कर्मों के हिसाब के लेखाकार : चित्रगुप्त

कर्मों के हिसाब के लेखाकार : चित्रगुप्त

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 ऐसा मानते है कि भगवान ने प्रत्येक मनुष्य के हर छोटे-बड़े कर्म का हिसाब रखने के लिए चित्रगुप्त को नियत किया है।  कई बार यह सवाल उठता है कि दुनिया में करोड़ों की जनसंख्या है तो फिर चित्रगुप्त के पास सबका हिसाब कैसे रहता होगा ? ?  

हमारे जीवन में कर्मों का हिसाब किताब रखने वाले ये चित्रगुप्त कौन हैं ?  (चित्र + गुप्त) अर्थात हमारे हर भाव, भावना, वृत्ति और कर्म का गुप्त रूप से चित्र खींचकर उसका दस्तावेज या प्रमाण रखने वाले। ये चित्रमय प्रमाण कुछ तो जन्म से निर्धारित हो जाते हैं। कुछ जीवन में करने वाले कर्मों से नियत होते हैं। हमारे जीवन में ये फिल्म की रील की तरह पेश होता है। और जब साक्ष्य समक्ष हो तो फिर कोई यह नहीं कह सकता कि यह कर्म मेरा नहीं है या ऐसी गलत वृत्ति और भावना मेरी नहीं है।

जैसे आज की दुनिया में किसी व्यक्ति के कर्मों का स्टिंग ऑपरेशन किया जाता है तो वह इनकार नहीं कर सकता ठीक इसी प्रकार हम सभी में एक गुप्त कैमरा लगा है, जो हर कर्म का चाहे कोई देखे या ना देखे, हर पल गुप्त स्टिंग ऑपरेशन करता रहता है।  तभी तो दुनिया में कहा जाता है कि व्यक्ति अपने आप से नहीं छुप सकता। हर व्यक्ति में एक चित्रगुप्त है जो कभी गलत हिसाब किताब नहीं रखता।  इसलिए कर्म करते हुए मनुष्य यह ना सोचे कि मुझे कोई नहीं देख रहा बल्कि हर कर्म करते समय किस वृत्ति से किया, किस भाव से किया, उन सब बातों का भी चित्र संस्कारों में ऐसा समा जाता है, जो मिटाए मिट नहीं सकता।

जब मनुष्य शरीर त्याग करता है तो संस्कारों में पड़े चित्रों की फाइल चित्रगुप्त खोल कर रख देता है। मनुष्य के एक-एक कर्म के सारे चित्र मैग्नीफाइड होकर उसके सामने स्पष्ट और भयंकर रूप में नजर आते हैं। उस कर्म को करते समय कि उसकी मनोवृति और भावनाएं भी बहुत स्पष्ट दिखाई देती हैं। गलत कर्मों के लिए क्षमा का सागर भगवान तो क्षमा कर देता है लेकिन आत्मा अपने कर्मों का चित्र देखकर खुद को क्षमा नहीं कर पाती। जब हम स्वयं को क्षमा नहीं कर पाते तो उन कर्मों को स्वीकार करते हैं और उन बुरे कर्मों का फल भोगने के लिए संसार में पुनः पुनः आते हैं। अपने कर्मों के आधार पर ही आत्मा स्वयं अपने आने वाले जन्मों की भावी या होनी को निश्चित करती है, जिससे फिर वह भाग नहीं सकती। तभी कहते हैं कि भावी या होनी टाले नहीं टलती। 

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