जिंदगी से मुलाकात
ज़िन्दगी से मुलाकात :
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अचानक यूँ ज़िन्दगी से मुलाकात हुई
वह मेरी राहों पर खड़ी मुस्कुरा रही थी
जब उसे अपने करीब रखना चाहा तो
आंखमिचौली करके हमें रिझा रही थी
थोड़ी शिकायतों के बाद थोड़ा मरहम
हमारे सहे पर लगाकर सहला रही थी
उससे खफा होकर नहीं जी पाएंगे हम
बड़ी शिद्दत से हमको ये समझा रही थी
जीवन की ध्वनियाँ..... कितनी मीठी हैं
ये सुनाकर कानों में फुसफुसा रही थी
उदास से क्यों जिये जा रहे, चलो कहीं
घूमें, किताबें पढ़ें ये नुस्खा सिखा रही थी
बहुत हुआ अब खुन्नस छोड़ो, मज़े करो
जीने को मिली है ज़िन्दगी ये बता रही थी
अचानक ही यूँ ज़िन्दगी से मुलाकात हुई
वह मेरी राहों पर खड़ी मुस्कुरा रही थी..!!
~ जया सिंह ~
★★★★★★★★★★★★★
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