मंदिर का घण्टा

 मंदिर का घण्टा :  

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मंदिर में यूँ ही सजावट के वास्ते ही घण्टे नहीं लगाए जाते। वहां लगे घण्टों का विशेष महत्व होता है। जिसमें से कुछ कारण प्रमुख हैं : 

मानते हैं कि समस्त देवता ज्यादातर समय ध्यानावस्था में ही रहते हैं। जब हम किसी के भी घर जाते हैं तो call bell बजाकर उनको अपने आने की सूचना देते हैं। इसी प्रकार मंदिर में पहुंचने के पश्चात ईश्वर को हम उनके दर पर प्रार्थनारत होने की सूचना देते हैं। ईश्वर पल भर को अपनी ध्यानावस्था से हट कर हमारी प्रार्थनाओं व निवेदन पर ध्यान देंगे इस उम्मीद के साथ हम घण्टा बजाते हैं। 

दूसरा कारण है घण्टे की ध्वनि ईश्वरीय अनुभूति उत्पन्न करती हैं। घण्टे को बजाने के कुछ क्षण बाद जो "म" की ध्वनि गुंजायमान रह जाती है वह ॐ के "म" की ध्वनि रहती है जो हमारी प्रार्थनाओं की तरंगें यूनिवर्स में बिखराती है। इस ध्वनि से हमारी अंतरात्मा को शांति और सुकून भी मिलता है। 

तीसरा कारण है कोई भी सकारात्मक ध्वनि की तरंगें आसपास की नकारात्मकता को खत्म करती है। इसे उदाहरण से समझने के लिए देखें कि स्पाइडर मैन नामक फ़िल्म में  नायक टॉबी मैकगुइरे और खलनायक वेनम के बीच की fight में ये दिखाया गया कि कैसे नायक वेनम को steel की rods से आवाज़ें करता हुआ उसकी नकारात्मक शक्तियां कम करता है और फिर उसे नियंत्रण में रखने की कोशिश करता है । फिर उसे वो उस स्टील rods का एक घेरा बनाकर उसे बंदी बना लेता है। और अंततः उसी घेरे में उसका ख़ात्मा कर देता है। 

इसीलिए हमें भजन सुनना , या कोई मंत्र या श्लोक का उच्चारण सुकूँ देता है। क्योंकि तब हम अपनी सारी negativity भूल कर बस ईश्वरीय तरंगों से जुड़ने लगते हैं।यही कारण है कि हर मंदिर में घण्टे लगे होते हैं।

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