शिकायत की पाई पाई
शिकायत की पाई पाई :
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शिकायतों की पाई पाई जोड़ कर रखी थी
कुछ पन्नों की फेहरिस्त मोड़ कर रखी थी
जब भी कभी मौका मिला....सब सुनाऊँगी
वो सब जिसने तबियत झिंझोड़ कर रखी थी
बहुत सा अनकहा रह गया है जो अपने बीच
जिसकी डोर उलाहनों से जोड़ कर रखी थी
जब मिलोगे तो बताना है कि हर तक़रार की
अपनी एक कुढ़न भरी फ़रियाद लंबित है
तभी तो हमारी हर शिकायत ने ख़ुद को
सबसे पहले कहे जाने की होड़ कर रखी थी
अपने रिश्ते के लिहाज़ में ज़बान चुप है और
व्यक्त करने की चाहत सिकोड़ कर रखी है।
~ जया सिंह ~
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