डर और लिहाज मर गया है
डर और लिहाज मर गया है :
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ख़बर यह है कि औरत ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर अपने पति को मारकर उसके शरीर के कई टुकड़े कर दिए और प्रेमी के साथ घूमने भी चली गई। पति लंदन से पत्नी के जन्मदिन पर उसको सरप्राइज देने के लिए शहर आया और पत्नी ने उसको हमेशा के लिए सरप्राइज कर दिया। कुछ दिन बाद यह ख़बर बासी हो जायेगी और हम सब देखेंगे सुनेंगे और भूल जायेंगें।ये खबरें ऐसी ही रहेगी इसमें कुछ न बदलने वाला है बल्कि कुछ बदलेगा तो सिर्फ नाम बदलेंगें और उस शहर की जगह कोई और शहर आ जाएगा।
विकास की अंधी दौड़ में आज हर उम्र की औरतें और पुरुष इंस्टा पर मुजरा पेश कर रहे हैं, वे न केवल मुजरा पेश कर रहे हैं बल्कि वहां तो कम्पटीशन ये भी चल रहा है कि इस चलन में कौन कितना फूहड़ और नग्न होगा ? ? रील्स और शॉर्ट्स पर मटकती और फूहड़ता करती इस पीढ़ी को किसी से कोई दिक्क़त नहीं है
महान रूसी लेखक और दार्शनिक फ़्योदोर दोस्तोयेव्स्की ने अपनी कविता में अपनी प्रियतमा मारिया को लिखा था :
"उस गली में जहाँ तुम रहती हो,
तुमसे अधिक सुंदर नौ महिलाएँ हैं....
तुमसे लंबी सात महिलाएँ हैं,
तुमसे छोटी नौ महिलाएँ हैं और
एक महिला ऐसी भी है जो दावा करती है कि
वह मुझसे तुमसे अधिक प्रेम करती है।
काम पर, एक महिला मुझे हर दिन मुस्कुराकर देखती है,
एक अन्य मुझसे बातचीत करने की कोशिश करती है, और
रेस्तरां की वेट्रेस मेरी चाय में चीनी की जगह शहद डालती है...
लेकिन फिर भी, मैं सिर्फ़ तुमसे ही प्रेम करता हूँ।"
और फिर विवाह के बाद , मारिया ने एक समर्पित पत्नी होने का प्रमाण दिया। उन्होंने उनके रोग, गरीबी, लंबी यात्राओं और फ्योदोर की अनुपस्थिति को सहन किया। हर कठिनाई में उनके साथ खड़ी रहीं।
पर जब वे मृत्युशय्या पर थीं । तब दोस्तोयेव्स्की ने धीरे से उनके कान में फुसफुसाया:
"मैंने कभी अपने विचारों में भी तुम्हें धोखा नहीं दिया"
होना तो ये चाहिए कि रील्स में केवल ऐसी हीं कवितायें और दृश्य हों। जिससे कुछ अच्छे विचार सब ओर बिखरें पर जो हो रहा वह सब क़ब्र हैं जिसमें बारी-बारी से सब गिरेंगे और साथ में गिरेगा यह देश। क्योंकि प्रसिद्धि की चाह ने नीचे गिरने के सारे प्रतिमान तोड़ दिए हैं। अंग प्रदर्शन से लेकर अति फूहड़ता सब जायज है बस नाम हो जाये। विचारों से स्थिरता और सौम्यता से अब नामचीन नहीं बनास जा सकता। इसी सब का परिणाम इस तरह की घटनाएं है जिसमे एक दूसरे को खत्म करने में भी हिचक नहीं होती। क्योंकि अब मन का डर और लिहाज़ सब मर गया है।
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