एक पीरियड ऐसा जिसमें मस्ती ही मस्ती …………!


अगर मैं  ये कहूँ कि अब बच्चे स्कूल में भी वैसी ही मस्ती कर सकेंगे जैसी घर में करते है तो आप मुझे जरूर गलत समझेंगे। और सही भी है आखिर स्कूल पढ़ने की जगह है और वहाँ शोर शराबा और मस्ती का क्या काम। पर नहीं अब कुछ ऐसा हो होगा और स्कूल उसकी इजाजत भी देगा। शुरू शुरू में हर बच्चा स्कूल जाने में कतराता है और जा कर भी शांत बैठा रहता है या तो फिर अपने अभिभावक को याद करके रोता रहता  है। ये सामान्यतः हर बच्चे की कहानी है। उसे कुछ समय लगता है नए माहौल में खुद को adjust करने के लिए। हालत बदलने के लिए अब एक नया तरीका निकला गया है और वो ये की छत्तीसग़ढ की सरकार ने अपने सरकारी स्कूलों के 6 पीरियड में से 1 पीरियड सिर्फ बच्चों के लिए कर दिया है। जिस में उन्हें चुप रहने के बजाये खूब उछलकूद करने और अपने मन के विचार रखने की आजादी दी गयी है। इस प्रयास के तहत हर कक्षा में इस पीरियड के अंदर अध्यापक बच्चो को कोई एक विषय देंगे जिस के बारे में हर बच्चे को अपने मन से कुछ कहना होगा। और ये व्यक्त करने के लिए वह कोई act भी कर सकता है। जिस छात्र को जो कुछ भी समझ आता है वह उसे व्यक्त करेगा और कोई उसे कुछ नहीं कहेगा। इस से उसका हौसला बढ़ेगा वह  अनजाने माहौल में खुद को adjust कर पायेगा।                                                                                                     बच्चो की झिझक दूर करने और मुखर बनाने के लिए CBSE  स्कूलों में ये कार्यक्रम चलाये जाएंगे। continuous and comprehensive evaluation ( CCE)  जैसे कार्यक्रम पहले से  स्कूलों में चलाये जा रहें हैं। जिस के तहत 40 से 45 मिनट तक लगातार अंग्रेजी या हिंदी में किसी खास विषय पर बोलते रहने के लिए कहा जाता है। लेकिन ये बड़े बच्चो के लिए है।  पर ये नया कार्यक्रम  उन छोटे बच्चों के लिए चलाया गया है जो पहली बार स्कूल आते है। और कुछ दिन तक सिर्फ रोतें  ही रहते है।  ये विषय उनके पसंदीदा हो सकते है जैसे खिलोने ,खेल ,नई नई चीजें , माता पिता ,भाई बहन  आदि कुछ भी, बस पढाई से अलग।  जिस में बच्चा रूचि लेता है। उसे वो अपने शब्दों में बयां करेगा। अपनी भावनाएं व्यक्त करने के लिए कोई भी माध्यम चुनना उनकी अपनी मर्जी होती है। खुलेपन में वह अपने विचार खुश हो कर रखेगा। इस से बातचीत का एक नया तार जुड़ेगा और वह अपने सहपाठियों से मिल जुल सकेगा।                                                  
                


ये एक नयी और बेहतरीन कोशिश है। कभी कभी कुछ बहुत ही अच्छा सुनने और देखने को मिले तो वाह निकलना तो बनता है ये वाह लायक ही प्रयास है। कुछ नया कुछ बेहतर बच्चो के लिए जो पहली बार अपने घर से अलग हो कर नए माहौल में खुद को नहीं संभाल पाते। बच्चा कुछ समय के लिए अपना अकेलापन भूल कर सब के साथ उस ख़ुशी में रम जाता है। ये एक बेहतर उपलब्धि है।            




   

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