बहुत और जरा सा

बहुत और ज़रा सा : 

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बहुत सारा गलत कितना होता है

जरा सी सही से बस थोड़ा कम होता है

बहुत सारा गम कितना होता है..

जरा सी खुशी से बस थोड़ा कम होता है

बहुत सा अंधेरा कितना होता है

जरा से उजियारे से थोड़ा कम होता है

बहुत सारी हार कितनी  होती है

जरा सी जीत से बस थोड़ी कम होती है

बहुत सा अपराधबोध कितना होता है

जरा सा स्वीकृति से बस थोड़ा कम होता है

बहुत सारा अहंकार कितना होता है

जरा से पश्चाताप से बस थोड़ा कम होता है

बहुत सारी निराशा कितनी होती है

जरा सा आशान्वित होने से थोड़ा कम होती है

बहुत सारी विरक्ति कितनी होती है

जरा से लगाव से बस थोड़ा कम होती है

इस बहुत और जरा से के अंतर को

पाट कर देखो तुम्हारी दुनिया बदल जाएगी

जान जाओगे कि जीवन में सुख

बस खुद पर रहमोकरम से कम होता है....!!

                        जया सिंह 

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