियों को कौन समझाए……… पर उनकी दुर्घटनाओं से सबक ले कर और उसे खुद पर होता महसूस कर ,ये तो हमे समझना है और इसका महत्व जान कर इसे जीवन के साथ ले कर चलना है।

Comments