मन की जीत से बनते काम ………!

मन के हारे हार है मन के जीते जीत .......... ये जुमला आप ने अक्सर सुना होगा पर उसे अपने जीवन  में कितना महसूस किया है ये एक विचारणीय मुद्दा है। अपने रोजमर्रा के जीवन में अनेकों कार्यों से घिरे , कुछ में सफल और कुछ में असफल होते ही है। जहाँ पर सफलता ख़ुशी देती हैं वही पर असफलता निराशा और हताशा से भर देती हैं। जिस से आगे आने वाले अनेकों कार्य भी प्रभावित होते हैं। लेकिन क्या आप ने सोचा है कि इस सब का समाधान है जो हमारे सामने ही रहता है पर नजर नहीं आता। वह है मन की मजबूती। .......!  देखें और महसूस करें मन की ताकत और प्रेरक भावना की , कि एक अकेला मन क्या क्या कर सकता है।  हमारे जीवन में सब कुछ अच्छा और मनमाफिक होता रहे ये तो संभव नहीं। कुछ न कुछ ऐसा जरूर होता रहता है जिसे मन मार कर स्वीकार करना पड़ता है। क्योंकि नियति ने ऐसा बहुत कुछ हमारे भाग्य में लिख दिया होता है जिस पर हमारा वश नहीं। कहते है कि कर्म से भाग्य बदला जा सकता है पर जो भाग्य में हो ही न उसे अच्छे से अच्छा कर्म भी नहीं बदल सकता या हांसिल नहीं करा सकता। परिस्थितियां हमेशा अनुकूल रहें ये भी संभव नहीं इस लिए प्रतिकूल परिस्थितियों से कैसे लड़ कर जीत हांसिल की जाए ये मन ही सीखाता है।
              एक निश्चित लीक पर चलते चलते जीवन बेमानी सा लगने लगता है। रोज वही दिनचर्या कुछ नया नहीं। और तो और यदि परिस्थितियां विपरीत हों तो और भी कठिन स्थिति उत्पन्न हो जाती है। तब ये अहसास होने लगता है कि हम क्यों और किस लिए जी रहें हैं। अच्छे की उम्मीद सब को रहती है और उसके लिए प्रयास भी करते रहतें हैं। पर क्या जरूरी है कि सब कुछ हर समय अच्छा ही हो ? ये मन ही ख़राब को अच्छा और प्रतिकूल को अनुकूल बनाने का कार्य कर सकता है। मन क्या है …………  मन हमारे भीतर की वह अनजान शक्ति है जो हमारे दिल और दिमाग के बीच रहकर कार्य करती है।  इस पर दोनों का ही वर्चस्व रहता है। और यही मन हमेशा विपरीत परिस्थितियों में प्रेरित करने का भी कार्य करता है। किसी कार्य को करने में असफल होने से हताशा की स्थिति में यदि मन ने साथ नहीं छोड़ा तो आप पुनः एक नयी ऊर्जा के साथ खड़े हो सकते हैं।  यही नयी ऊर्जा सफल होने के लिए जरूरी होती है। एक लम्बे समय तक प्रतिकूल परिस्थिति में रहने के बाद इंसान का मन भी निष्क्रिय सा हो जाता है। जिस में जीवन भरने का कार्य हमारी इच्छाशक्ति करती है। और ये इच्छाशक्ति इसी मन से पैदा होती है। इस लिए पहले मन को ये समझाएं की प्रयास  करते रहना जीवन का सत्य है और इसी सत्य से कई उलझने सुलझ सकती है। बशर्ते आप का मन आप के साथ हो। मन यदि स्वयं को हारा नहीं महसूस कर रहा हो तो आप वह कार्य भी करने को तैयार हो जाएंगे जिसमे सफलता की गुंजाईश कम है। चाहे इस के पहले के कई प्रयास असफल हो भी गए हों तो। इस लिए मन से कभी भी हार न स्वीकार करें तभी रास्तों की मुश्किलें के समाधान मिलते जाएंगे। राह लम्बी हो सकती है पर चलते रहना ही जीवन है।  इसी जीवन को जीने का एक अच्छा तरीका है मन को हमेशा जवान रखना। जिस से उसकी ऊर्जा आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती रहेगी। 

Comments