विकास का नियंत्रित बहाव आवश्यक …… !
किसी नए चलन को जीवन में ढाल लेना अच्छा है। आज बाजार नयी संभावनाओं से भरा है और उस से मन और जीवन को बचाये रखना  असंभव है  क्योंकि समय के साथ बदलाव बहुत जरूरी है।  ठहरा पानी भी कुछ समय बाद बदबू देने लगता है। बहना प्रकृति का सतत नियम है।  पर इस में सबसे ज्यादा जरूरी है कि बहाव की दिशा सही हो।  गलत बहाव या अनियंत्रित बहाव विनाश का प्रतीक होता है। शायद इसी को बाढ़ या सुनामी कहते हैं। ये आज विकास की धारा में बहता मानव नहीं समझ पा रहा है। इसी लिए वह वो गलतियां कर बैठता है जो उसे जीवन भर का दंश दे जाती है। जानते- बुझते ,सोचते - समझते अगर कोई खुद उन रास्तों पर चलना चाहे जो विनाश की ओर जाता हो तो उसे पागलपन नहीं तो और क्या कहेंगे....... 
                      हाल का ही एक किस्सा आप को इस कथन की सच्चाई बयां कर देगा।  एक स्कूल बस जो की पांचवी कक्षा तक के 45 से 50 छोटे बच्चो से भरी थी। रेलवे क्रॉसिंग को पार करते समय ट्रेन की चपेट में आ गयी और तकरीबन सभी बच्चों की मृत्यु हो गयी , कुछ जो बचे वह भी मौत की कगार पर खड़े हैं। इन सब का दोषी कौन है ? क्या वह ड्राइवर जो बस चला रहा था। नहीं, दोषी है आज की आधुनिक प्रगति जिस के हम बंदी बनते जा रहें हैं ……… उस ड्राइवर ने अपने दोनों कानों में ऊँची आवाज में गाने चला कर हेडफोन लगा रखे थे।  जिस से न तो उसे ट्रेन की सीटी सुनायी दी न ही बच्चो के बस रोकने के चिल्लाने की आवाजें।  एक पल में सब कुछ ख़त्म ……कई मासूम जिंदगियां ,कई परिवारों का सुख , माता पिता की उम्मीदें। आज आप जब कभी भी सड़क पर निकले आप को इस तरह हैडफ़ोन लगाये हुए अनेकों नौजवान मिल जाएंगे जो कि अपनी जान की बिना परवाह किये सड़कों पर गाड़ी दौड़ाते रहते हैं। आखिर कान तो भगवन ने दो ही दिए हैं या तो गाने ही सुन लो या पीछे से आ रही दूसरी गाड़ी का हॉर्न।  भागते दौड़ते  गाने सुनने का क्या मजा , जो चीज पसंद है उसका मजा अकेले में आराम से लो न किसने मना किया हैं।  जिस दिन युवाओं को ये समझ आ जायेगा कि उनके जीवन पर उन्हें जीवन देने वाले का देने वाले का हक़ ज्यादा है।  शायद उस दिन उनमे सुधार आ जाये। लेकिन ऐसा हो तो … अंधी विकास की दौड़ में आज का युवा वर्ग सबसे बड़ी जो गलती कर रहा है वह है अपने जीवन से खिलवाड़। जो जीवन बड़ी ही नेमत से परमात्मा ने दिया है और जिस के लिए हमें उसका हमेशा शुक्रिया अदा करना चाहिए। जो कुछ भी आज आप के आस पास है उसका सुख तभी भोग पाओगे जब संसार में जीवित रहोगे। और जब जीवन से प्यार कर के उसे सुरक्षित बना कर चलोगे तो अपने आप ही परमात्मा तुम्हे और भी असीम सुख से भर देगा। 
                                               जीवन अनेकों विलोमों से भरा हुआ है जिस में से सही चुनना ही बुद्धिमानी कहलाता है।  जैसे ऊँचा नीचे , खट्टा मीठा ,सही गलत ,दिन रात , धर्म अधर्म , आदान प्रदान आदि बहुत सारों  में से परिस्थिति और समय के अनुरूप उचित चुनना खुद को सही राह पर चलाये रखना है। जैसे एक छोटे से उदहारण से समझिए मधुमेह का रोगी यकीनन मीठे के बजाये खट्टे को ही चुन कर जीवन की रक्षा करेगा।  इसी तरह आवश्यकतानुसार सही का चुनाव जीवन भर के लिए सुख , सावधानी और सफलता लाता है।………

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