जब प्रेम की बातेँ
जब प्रेम की बातें ...!!
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होगा कभी ऐसा जब प्रेम की बातें
बस स्मृतियों में रह जाएगी
अंतहीन मौन और प्रतीक्षा की पीड़ा
फिर हमारे हिस्से में आएगी
एक रिक्तता भर शेष रह जायेगी जो
सोख लेगी जीवन का उल्लास
जीने की हुलस औपचारिकता बनकर
साँसों की लय को चलायेगी
साथ रहेगा वो विरह जो देह में ही नही
अंतरात्मा में भी बस जाएगा
इच्छाशक्ति टूट टूटकर हर बार खुद को
किसी तरह खड़ा होना दिखाएगी
हमारा आस्तित्व कोई मायने नहीं रखता
ये जगजाहिर था बस हमें नहीं पता
भुलावे,भ्रम की मृगमरीचिका में फंसाकर
जिंदगी और कितना उलझायेगी
~ जय सिंह ~
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