कुरीतियों को अनदेखा करते हम............. !
हम कितना भी दम्भ भर ले और खुद को आधुनिक राह पर चलने वाला दिखने का प्रयास कर लें  पर हकीकत कुछ और ही है। आज भी राजस्थान के गावों में बाल विवाह जैसी कुप्रथाएँ जिन्दा है। जिसे हम आप जैसे ही लोग जारी रखें हुए हैं। हम , इसलिए क्योंकि शामिल न होकर भी हम इस के विरोध के लिए कभी भी आगे नहीं आते। जो हो रहा है होने दो, की सोच ने आज भारत में कई तरह की गंदगियों को जन्म दे रखा है। समाज विरोधी तत्वों के लिए ये एक सुनहरे अवसर से कम नहीं की उन्हें टोकने और रोकने के लिए कोई भी आगे आने को तैयार नहीं होता है। सभी सिर्फ इस सत्य में जिए जा रहें है कि जो हमारे पास है वही खास है और हमें  सिर्फ उसी की परवाह करनी है। हाल ही में  राजस्थान के जैसलमेर निवासी एक 17 वर्षीया युवती ने कोर्ट में अर्जी दाखिल की जिस के अनुसार उसके 63 वर्षीय दादा  ने उसका विवाह बालपन में ही 43 वर्ष के प्रौढ़ से करा दिया , जिसे वह ख़ारिज करवाना चाहती है। विवाह स्वीकार करने के लिए दबाव डालने के प्रभाव से उस युवती ने आत्महत्या का भी प्रयास किया। जिसे कोर्ट ने एक साक्ष्य के रूप में स्वीकार करते हुए दादा और कथित पति को जेल भेज दिया। समस्या यही ख़त्म नहीं होती। बल्कि ये एक अनवरत चलता हुआ चक्र है जिसे हम सभी मिल कर धक्का दे रहें हैं और ये  इसी तरह चलायमान रहेगा अगर हम सब ने इस के खिलाफ कुछ नहीं किया। 
            ये आवश्यक नहीं कि सभी एक साथ अच्छे बन जाएँ। ऐसा तो सिर्फ चमत्कार से ही होगा।  पर ये तो हो ही सकता है कि जो थोड़े से लोग अच्छाई पर यकीन करते हैं वह अपनी इस अच्छाई के साथ ऐसे मौकों पर सामने आये जब उनकी सब से ज्यादा जरूरत हो।  ऐसा नहीं कि उस युवती या उस कथित पति के विवाह का आस पास के लोगों को पता न चला हो पर कोई भी बंदा नहीं आया इस का विरोध करने , क्योंकि क्या पड़ी है गैर की आग में कूदने की , यही सोच कर सब अपने दरवाजे बंद किये पड़े रहें। हमे एक बात बहुत अच्छे से और जल्दी समझनी होगी कि जिन भी कुरीतियों को हम अनजाने ही सही , बढ़ावा देते है उनका नकारात्मक असर हमारे ही समाज पर पड़ता है। क्योकि जब भी कभी हम भारत के विकसित होने का दावा करेंगे यही सब उसे फिर से पीछे वापस खींच लेंगी। अच्छे लोगों के लिए ये जरूरी है कि वह अपनी अच्छाई को लोगों के बीच ऐसे मौकों पर आगे रखें जब उनकी सही मायनों में आवश्यकता हो। ऐसी बहुत सी संस्थाए है जो इस तरह की कुरीतियों के  खिलाफ खड़ी है अपनी सारी अच्छाई समेट कर उन्ही के साथ चल देंगे तो भी बहुत कुछ बदल जायेगा। क्योंकि इसी तरह कड़ी से कड़ी जुड़ कर एक चेन बनेगी जो भारत के लिए एक नया अध्याय लिखेगी। हम बदले तो घर, समाज, देश ,दुनिया सभी बदल जायेगा, ये यकीन खुद में रखें और आगे आएं बदलाव जरूर होगा। ये एक शाश्वत सत्य हैं …………!  

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