घृणित सोच से उत्पन्न घृणित संतानें। ……!
वैसे तो ये आवश्यक नहीं की किसी भी घटना के गुजरने के बाद उसका विश्लेषण किया जाए। पर लगातार घट रही एक समान घटनाओं के बोझ से जब मन व्यथित हो जाता है तो उसके समाधान पर अनायास ही विचार करने लगता है। दिल्ली में घटी दो दिन पहले की कैब बलात्कार घटना में जो नए तथ्य सामने आये हैं उस ने व्यक्ति की सोच और गन्दी मानसिकता की पोल खोल दी है। मथुरा जिले के पास के एक गाँव का रहने वाला आरोपी ड्राइवर शिव यादव का जब मनोचिकित्स्कीय परिक्षण किया गया तब उसने जो भी बयान दिए वह विश्वास करने योग्य नहीं हैं। उसके अनुसार वह कामदेव का ही एक रूप है और वह नहीं ,स्वतः युवतियां उसके पास आती हैं। उसने खुद को एक साइको रेपिस्ट माना और ये भी स्वीकार किया कि वह ऐसा कई बार पहले भी कर चुका है। गावं के लोगों द्वारा इस तरह के मुद्दों को दबाने का नाजायज फायदा उसने कई बार उठाया है। गावं के लोग ये स्वीकार करते हैं कि ये व्यक्ति शुरू से ही गन्दी नीयत का था जिस ने गावं की किसी भी लड़की को छेड़े बिना नहीं छोड़ा है। गावं के लोगों के विरोधकरने पर ये बाहर काम करने निकला और 2007 में एक बलात्कार कांड के चक्कर में बंदी बना लिया गया और इसे जेल हो गयी। लेकिन हमारे कानून की महानता तो देखिये ऐसे मानसिकता वाले अपराधी को सिर्फ 7 माह की जेल के बाद बरी कर दिया गया एक और नया शिकार करने के लिए। जो व्यक्ति शुरू से ही ऐसी घृणित सोच रखता हो उसके बारे में तफ्तीश में कोई भी जानकारी हांसिल न हुई हो ये तो सत्य नहीं जान पड़ता। जबकि उसकी केस स्टडी में सभी जगह की जांच पड़ताल की गयी होगी जिस में उस का गावं भी शामिल होगा।
कानून की गलतियां का खमियाजा तो आम जनता भुगतती है पर उस से ज्यादा जरूरी है स्वयं की सजगता। ये भी एक सत्य है की शकल देख कर ये अंदाजा नहीं लगाया जा सकता कि अमुक व्यक्ति स्वभाव से कैसा है ? पर दिन पर दिन गंदे होते समाज में सब से पहले अपनी सुरक्षा की ओर ध्यान देने चाहिये। लड़कियां काम न करें ये भी सही नहीं है पर ऐसा काम चुने जिसमें समय पर घर पहुँचने की सुविधा हो। ये भी एक बेहतर उपाय हो सकता है क अपने स्वयं का वाहन प्रयोग हो तो ज्यादा अच्छा हो। आप ज़माने को तो सुधरने की नसीहत नहीं दे सकते और न ही इन नसीहतों से वह सुधरने वाले। इस लिए बेहतर होगा की अब युवतियां खुद ही अपनी सुरक्षा के लिए जो कुछ भी सोच सकती है वह करें। मैंने कही एक quote पढ़ा था कि जब माँ बहन के अश्लील गाने बनाने और गाने वाला हनी सिंह लड़कियों की पसंद बन जाए , वेश्यावृति की नियत रखने वाली सनी लिओनी ,पूनम पांडेय जैसी लड़कियां लोगो की चहेती बन जाए तब माओं की कोख से गांधी जी और भगत सिंह जैसे महानुभाव पैदा हों ,ये असंभव है। ऐसे में ये गन्दी सोच रखने वाले बलात्कारी ही पैदा होंगे जो हर स्त्री को सिर्फ एक ही नजर से देखंगे , वह है वासना की नजर। ये एक शाश्वत सत्य है और इसे हमें स्वीकार करना होगा। वरना शिव यादव जैसे अनेकों खड़े होंगे हमारी ही बहु बेटियों को नोचने और खसोटने के लिए। हम को ही बदलना होगा क्योंकि यही एकमात्र रास्ता है कुछ नया कुछ सार्थक पाने का। जीवन को यदि खुल कर जीना है तो सब से ज्यादा जरूरी है पहचान की शक्ति बढ़ाने की। अपनी छठी इन्द्रिय को इतना मजबूत बना दीजिये कि हर गलत सही पर वह आप को संकेत दे सके। और उस के आधार पर आगे का मार्ग तय कर सकें।
वैसे तो ये आवश्यक नहीं की किसी भी घटना के गुजरने के बाद उसका विश्लेषण किया जाए। पर लगातार घट रही एक समान घटनाओं के बोझ से जब मन व्यथित हो जाता है तो उसके समाधान पर अनायास ही विचार करने लगता है। दिल्ली में घटी दो दिन पहले की कैब बलात्कार घटना में जो नए तथ्य सामने आये हैं उस ने व्यक्ति की सोच और गन्दी मानसिकता की पोल खोल दी है। मथुरा जिले के पास के एक गाँव का रहने वाला आरोपी ड्राइवर शिव यादव का जब मनोचिकित्स्कीय परिक्षण किया गया तब उसने जो भी बयान दिए वह विश्वास करने योग्य नहीं हैं। उसके अनुसार वह कामदेव का ही एक रूप है और वह नहीं ,स्वतः युवतियां उसके पास आती हैं। उसने खुद को एक साइको रेपिस्ट माना और ये भी स्वीकार किया कि वह ऐसा कई बार पहले भी कर चुका है। गावं के लोगों द्वारा इस तरह के मुद्दों को दबाने का नाजायज फायदा उसने कई बार उठाया है। गावं के लोग ये स्वीकार करते हैं कि ये व्यक्ति शुरू से ही गन्दी नीयत का था जिस ने गावं की किसी भी लड़की को छेड़े बिना नहीं छोड़ा है। गावं के लोगों के विरोधकरने पर ये बाहर काम करने निकला और 2007 में एक बलात्कार कांड के चक्कर में बंदी बना लिया गया और इसे जेल हो गयी। लेकिन हमारे कानून की महानता तो देखिये ऐसे मानसिकता वाले अपराधी को सिर्फ 7 माह की जेल के बाद बरी कर दिया गया एक और नया शिकार करने के लिए। जो व्यक्ति शुरू से ही ऐसी घृणित सोच रखता हो उसके बारे में तफ्तीश में कोई भी जानकारी हांसिल न हुई हो ये तो सत्य नहीं जान पड़ता। जबकि उसकी केस स्टडी में सभी जगह की जांच पड़ताल की गयी होगी जिस में उस का गावं भी शामिल होगा।
कानून की गलतियां का खमियाजा तो आम जनता भुगतती है पर उस से ज्यादा जरूरी है स्वयं की सजगता। ये भी एक सत्य है की शकल देख कर ये अंदाजा नहीं लगाया जा सकता कि अमुक व्यक्ति स्वभाव से कैसा है ? पर दिन पर दिन गंदे होते समाज में सब से पहले अपनी सुरक्षा की ओर ध्यान देने चाहिये। लड़कियां काम न करें ये भी सही नहीं है पर ऐसा काम चुने जिसमें समय पर घर पहुँचने की सुविधा हो। ये भी एक बेहतर उपाय हो सकता है क अपने स्वयं का वाहन प्रयोग हो तो ज्यादा अच्छा हो। आप ज़माने को तो सुधरने की नसीहत नहीं दे सकते और न ही इन नसीहतों से वह सुधरने वाले। इस लिए बेहतर होगा की अब युवतियां खुद ही अपनी सुरक्षा के लिए जो कुछ भी सोच सकती है वह करें। मैंने कही एक quote पढ़ा था कि जब माँ बहन के अश्लील गाने बनाने और गाने वाला हनी सिंह लड़कियों की पसंद बन जाए , वेश्यावृति की नियत रखने वाली सनी लिओनी ,पूनम पांडेय जैसी लड़कियां लोगो की चहेती बन जाए तब माओं की कोख से गांधी जी और भगत सिंह जैसे महानुभाव पैदा हों ,ये असंभव है। ऐसे में ये गन्दी सोच रखने वाले बलात्कारी ही पैदा होंगे जो हर स्त्री को सिर्फ एक ही नजर से देखंगे , वह है वासना की नजर। ये एक शाश्वत सत्य है और इसे हमें स्वीकार करना होगा। वरना शिव यादव जैसे अनेकों खड़े होंगे हमारी ही बहु बेटियों को नोचने और खसोटने के लिए। हम को ही बदलना होगा क्योंकि यही एकमात्र रास्ता है कुछ नया कुछ सार्थक पाने का। जीवन को यदि खुल कर जीना है तो सब से ज्यादा जरूरी है पहचान की शक्ति बढ़ाने की। अपनी छठी इन्द्रिय को इतना मजबूत बना दीजिये कि हर गलत सही पर वह आप को संकेत दे सके। और उस के आधार पर आगे का मार्ग तय कर सकें।
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