होलिका दहन

 होलिका दहन : 

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बुराई पर अच्छाई की जीत का उत्सव होलिका दहन के रूप में मनाया जाता है। भक्त प्रह्लाद के वध के लिए हिरण्यकश्यप की बहन होलिका , जिसे अग्नि जला नहीं सकती थी। उसे नियुक्त किया गया। परन्तु विष्णुजी के अनन्य भक्त प्रह्लाद के तप के प्रभाव से अग्नि ने होलिका को जला दिया। परंतु उसकी गोद में बैठे प्रह्लाद सुरक्षित बच गए। बस यही इस कथा का सार है कि बुराई हमेशा जल कर खाक होती है। जबकि अच्छाई चिरस्थाई है। उसे कभी मारा नहीं जा सकता। जो सदैव स्मरणीय रहती है । हम होलिका पूजन के दौरान अपने मन की पीड़ा, द्वेष, नकारात्मकता सब उस अग्नि को समर्पित कर आते है।और निर्मल होकर स्वच्छ मन से खुद को पवित्र बनाते है। यही इस त्यौहार का उद्देश्य है। 

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