बढ़ती ईमानदारी की प्रवृति का संकेत… !

एक खुशखबर का स्वागत है हम ईमानदारी में थोड़ा सुधरे हैं। विश्व में भ्रष्टाचार का विश्लेषण करने वाली एक संस्था TRANSPARENCY INTERNATIONAL ने 2014 के सर्वे के अनुसार एक रिपोर्ट तैयार की है। जिस में भारत की स्थिति पहले से 2 % सुधर कर 36 स 38 % पर आ गयी है। इसे नयी सरकार का जादू कहें या लोगो में बढ़ती ईमानदारी ,जो भी हो कुछ अच्छा हो तो शाबासी तो बनती है। इस रिपोर्ट को तैयार करते समय 0 से 100 तक का ग्राफ तैयार किया गया जिस में 100 % पूरी ईमानदारी का, जबकि 0 % भ्रष्ट और बेईमानियत का परिचायक है । इस रिपोर्ट के जरिये ये भी सत्य सामने आया की किसी भी देश के अंक 100 % नहीं है। फिर भी 90 का आकंड़ा छूने वाले देशों में डेनमार्क और न्यूजीलैंड में ईमानदारी की दर सबसे ज्यादा हैं। सबसे ज्यादा भ्रष्ट देशों में उत्तरी कोरिया और सोमालिया शामिल है जिन्हे सिर्फ 8 % रैंकिंग मिली। निरंतर रैंकिंग गिराने वाले वाले देशों में चीन ,तुर्की ,अंगोला आदि है जिनके गिरने का % करीब 5 से भी ज्यादा है। ऐसे में भारत की रैंकिंग सुधरना एक अच्छा संकेत हैं। सुधार करने वाले देशों में मिस्र का भी नाम है जो की 3 % का सुधार कर 32 से 35 पर आ गया।
ये तो आप मानते ही होंगे की विकास और उन्नति के लिए सरकारों से ज्यादा जनता जिम्मेदार होती है। जनता में वह सभी आते है जो हमारे आस पास काम पर लगे है क्योंकि आज यदि वो किसी का काम करते हैं तो उन्हें भी अपने कामों के लिए दूसरों की जरूरत पड़ती है। और यदि हर काम करने वाला इसी सोच के साथ ईमानदारी बरते तो देश तो ईमानदार बनेगा ही। कितनी भी भूख लगी हो पर खाना उतना ही खा सकते हो जितना पेट गवाही देगा ,और साथ में रोटी ही भूख मिटाएगी। ऐसे में लम्बी चौड़ी विरासत इकट्ठी कर लेना कि बच्चो के काम आएगी ये कहाँ तक सही है। ऐसे में हम बच्चो को ये सीख दे रहे हैं की काम की कोई आवश्यकता नहीं , बैठ कर खाओ। एक कहावत है पूत कपूत तो क्या धन संचय ,पूत सपूत तो क्या धन संचय..........अर्थात यदि बच्चा नालायक निकल गया तो अरबों खरबों की पूंजी भी उड़ा देगा , यदि बच्चा लायक निकल गया तो अपने जीने भर का बेहतर इन्तेजाम वह खुद ही कर लेगा। इस लिए सब से ज्यादा जरूरी अगर कुछ है तो वह ये की अपने बच्चो के भविष्य बनाने पर जोर दिया जाए। ये एक शाश्वत सत्य है कि जब भी आप ने बच्चो को ज्यादा सुख सुविधाओं का आदी बना दिया उनकी काम और परिश्रम से रूचि हटने लगती है। ऐसे में सिर्फ आप के जोड़े धन की बदौलत उनकी पूरी जिंदगी कट जाए ये असंभव है। जीवन की कुछ basic needs होती है जिन्हे पूरा करना ही गृहस्थी कहलाता है। हर गृहस्थ अपने परिवार के लिए काम करता है पर ये काम जब मूलभूत आवश्यकताओं से उपर जाने लगता है वही से बेईमानी शुरू होती है। अनंत इच्छाओं की पूर्ति के लिए व्यक्ति अपने आत्मसम्मान को दरकिनार कर वह सब करने लगता है जो देश और समाज के लिए घातक होते हैं। इसी सब से देश के प्रति लोगों की रूचि घटती है और स्व प्रेम के आगे बेबस हर व्यक्ति बेईमानी के दलदल में घुसता चला जाता हैं। जो देश आज ईमानदारी के स्तर में आगे है उनका विश्लेषण करें तो ये पाएंगे कि ईमानदारी की भावना सिर्फ काम से ही नहीं जुडी है बल्कि हर किसी को मन से, कर्म से और विचार से ईमानदार होना पड़ेगा। आप समाज के बीच रहकर रोजमर्रा के जीवन की दैनिक क्रियाकलापों में कितनी ईमानदारी दिखाते है ये साबित करेगा की देश वाकई ईमानदार है। एक दिन, सिर्फ एक दिन सुबह जागने के बाद खुद से प्रण करें की आज मैं हर कार्य के प्रति अपनी पूरी ईमानदारी रखूँगा और यदि कोई मेरे सामने बेईमानी करेगा तो उसे उसकी गलती का अहसास जरूर कराऊंगा। देखिएगा उस दिन आप शाम को कुछ सार्थक कर पाने की ख़ुशी ले कर घर लौटेंगे। प्रयास करने में तो कुछ नहीं जाता इस लिए एक प्रयोग के तौर पर ही आजमाएं अच्छा लगेगा………। शायद इसी बहाने सब को ईमानदारी की अच्छी लत लग जाए।

एक खुशखबर का स्वागत है हम ईमानदारी में थोड़ा सुधरे हैं। विश्व में भ्रष्टाचार का विश्लेषण करने वाली एक संस्था TRANSPARENCY INTERNATIONAL ने 2014 के सर्वे के अनुसार एक रिपोर्ट तैयार की है। जिस में भारत की स्थिति पहले से 2 % सुधर कर 36 स 38 % पर आ गयी है। इसे नयी सरकार का जादू कहें या लोगो में बढ़ती ईमानदारी ,जो भी हो कुछ अच्छा हो तो शाबासी तो बनती है। इस रिपोर्ट को तैयार करते समय 0 से 100 तक का ग्राफ तैयार किया गया जिस में 100 % पूरी ईमानदारी का, जबकि 0 % भ्रष्ट और बेईमानियत का परिचायक है । इस रिपोर्ट के जरिये ये भी सत्य सामने आया की किसी भी देश के अंक 100 % नहीं है। फिर भी 90 का आकंड़ा छूने वाले देशों में डेनमार्क और न्यूजीलैंड में ईमानदारी की दर सबसे ज्यादा हैं। सबसे ज्यादा भ्रष्ट देशों में उत्तरी कोरिया और सोमालिया शामिल है जिन्हे सिर्फ 8 % रैंकिंग मिली। निरंतर रैंकिंग गिराने वाले वाले देशों में चीन ,तुर्की ,अंगोला आदि है जिनके गिरने का % करीब 5 से भी ज्यादा है। ऐसे में भारत की रैंकिंग सुधरना एक अच्छा संकेत हैं। सुधार करने वाले देशों में मिस्र का भी नाम है जो की 3 % का सुधार कर 32 से 35 पर आ गया।
ये तो आप मानते ही होंगे की विकास और उन्नति के लिए सरकारों से ज्यादा जनता जिम्मेदार होती है। जनता में वह सभी आते है जो हमारे आस पास काम पर लगे है क्योंकि आज यदि वो किसी का काम करते हैं तो उन्हें भी अपने कामों के लिए दूसरों की जरूरत पड़ती है। और यदि हर काम करने वाला इसी सोच के साथ ईमानदारी बरते तो देश तो ईमानदार बनेगा ही। कितनी भी भूख लगी हो पर खाना उतना ही खा सकते हो जितना पेट गवाही देगा ,और साथ में रोटी ही भूख मिटाएगी। ऐसे में लम्बी चौड़ी विरासत इकट्ठी कर लेना कि बच्चो के काम आएगी ये कहाँ तक सही है। ऐसे में हम बच्चो को ये सीख दे रहे हैं की काम की कोई आवश्यकता नहीं , बैठ कर खाओ। एक कहावत है पूत कपूत तो क्या धन संचय ,पूत सपूत तो क्या धन संचय..........अर्थात यदि बच्चा नालायक निकल गया तो अरबों खरबों की पूंजी भी उड़ा देगा , यदि बच्चा लायक निकल गया तो अपने जीने भर का बेहतर इन्तेजाम वह खुद ही कर लेगा। इस लिए सब से ज्यादा जरूरी अगर कुछ है तो वह ये की अपने बच्चो के भविष्य बनाने पर जोर दिया जाए। ये एक शाश्वत सत्य है कि जब भी आप ने बच्चो को ज्यादा सुख सुविधाओं का आदी बना दिया उनकी काम और परिश्रम से रूचि हटने लगती है। ऐसे में सिर्फ आप के जोड़े धन की बदौलत उनकी पूरी जिंदगी कट जाए ये असंभव है। जीवन की कुछ basic needs होती है जिन्हे पूरा करना ही गृहस्थी कहलाता है। हर गृहस्थ अपने परिवार के लिए काम करता है पर ये काम जब मूलभूत आवश्यकताओं से उपर जाने लगता है वही से बेईमानी शुरू होती है। अनंत इच्छाओं की पूर्ति के लिए व्यक्ति अपने आत्मसम्मान को दरकिनार कर वह सब करने लगता है जो देश और समाज के लिए घातक होते हैं। इसी सब से देश के प्रति लोगों की रूचि घटती है और स्व प्रेम के आगे बेबस हर व्यक्ति बेईमानी के दलदल में घुसता चला जाता हैं। जो देश आज ईमानदारी के स्तर में आगे है उनका विश्लेषण करें तो ये पाएंगे कि ईमानदारी की भावना सिर्फ काम से ही नहीं जुडी है बल्कि हर किसी को मन से, कर्म से और विचार से ईमानदार होना पड़ेगा। आप समाज के बीच रहकर रोजमर्रा के जीवन की दैनिक क्रियाकलापों में कितनी ईमानदारी दिखाते है ये साबित करेगा की देश वाकई ईमानदार है। एक दिन, सिर्फ एक दिन सुबह जागने के बाद खुद से प्रण करें की आज मैं हर कार्य के प्रति अपनी पूरी ईमानदारी रखूँगा और यदि कोई मेरे सामने बेईमानी करेगा तो उसे उसकी गलती का अहसास जरूर कराऊंगा। देखिएगा उस दिन आप शाम को कुछ सार्थक कर पाने की ख़ुशी ले कर घर लौटेंगे। प्रयास करने में तो कुछ नहीं जाता इस लिए एक प्रयोग के तौर पर ही आजमाएं अच्छा लगेगा………। शायद इसी बहाने सब को ईमानदारी की अच्छी लत लग जाए।
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