संगत से प्रभावित जीवन …………!
पानी की एक बूँद गर्म तवे पर गिरे तो मिट जाती है ,पत्तों पर गिरे तो मोती के सामान चमकने लगती है , सीप में पड़े तो खुद मोती बन जाती है। बूँद तो वही है है बस संगत का फर्क है। ये सत्य आप सभी जानते है पर इस के पीछे का तथ्य समझना चाह कर भी नहीं समझते। हम अनेकों लोगों के बीच रहकर अपना जीवन गुजारते हैं उन तमाम लोगो में अच्छे बुरे सभी तरह के लोग होते है। जरूरी नहीं कि हमारी पहचानने कि क्षमता इतनी सुदृढ़ हो कि हम सही गलत का फर्क पहचान पाये। इसी वजह से गलत संगत में पड़ कर जीवन बर्बाद कर लिया जाता है। एक quote के अनुसार अकेलापन कहीं ज्यादा अच्छा है एक गलत संगत के साथ रहने से ....... इस लिए कहते है कि जिंदगी में अच्छों की तलाश में वक्त क्यों गवाते हो खुद अच्छे बनो जिस से किसी और की तलाश पूरी हो सके। ये ही सोच होनी चाहिए जिस का प्रभाव आप के व्यक्तित्व के साथ भविष्य पर भी पड़ेगा। गलत संगत में ये अक्सर होता है कि जब आप के सपने पूरे करने की बारी आती है तब सामने वाला अपने सपने आप ही से पूरे करवाने लगता है। अर्थात जब कभी भी आप स्वयं के लिए कुछ भी अच्छा सोचेंगे बुरी संगत उसके लिए एक रोड़े का काम करेगी। सोच बदल जाने से अच्छा सोच पाना भी संभव नहीं हो पाता। पहचान जरूरी है कि जिन लोगो के साथ आप समय व्यतीत करते हैं वह वाकई आप की तरक्की और भविष्य के प्रति उत्साहित हैं क्या ? वैसे ये भी एक सत्य है कि वही सबसे तेज चल सकता है जो अकेले चलता है वर्ना राह में लक्ष्य से भटकाने वाले हजारों मिल ही जाते हैं। अकेले रहना एक असंभव कार्य है व्यक्ति एक सामाजिक प्राणी है। समाज में हर तरह के लोग मौजूद हैं। कार्य के बहाने अनेकों लोगों से यदा कदा मिलना ही पड़ता है। ये चुनाव मुश्किल है कि कौन सही है कौन गलत। इसकी पहचान हमेशा विपत्ति के समय हो पाती है जब जरूरत हो , तब साथ छोड़ देने वाला या उस समय समाधान के गलत रास्ते दिखलाने वाला सच्चा व्यक्ति नहीं हो सकता। इस लिए अपनी परख की क्षमता मजबूत करें। अच्छे लोगों से घिरे रहने पर आप एक अच्छे भविष्य कि कल्पना कर सकते हैं। क्योंकि यदि मार्गदर्शन सही मिले तो व्यक्ति ऊंचाइयों को छू सकता है। मित्र या कोई भी व्यक्ति जो रोजमर्रा के जीवन में साथ उठने बैठने वाला हो उसे स्वयं के अनुसार ढालने का एक बेहतर तरीका है कि पहले आप उसके अनुसार खुद ढलने का प्रयास करें। पर इस में भी ये विवेक जरूरी है कि उस की गलत आदतों से दूरी बनाएं रखें। हर इंसान में अच्छाईयां और बुराईयाँ दोनों ही होती हैं इस लिए उसकी अच्छाइयों के साथ उससे रिश्ता जोड़ें और बुराइयों के समय उससे दूरी बना लें। स्व विवेक के माध्यम से आप अपना और उसका दोनों का भला कर सकते हैं। उसे जब ये अहसास होगा कि अमुक कार्य में मेरा सहयोगी साथ नहीं था तब उसे भी ये अहसास हो सकेगा कि अवश्य ही ये कार्य गलत है। इस तरह दो लोग हमेशा अच्छे के साथी बन कर रह सकते हैं। स्कूल ,कॉलेज या विश्वविद्यालयों में साथ चुनते समय ये अवश्य ध्यान रखें कि जिस को आप चुन रहें है सब से पहले वह आर्थिक स्थिति में आप के सामान होना चाहिए। ये असमानता विचार बदल सकती है और भविष्य के लिए किये जाने वाले प्रयासों को प्रभावित कर सकती हैं। आज कल के विद्यार्थी सिर्फ दिखावे की दुनिया में जीना चाहते हैं। और यही दिखावा भविष्य का भ्रम बन जाता है। इसी प्रकार कार्यालयों में भी साथी चुनते वक्त ये ध्यान रखना जरूरी है कि जो आपकी प्रगति और भविष्य के लिए उत्साहित हो उसे ही अपनाएं। दूसरों की प्रगति की राह में बाधा बनने वाले या सिर्फ अपनी प्रगति के लिए प्रयास करने वाले कभी भी अच्छे साथी नहीं साबित हो सकते। इसलिए अच्छा साथी वही है जो ……… कितने अच्छे से मुझे समझता है वो , कि मेरे मुस्कुराने पर भी जो पूछता है कि तुम उदास क्यों हो। अर्थात आपका साथी आप को दिल की गहराइयों से समझ पा रहा है तभी वह आप की मुस्कराहट के पीछे का दर्द भी पढ़ सका। साथ जीवन के लिए सांस की तरह ही आवश्यक है। पर खुली हवा में सांस लेना और घुटन में सांस लेना ठीक उसी तरह है कि सही संगत मिलना या गलत। पानी की वही बूंद जब विभिन्न परिस्थितियों में रहकर अलग परिणाम देती क्या आप भी परिस्थितियों के वश में नहीं आ सकते। अपने साथियों का चुनाव ऐसे करें कि वह सीप की तरह आप को मोती बनाने की क्षमता रखता हो। जिस की संगत आप को तराश कर पत्थर से हीरा बना दे और उसे शिल्पकार। ये कार्य दोनों ही तरफ से हो सकता है बस सही व्यक्ति कि तलाश पूरी हो जाए। इस लिए इस सत्य को पहचानिये कि। .......... अच्छे इंसान सिर्फ अपने कर्मों से पहचाने जा सकते हैं क्योंकि अच्छी बातें तो बुरे लोग भी बखूबी कर लेते हैं
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