बराबरी का प्रतिदान.............!
चलिए आज एक ऐसे विषय पर चर्चा करते हैं जो हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा तो है पर न तो हमने उसके  बारे में कभी ध्यान से सोचा न ही उसकी प्रतिक्रियाओं पर ध्यान दिया। हम सभी अपने परिचितों के बुलावे पर  उनके घर आयोजित समारोह में शिरकत लेने जाते हैं और इसी तरह हमारे घर भी मेहमान समारोह में भाग लेते हैं।  ये दुतरफा प्रक्रिया है जिस से रिश्ते मजबूत होते हैं और एक दूसरे की खुशियों का हिस्सा बनने का मौका  मिलता है। हम सभी की खुशियां तभी सफल है जब उन्हें सराहने वाला कोई हो। अकेले क्या उछलना और कूदना ?   हम अपने जीवन के तमाम ताम झाम जुटाते ही इसलिए हैं कि लोग उन्हें देखें और हमारी प्रशंसा करे। इसी लिए हम ऐसे अयोजनों का आयोजन करते हैं। इन आयोजनों में उपहारों का आदान प्रदान भी एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। जो प्रेम के साथ संबधों को चिरकालीन बनाने में मदद करती है। आज मेरी बारी तो कल तेरी , इसी के साथ मिलना जुलना निरन्तर बना रहता है।  एक संपूर्ण सामाजिक जीवन जीने के लिए ये आवश्यक भी हैं। 
             अब मुख्य मुद्दे की बात करें कि ये एक सामान्य सी लगने वाली बात है कि उपहार मिलने के बाद उसकी कीमत  का अंदाजा लगाया जाए। ताकि जब हमारी देने की बारी आये तब हम उसी कीमत का उपहार वापस दे सकें। देखा जाए तो ये आवश्यक भी है ताकि लेन देन का balance बना रहे। पर जो सोचने का विषय है वह ये की हम सिर्फ उस उपहार की कीमत का अंदाजा लगाते है जो की हमारे हाथ में आता है । कोई भी अपने घर से किस परिस्थिति में निकला , उसने आने जाने पर कितना खर्च किया ,आप के घर सुविधा या असुविधा के बीच उसने कैसे सामंजस्य बिठाया , या आप के आयोजन का हिस्सा बनने के लिए उसने कितनी विषम परिस्थितियों के बीच समय काटा ,ये कभी नहीं मापा जाता।  जबकि ऐसा होना चाहिए। यदि कोई 500 का उपहार लाता है और वह इतनी दूर से यात्रा कर के आया है कि सफर में ही उसके 1000 रुपये से ज्यादा ख़र्च हो गए हैं तो हमें ये मानना चाहिए की उसने 1500 का तोहफा दिया है। आप के आयोजन की महत्ता और संबंधों की कीमत उसने जानी  और वह अपने व्यस्त दिनचर्या में से समय निकल कर आया, ये महत्वपूर्ण माना जाना चाहिए। अपना घर दुनिया में सब से ज्यादा सुकून  देने वाली जगह है और उसको त्याग कर कोई दूसरे की भावनाओं को importance दे ,ये count किया जाना चाहिए। आर्थिक जद्दोजहद के बीच पिसती दुनिया में आने वाले के समूचे खर्च का आंकलन अति आवश्यक है।  तभी बराबरी का मामला बैठेगा। इस से सामने वाला भी प्रसन्न हो कर आप के आने वाले आयोजनो का इंतजार करगा। इस लिए इस मुद्दे पर ध्यान दे कर अपने परिचितों को प्रसन्न और करीब रखा जा सकता है। 

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