हँसी को छुपाकर
हँसी को छुपाकर :
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अपनी हंसी को बेवज़ह छुपाकर बर्बाद ना कर
तक़दीर में जो नहीं है उसकी फरियाद ना कर
ज़िन्दगी जैसी मिली है उसे वैसे ही जीना होगा
जो कुछ मिलना लिखा ही नहीं उसे याद ना कर
कुछ ख़्याल अपना भी रखा करो वक्त बेवक्त
मन के घाव सूखने दो उसे ढँककर मवाद ना कर
बहुत से ख़्वाब अधूरे रहने के लिए बने होते हैं
उन्हें भ्रम ही रहने दो हकीकत में आबाद ना कर
ज़िन्दगी में नजदीकी और फासलें दोनों होंगे पर
जबर्दस्ती जुड़कर बैर बढ़ाने का फसाद ना कर
गलतफहमियां चुप्पीयों से बढ़ जाती है अक्सर
बिना मशवरे कोई बेवजह सी राय ईजाद ना कर
कोई गर जुड़ना चाहता ही नहीं तो रहने देते हैं
थोड़े दिन की दूरी रख उससे कोई संवाद ना कर
अपनी हंसी को बेवज़ह छुपाकर बर्बाद ना कर !
~ जया सिंह~
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