प्रेम ने बहुत कुछ बदला
प्रेम ने बहुत कुछ बदला :
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प्रेम ने बहुत कुछ बदला....
कुछ छोड़ दिया, कुछ नया सीखा
इंतज़ार आदत बन गया
अब सब्र करने का आ गया सलीका
इबादतों में झुकना आ गया
मुस्कुराकर हाँ कहने का आया तरीका
मौन नयन बोलना सीख गए
अश्रु की नमकिनीयत का स्वाद चखा
कही सुनी बातों से दूरी बन गई
अपने अनुभवों का किस्सा खुद लिखा
ख़ामोशी अब भाने लगी है
नहीं चाहिए साथ, किसी अजनबी का
दूरियाँ नजदीकी बढ़ा देती हैं
प्रेम में गुरुर का गर्व भी हुआ फीका
प्रेम ने अहसास जो दिया तो
मोल समझ आया अपने की हंसी का
~ जया सिंह ~
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