मिला तो सही पर मिला नहीं
मिला तो सही पर मिला नहीं :
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ख़ुशी भी यही है और गिला भी यही
ये बात हमने अब तक कभी न कही
वो हमें मिला तो सही पर मिला नहीं
तुम क्या जानो आधे अधूरे मिलने की
कसक से बहुत सी ख्वाहिशें बेमज़ा रही
ये अहसास होये कि हम एक ही तो हैं
बस यही एक आस अन्दर जिन्दा रही
कितनी ही बार अंतस में इन चाहतों की
प्रबल वेग से भावनाओं की नदियां बही
पर हम समन्दर के किनारों की तरह हैं
जहां की रेत लहरों के साथ बहकर भी
उसके संग न जा सकी....वहीं पर रही
तभी तो क़िस्मत से पूछ रहे है हम कि
बता दो की कौन गलत और कौन सही
ये बात हमने अब तक कभी ना कहीं
कि हमें मिला तो सही पर मिला नहीं..!
~ जया सिंह ~
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