it"s in our hands,make the invisible ..... visible !
Violence is not inevitable. We can prevent it and we can start today................ !
यूनिसेफ के अनुसार 4 सितम्बर को प्रकाशित एक सर्वे रिपोर्ट में भारत -
में 15 से 19 वर्ष के उम्र की लगभग 77% लड़कियां अपने किसी परिवारजन या पति की यौन हिंसा का शिकार होती हैं। यूनिसेफ की hidden in plain sight की रिपोर्ट में ये बताया गया है कि बच्चों के खिलाफ हिंसा का चलन इस लिए अधिक है की उन्हें इस्तेमाल करना आसान होता है।ये बुराई समाज में इस कदर गहराई से समां चुकी है की इसे रोजमर्रा की एक आम घटना मान कर दरकिनार कर दिया जाता है। 190 देशों के जुटाए आंकड़ों के आधार पर तैयार एक रिपोर्ट के अनुसार 2 से 14 साल के उम्र समूह के बच्चे अपने ही पालकों के हाथों नियमित शारीरिक दंड पाते हैं। जो किस भी रूप में हो सकता है। 77 % लड़कियां अपने ही किसी पूर्व साथी ,पारिवारिक सदस्य ,दोस्त ,जान पहचान वाले या शिक्षक के हाथों दुष्कर्म का शिकार हुईं हैं। यहाँ तक कि कोर्ट भी ये मानता है कि बलात्कार एक अपराध के तौर पर माना जाना चाहिए न कि एक चिकित्स्कीय अवस्था। फिर भी न जाने क्यों आज भी हजारो लाखों बच्चियां हर वर्ष इस अपराध का शिकार होती हैं।
यूनिसेफ की बाल संरक्षण कमेटी की अध्यक्ष Susan Bissell का कहना है कि सर्वेक्षण के अनुसार इस रोजमर्रा होने वाले अत्याचारों को हमारी तरफ से spotlight में लाने की जरूरत है। "Preventing violence is a shared responsibility". परन्तु ऐसा होता नहीहै क्योंकि जीवन की दूसरी समस्याओं में उलझे रहने के कारण हम ये ध्यान नहीं दे पाते कि इस घटना का असर हमारे बच्चों पर भी पड़ सकता है। इसी प्रकार कुछ अन्य भी निष्कर्ष सामने आये कि लगभग 120 मिलियन लड़कियाँ जो कि 20 वर्ष से भी कम है forced to have sex . इस में ये भी सत्य सामने आया कि पिछले कुछ दशकों में बच्चों के प्रति अत्याचारों में वृद्धि हुई है और कुछ देशों में तो इसे सामजिक रूप से स्वीकार भी कर लिया है या अकथित रूप में जाने देने वाला रवैया अपना लिया है। जैसे नाइजीरिया के बोको हरम आतकवादी सगठन ने स्कूली छात्राओं का अपहरण कर उन्हें विवाह के लिए बाध्य किया जिस से तकरीबन वहाँ 13000 बच्चियां और ब्राज़ील में 11000 बच्चियां , 2012 में मौत का शिकार हुई। इस तरह के और भी कई आंकड़े गवाह है कि हमारी बच्चियों को हमारे ध्यान की जरूरत है और पढ़ कर पन्ने पलट लेना या Susan के अनुसार They are seen just as 'the way it is,' or 'just the way it's always been." गलत है जिस का खमियाजा पूरा समाज भुगत रहा है। इस रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि विवाहित लड़कियां शायद इस लिए भी विरोध नहीं प्रकट कर पाती क्योंकि उन्हें ये सिखाया या पढ़ाया जाता है कि पति जो भी करे जायज होता है। यूनिसेफ के अनुसार इसकी सबसे बड़ी वजह है की पीड़ित इतनी छोटी उम्र का होता है कि वह अपने साथ हुए हादसे को ठीक तरह बता पाने में असमर्थ रहता है। और हम बड़े उस की अवहेलना करते हुए उसे ढकने का प्रयास करते हैं। ये समस्या सिर्फ हमारे देश में नहीं अपितु विश्व भर में फैल चुकी है इसी लिए अनेकों संस्थाएं अपने प्रयासों द्वारा इसे जड़ से ख़त्म करने के लिए अभियान चला रही हैं। who के एक सर्वे के अनुसार इस तरह की हिंसा और कीटनाशक द्वारा आत्महत्या दोनों एक दूसरे से जुडी हुई हैं। परिस्थितियों से हार कर आसानी से मिल सकने वाले कीटनाशक के जरिये युवतियां आत्महत्या करने को बाध्य हो जाती हैं। यूनिसेफ भी इसमें परिवार के असहयोग को ही दोषी मानता है। उन्हें जरूरत है हमारे सहयोग की....... क्योकि उनके प्रयासों में हमारी और हमारे समाज की ही भलाई छिपी है।
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