प्रेरणा के लिए सिर्फ एक नाम ही काफी है.………! 

जीवन में कभी कभी ही होता होगा कि कोई ऐसा दमदार व्यक्तित्व हमारे समक्ष आये और हमको उसकी सब बातों पर यकीन  होने लगे। इस का कारण उसका ठसकेदार लहज़ा और आत्मविश्वास है जो हमारे विश्वास को और मजबूत करता है। ऐसा करिश्माई जादू मोदी के व्यक्तित्व में है। तभी तो आज पूरी दुनिया उनको देखने और सुनने के लिए बेक़रार है। आज चर्चा का विषय मोदी  के व्यक्तित्व का जादू नहीं बल्कि वह कारण है जिस को अपना कर मोदी ने अपने व्यक्तित्व में ये जादू उत्पन्न किया है। सबसे पहले तो मोदी जी की कुछ खास खासियतों पर नजर डालें समीक्षा बाद में करेंगे।मोदी जी की सबसे पहली खासियत है उनका आत्मविश्वास , जिस के भरोसे वह जग जीतने की कामना रखते हैं।  उनके हर वक्तव्य में ये बखूबी नजर आता है कि वह जो भी कहते है उसे पूरा करने के लिए हर मुमकिन कोशिश से पीछे नहीं हट्ते ।  दूसरी खासियत ये है कि उन्होंने अपनी छवि एक राजनेता की नहीं बल्कि एक समाजसेवक की बनाई है। राजनीती के जो भी प्रोटोकॉल होते हैं उनके पालन के साथ ही वह जनता से जुड़े रहने की मंशा ले कर चलते है। तीसरा ये कि उनके व्यक्तिव में उनकी वाणी का ओज नजर आता है। आप जो भी कुछ कहते हैं वह किस तरीके से कहते हैं ये उसकी सफलता की गारंटी निर्धारित करता है। मोदी जी की कही हर बात सच्ची लगती है ये उनके व्यक्तित्व के जीत है। चौथी खासियत ये कि उन्होंने अपना dressing sense बहुत अच्छा रखा। कपडे आप के व्यक्तित्व का आईना होते हैं इस लिए उनके चुनाव में ये ध्यान रखना जरूरी है की आप उस में कैसे दिख रहे हैं। पांचवी खासियत ये कि उन्होंने अपना सामान्य ज्ञान  इतना मजबूत कर रखा है कि किसी भी विषय की चर्चा या आकस्मिक मुद्दे में वह अपने विचार बड़ी ही खूबसूरती से रख सकते हैं। बिना हिचकिचाये या बिना संकोच के। छठी ये की उन्हें अपनी मातृभाषा पर गर्व है इसी लिए वह अमेरिका में भी जा कर हिंदी ही बोलते है। जबकि वहां समझने और बोलने वाले बहुत कम है। सातवी ये कि  उन्होंने खुद को अपनी जमीन से अलग नहीं किया वह आज भी मानते है की वह एक चाय बेचने वाले थे। आठवीं ये कि वह जो भी सोचते है उसके बेहतर कार्यान्वयन के तरीके भी जानते है जिस से उन से जुड़ा हर व्यक्ति उन्ही ही तरह कार्य करने को बाध्य रहता है। नौवी खासियत ये कि मोदी जी उन रास्तों को चुनना ज्यादा पसंद करते हैं , जो कठिन है और जिन पर समान्तयः राजनेता अपनी कुर्सी छिन जाने के डर से नहीं चलते। औरसवीं और अंतिम खासियत ये कि मेहनती और जुझारू होना इन्सान की सबसे बड़ी पूंजी है और यही गुण उन्हें सक्रिय रखने का हौसला देता है।  
            अब इसे ऐसे देखे कि हम में ऐसी क्या कमी है कि हम मोदी नहीं बन सकते ? मेरा तात्पर्य मोदी अर्थात प्रधानमंत्री बनने से नहीं बल्कि मोदी अर्थात एक सफल और लोकप्रिय व्यक्ति बनने से है। हम अपने व्यक्तित्व में इन सभी खासियतों को सोच कर क्या सुधार कर सकते है कि हमारा व्यक्तित्व भी आकर्षक और जनरञ्जक बन जाए। सबसे पहले तो अपने कपड़ों का चुनाव बदलें या सुधारे जिस से चाल ढाल  में कसाव आये। फिर अपनी वाणी में गंभीरता पैदा करें जिस से आप जो भी कहें उसे भी गंभीरता से ही लिया जाए। अपने ज्ञान का दायरा बढ़ाएं जिस से जिस भी विषय की चर्चा के बीच में आप हों उस में भरोसे और निश्चय के साथ भाग ले सकें। अपनी मातृभाषा से प्रेम करें और उसे रोजमर्रा के जीवन में प्रयोग करने से हिचकिचाये नहीं। ये कोई जरूरी नहीं कि हर विषय पर आप को महारत हांसिल हों पर जब भी ऐसी परिस्थिति में हों ऐसा कतई न अहसास होने दे की आप अनजान है। थोड़ा बहुत बोलते रहना आप की उपस्थिति मजबूत करता है। अपने अंदर जुझारू प्रवृति को बढ़ावा दे जिस से कार्य के सफल होने तक आप प्रयास में कमी न करें।  अपने प्राथमिक स्तर को हमेशा याद रखें। एक मुकाम तक पहुँचने पर पिछला भूल जाना आप को आपकी जड़ों से अलग कर देगा। अपनी अंदर सच्चाई की भावना को बल दे जिस से न तो कोई बात याद रखने की कोशिश करनी पड़े  और न ही कभी सफाई देनी पड़े।  क्योंकि सच हमेशा याद रहता है। हमेशा से प्रचलित रास्तों के बजाये कुछ नया खोजने का प्रयास करें , लकीर के फ़कीर बनेंगे तो लोगों को अपनी ओर आकर्षित नहीं कर पायेंगें। जब कुछ अलग और नया होगा तभी आप का व्यक्तित्व अनोखा बन पायेगा। अतः ऐसे अनेक नियम हैं पर उन्हें स्वयं से जोड़ना आप को है। और हो सकता है कि इन्हे अपनाने में कुछ समस्याएं आये पर कुछ पाने के लिए कुछ खोना एक और नियम है इस जिंदगी का …। 

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