मुमकिन है……,
प्रयास तो करें !

क्या कभी आप ने ये सोचा है कि सोच को बेहतर बनाने के लिए अच्छे परिवार की ,अच्छे माहौल की , अच्छे दोस्तों की , अच्छी पुस्तकों की , और साथ ही आज कल की जिंदगी का अहम हिस्सा हो रहे अच्छे टी वी कार्यक्रमों की भी आवश्यकता है। मेरा सोचना ये है कि टी वी  हम मनोरंजन के लिए देखते है पर उसमें ज्ञान भी शामिल होता है। क्योंकि जो कुछ भी आप देखते हैं उस से कुछ न कुछ अच्छी बुरी सीख मिलती ही है। उसे बेहतर रूप में ग्रहण करना स्वयं  की जिम्मेदारी होती है। इसी सन्दर्भ में आमिर खान के एक कार्यक्रम सत्यमेव जयते का जिक्र करना चाहूंगी।  जो पहले भी कुछ प्रासंगिक ज्वलंत मुद्दों को ले कर आया था और एक बार पुनः शुरू हो रहा है एक नयी सोच के साथ , कुछ नए मुद्दों को हल करने के इरादे ले कर। ये एक अनोखा कार्यक्रम सिद्ध हुआ। सबसे अच्छी बात ये देखने को मिली की इस कार्यक्रम का विज्ञापन कुछ इस तरह का बनाया गया है की अंदर तक गहरा प्रभाव डालता है। ये दर्शाता है कि यदि हम सब मिल कर कोशिश करेंगे तो सोच अवश्य बदलेगी। 
                     इन विज्ञापनों में अनुचित होते हुए दिखाया जाता है पर जैसे ही कोई ये जिक्र करता है कि सत्यमेव जयते शुरू हो रहा है उसे अपनी मर्यादा की सीमारेखा का ज्ञान हो जाता है और वह संयत व्यव्हार करने लगता है। यदि देखें तो ये एक बड़ी उपलब्धि के समान है कि एक कार्यक्रम के नाम से व्यव्हार की विसंगति का आभास हो और हम उसे सुधारने के लिए तत्पर हो जाएँ। यूँ तो हम अनेकों कार्यक्रम देखते रहते है पर क्या कोई इस तरह का प्रभाव डाल पाया है। ये एक अच्छा संकेत है। समाज की सोच बदलने के लिए और कुछ अच्छा होने के लिए। इस कार्यक्रम के तहत जिन भी मुद्दों को उठाया गया है उन के लिए हम ने कभी भी seriously नहीं सोचा। और न ही कोई ऐसा कदम उठाया जिस से उस की बिगड़ती स्थिति में सुधार लाया जा सकें। ये अच्छा है कि किसी कार्यक्रम के ही जरिये कम से कम ये सोचने पर तो मजबूर हुए कि सुधार हम से ही शुरू होगा। जिस का विज्ञापन ही इतना गहरा प्रभाव् डालता हो उस का कार्यक्रम तो और भी गहन रूप में पड़ताल कर समस्या को ख़त्म करने का प्रयास करेगा। सत्मेव जयते के जरिये कुछ ऐसी बाते भी पता चली जो शायद हम नहीं जानते थे। जैसे organic vegetable and fruits की बागवानी। इसे कैसे करें, कहाँ से मदद मिलेगी और किस तरह से इसे क्रियान्वित करें। और भी जीवन से जुड़े अहम मुद्दों जैसे बाल व्यभिचार ,वेश्यावृति , तेजाब डालना ,आदि को समाज के विभिन्न प्रतिष्ठित लोगों की सहायता से सुलझाने और बेहतर बनाने का प्रयास किया गया। ये कार्यक्रम एक जीवंत उदाहरण है सोच को बदलने के लिए एक छोटे किन्तु अहम प्रयास का। और इस में ये सफल भी होता दिख रहा है। आमिर खान बधाई के पात्र है जो समाज की सोच को बेहतर बंनाने के लिए कुछ नया concept  ले कर आये और उसने अपेक्षित प्रभाव भी दिखाना शुरू कर दिया। अतः जरूर देखे और फिर सोचें की कहाँ क्या बदलने की जरूरत है। ये एक उम्मीद के रूप में लोगों के सामने आया कि बदलाव जरूरी है और हम मिल कर उसे ला सकते हैं। चलिए उसकी शुरुआत हम ही क्यों न करें ?.......... क्योंकि सब कुछ अगर चाहो तो   मुमकिन हैं…………

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