नियति को झेलने की तैयारी

 नियति को झेलने की तैयारी : 

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आये है तो जाना भी तय ही है। दोनों में से किसी एक को पहले जाना है......दंपति में । ये वो भी(पति) जानता है और वो भी(पत्नी) जानती है..!

पति को  परवाह पत्नी की........ : 

कि वह कभी बैंक नहीं गई, न तो डाकघर, न ही निगम, न कोई बिल भरने , न तो बीमा कार्यालय में...ऑनलाइन बैंकिंग आती  नहीं ....कैसे करेगी वो यह सब ? ? 

पत्नी को पति की फिक्र... : 

सुबह उठते ही उनको अदरक इलायची वाली चाय चाहिए , मीठे बिस्कुट के साथ.. इसके बिना सुबह की सैर संभव नहीं... वापसी पर गर्म नाश्ता मिलना चाहिए , उन्हें तो अपने कपड़े भी जल्दी नहीं मिलते...! दोपहर का भोजन, शाम का अलग मेनू , सब कुछ व्यवस्थित  होना चाहिए..

कैसे होगा इनसे जब मैं न रहूंगी तो ...?

★ फिर एक दिन पति .........!!

उसे बैंक ले गया,

एटीएम से उसी से पैसे निकलवाए 

शादी की तारीख का पिन बनाया .

मित्रों को बताया कि अगर मैं न रहूं  तो....!!

अब पत्नी को हर जगह ले जाने लगा ,

गैस का पंजीकरण, 

बिल का भुगतान,

सब कुछ सिखाने लगा ।

पत्नी से  दाल-चावल, खिचड़ी

बनाना सीखने लगा ......!!

★ फिर पत्नी ने भी तौर तरीके बदले......

पत्नी भी झूठ मूठ की बीमार हो गई

पतिदेव को चाय नाश्ते के बहाने

 रसोई का रास्ता दिखाया

पत्नी ने  दाल-चावल, खिचड़ी

बनाना सिखाया ......!!

बहुत अच्छा बना  है

सराहना करके उत्साह बढ़ाया...!!!

कौन से डिब्बे में क्या रखते है बताया...

घर की व्यवस्था में सहूलियत है ये समझाया...


★ फ़िर काल को कहा.......!

आओ अब तुम, तुम आओ,

अब मैं निश्चिंत भी हूं, और खुश भी...!!

मौत के साथ  जाने को तैयार, हे मृत्यु तुम्हारा स्वागत है ।

दोस्तों, जीवन की शुरुआत की तरह ही जीवन के अंत के लिए भी बहुत तैयारी की आवश्यकता होती है।

जिसके बिना जीवनसाथी को काफी परेशानी होगी. क्योंकि पहले नंबर किसका आएगा...?? किसी को नहीं मालूम।

आखिरी बात......तैयारी रखो जिससे कि 

स्वाद लेते , सराहना करते , तृप्त मन से आनंद लेते लेते , धीरे से खुद खिसक जाना, निकल जाना, पके पत्ते की तरह , बिना आवाज़ के चले जाने पर अंत समय अफसोस ना होए......

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