जेनज़ी की खूबसूरत सोच

जेनज़ी की खूबसूरत सोच : 

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पिछले लेख में हमने तानाशाही के विरुद्ध नेपाल के जेनज़ी के प्रोटेस्ट का विवरण पढ़ा। आज उनकी ताकत का आँकलन करते हैं। 

जेनज़ी वह कौम है जो जनरेशन जेड के नाम से भी जानी जाती है। जो 1997 से 2012 के बीच पैदा हुए।  ये लोग तकनीकी युग में उसके साथ खुद को विकसित होते देखते हैं। जिनके पास स्मार्ट फ़ोन है। लैपटॉप है। आईपैड है। और इन सब से परे एक मजबूत सोशल नेटवर्किग माध्यम है। जिसके जरिये ये दूसरों की सुन सकते है। अपनी कह सकते है। चूंकि ये लोग डिजिटल दुनिया में बड़े हुए हैं, इसलिए तकनीक का इस्तेमाल करना इनके लिए बहुत आसान है।  जेनज़ी विविधता को बहुत महत्व देते हैं और पुरातन में नए की समावेशन की बात करते हैं। ये जेनज़ी पीढ़ी सोशल मीडिया पर बहुत सक्रिय रहती हैं और अपने विचारों को वहां खुलकर रखते हैं।  जेनज़ी बदलाव की बातें करते हैं क्योंकि उन्हें नया achive करने की चाह रहती है चाहे वो सामाजिक मुद्दों में हो या अपने करियर सम्बंद्धि । ये basic सी जानकारी है जो जेनज़ी के बारे में लगभग सभी जानते हैं । 

पर नेपाल के जेनज़ी ने जो किया वो बताने लायक बात है। पहले तो वो बेरोजगारी, आर्थिक असमानता, नेताओं की अय्याशी, नेपो किड्स का शोऑफ़ जैसे बहुत से जरूरी मुद्दों से तंग आकर सड़क पर उतर गए। उन्होंने नेताओं के साथ बदसलूकी की। सरकारी तंत्र को नुकसान पहुंचाया। सड़कों पर उपद्रव किया। ये सब इसलिए हुआ क्योंकि उनकी तकलीफ़ कोई नहीं सुन समझ रहा रहा। और अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ता। इसलिए वो हुजूम में सड़क पर उतरे और गद्दी पर बैठे निरंकुश नेताओं को उनकी औकात दिखा दी। वह सब भाग गए। संसद सूनी ही गयी। 

अगले दिन वह सब फिर सड़क पर उतरे। अब कोई तोड़ फोड़ नहीं । कोई गुस्सा नहीं। कोई बदला नहीं।  बस पहले जो तोड़ा फोड़ा था उसे सही करने के लिए आये । एक ग्रुप सड़क पर झाड़ू लगा रहा। कोई डिवाइडर और सड़क की पट्टियां पेंट कर रहा। कोई सड़क के किनारे डस्ट बिन्स लगा रहा। कोई कचरा इकट्ठा करके उसमें डाल रहा। कोई कुचले गए पेड़ों की जगह नई पौध लगा रहा तो कोई बचे हुए पेड़ों को पानी दे रहा। कोई पानी का पाइप लेकर सड़कों को धो कर साफ कर रहा है। ये सब उन्होंने इसलिए किया क्योंकि उन्हें ये अहसास था कि एक दिन पहले उन्होंने क्रोध में अपनी ही संपत्ति का नुकसान किया। उसे ठीक भी वही करेंगे। ये अहसास वाकई एक खूबसूरत अहसास है। 

जो लोग जेनज़ी को selfish और self centered कहते हैं। उनको ये देखना चाहिए कि वो भी अपने आसपास सब कुछ अच्छा चाहते है। बशर्ते बड़े उस अच्छे का बड़े होने के नाते नाजायज फायदा ना उठाये। उन्हें भी पता है कि जो कुछ उनके आसपास है कल वो उनके साथ रहेगा। उन्होंने अपनी जो ताकत बिगाड़ने में लगाई उसी को बाद में सवारने में इस्तेमाल किया। तारीफ़ के काबिल तो वो है। जिन्होंने आज हम बड़ों को अपनी गलतियां सुधारने और नए सिरे से जीने का सलीका सिखाया। बहुत खूब बच्चों...जज्बे को सलाम है। 

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