Hanging wishes on the door.........!
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आज क्रिसमस है। प्रभु यीशु को याद कर उनकी तरह मानवता को गले लगाने का दिन। आप किसी भी धर्म के हों या किसी को भी ईश्वर के रूप में पूजते हों , मेरा ऐसा मानना है कि कोई भी पर्व जो आप को और आप के परिवार को ख़ुशी दे ,चाहे वह किसी भी धर्म का हो जरूर मनाना चाहिए।क्या आप ऐसा मानते है कि दूसरे धर्म के होने के कारण किसी को ईद की सेवइयां या गुरूद्वारे का लंगर का स्वाद कम लगेगा, बिलकुल नहीं। ऐसा करने से जो दो सबसे अच्छी बात होगी वह ये की आप के बच्चे खुश होंगे और उन्हें दूसरे धर्मों में रूचि पैदा होगी । मैं हर वर्ष अपनी बेटियों को सांता के नाम से तोहफा दे कर खुश करती हूँ। इस कारण उन्हें पूरे वर्ष क्रिसमस का इन्तजार रहता है कि सांता आएंगे और तकिये के सिरहाने कोई छोटा ही सही, पर तोहफा जरूर रख कर जाएंगे। क्रिसमस की पूर्व संध्या पर दरवाजे की कुण्डी पर मोजा लटका कर उसमें अपनी wish की पर्ची डालते देखना कितना सुखद लगता है कि मन करता है कि चलो हम भी बच्चे बन कर सांता से कोई अच्छी सी मनपसंद wish मांग लें। यही सब जीवन के सुख हैं। जिन्हे बच्चे जी भर के जीते हैं और हम बड़े तेरे मेरे में उलझ कर इन छोटी छोटी खुशियों को खो देते हैं। ऐसा नहीं की सांता सिर्फ बच्चो के लिए ही थैले में भरकर खुशियां लाते हैं। उनके पास बड़ों के लिए भी बहुत कुछ होता है पर हम बच्चो की तरह कुहुक कर, बच्चे बन कर दरवाजे पर मोजा जो नहीं टांगते। हमने ये जो मान लिया है कि सांता होते ही नहीं है ………गलत। एक बार दरवाजे पर मोज़े में डालकर wish लटका कर तो देखें। क्या पता हर सुख दुःख को घर में प्रवेश दिलाने वाला मुख्य दरवाजा ही आप की इच्छा पढ़ ले और आगे सब अच्छा और आप की मर्जी का हो। मुझे नहीं लगता कि बच्चा बनकर खुशियों की ओर कदम बढ़ाने में कोई शर्मिंदगी होनी चाहिए और इस के लिए कोई भी मौका मिले ,बच्चों की तरह मचलिए और झपट लीजिये………।
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आज क्रिसमस है। प्रभु यीशु को याद कर उनकी तरह मानवता को गले लगाने का दिन। आप किसी भी धर्म के हों या किसी को भी ईश्वर के रूप में पूजते हों , मेरा ऐसा मानना है कि कोई भी पर्व जो आप को और आप के परिवार को ख़ुशी दे ,चाहे वह किसी भी धर्म का हो जरूर मनाना चाहिए।क्या आप ऐसा मानते है कि दूसरे धर्म के होने के कारण किसी को ईद की सेवइयां या गुरूद्वारे का लंगर का स्वाद कम लगेगा, बिलकुल नहीं। ऐसा करने से जो दो सबसे अच्छी बात होगी वह ये की आप के बच्चे खुश होंगे और उन्हें दूसरे धर्मों में रूचि पैदा होगी । मैं हर वर्ष अपनी बेटियों को सांता के नाम से तोहफा दे कर खुश करती हूँ। इस कारण उन्हें पूरे वर्ष क्रिसमस का इन्तजार रहता है कि सांता आएंगे और तकिये के सिरहाने कोई छोटा ही सही, पर तोहफा जरूर रख कर जाएंगे। क्रिसमस की पूर्व संध्या पर दरवाजे की कुण्डी पर मोजा लटका कर उसमें अपनी wish की पर्ची डालते देखना कितना सुखद लगता है कि मन करता है कि चलो हम भी बच्चे बन कर सांता से कोई अच्छी सी मनपसंद wish मांग लें। यही सब जीवन के सुख हैं। जिन्हे बच्चे जी भर के जीते हैं और हम बड़े तेरे मेरे में उलझ कर इन छोटी छोटी खुशियों को खो देते हैं। ऐसा नहीं की सांता सिर्फ बच्चो के लिए ही थैले में भरकर खुशियां लाते हैं। उनके पास बड़ों के लिए भी बहुत कुछ होता है पर हम बच्चो की तरह कुहुक कर, बच्चे बन कर दरवाजे पर मोजा जो नहीं टांगते। हमने ये जो मान लिया है कि सांता होते ही नहीं है ………गलत। एक बार दरवाजे पर मोज़े में डालकर wish लटका कर तो देखें। क्या पता हर सुख दुःख को घर में प्रवेश दिलाने वाला मुख्य दरवाजा ही आप की इच्छा पढ़ ले और आगे सब अच्छा और आप की मर्जी का हो। मुझे नहीं लगता कि बच्चा बनकर खुशियों की ओर कदम बढ़ाने में कोई शर्मिंदगी होनी चाहिए और इस के लिए कोई भी मौका मिले ,बच्चों की तरह मचलिए और झपट लीजिये………।
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