भाग्य और कर्म के द्वन्द में विश्वास की जीत !
एक बहुत मामूली सी चीज आपकी दुनिया कैसे बदल सकती है ये आप आजमा कर देखें। क्योकि कहते हैं कि कुछ चीजे कमाने में जिंदगी लग जाती है पर गवाने में एक पल भी नहीं लगता। जीवन की ये मामूली परन्तु अहम वस्तु है विश्वास। .... ईश्वर को किसी से नहीं देखा और न ही उसके अस्तित्व की पहचान हो पाई है पर फिर भी ये हमारा विश्वास ही है जो उसे जीवंत बना कर हमारे समक्ष खड़ा रखता है। और उसके होने के विश्वास के भरोसे हम वह कार्य भी कर डालते है जो हमारे लिए असंभव हो सकते हैं या जिसे हम कहते है कि हमारे भाग्य में नहीं था। कहने को तो विश्वास एक भावना भर है पर यही भावना जीवन को एक नयी दिशा दे कर पूरा भविष्य बदलने की ताकत रखती है। आज की भाग - दौड़ वाली जिंदगी में न जाने क्यों हमेशा ये महसूस होता है कि हम कही भी, कभी भी अपना विश्वास खो बैठते है जिस का नतीजा असफलता ही है। विश्वास हमेशा समय मांगता है और आज की सबसे बड़ी समस्या है की हमारे पास समय नहीं है। किसी भी मुद्दे को विश्वास में बदलने के लिए थोड़ा धैर्य और संयम चाहिए होता है फिर अपने आप ही वह एक रास्ता बन कर हमें मार्ग दिखाने लगता है। उस पर चल कर हमें सफलता मिल जाती है।
जब भी आप को लगे कि किसी मुद्दे पर आप सशंकित है तब आप धैर्य से उसके सभी पहलुओं पर गौर कर उसे समय दें। ये समय उस के भीतर दबी सभी परतों की गिरह खोल देगा जिस से समस्या का सच सामने आ जायेगा और तब आसान होगा कोई निर्णय लेना। सबसे जरूरी है कि आप का ये विश्वास बनाये रखना कि आगे सब कुछ अच्छा ही होगा। अगर किसी कार्य के पहले ही उसके परिणाम के प्रति आप आशंकित रहेंगे तब उसे कैसे अपने प्रयास से सकारात्मक बनाएंगे। यदि आप किसी परीक्षा की तैयारी कर रहें हो और ये भी जानते हों कि इसे अच्छे से निकलना एक ठेढ़ी खीर है। तब आप को सबसे ज्यादा जरूरत है इस विश्वास की। क्योंकि विश्वास ही है जो आप को ज्यादा मेहनत करने और लगन से प्रयास की प्रेरणा दे कर आगे बढाता रहेगा। सफलता या असफलता किसी भी सिक्के के दो पहलु हैं ये तो आप जानते ही हैं पर उस सिक्के का कौन सा हिस्सा अपनी तरफ रखना है ये आपके विश्वास पर निर्भर करता है। कभी कभी आप ने महसूस किया होगा कि कोई कार्य करते समय आप ये सोचते है कि मै ये कर तो रहा हूँ पर परिणाम मेरे पक्ष में न आया तो ? ये शंका आप को पहले ही हताश कर देती है। जिस से परिणाम से पहले ही आप भयभीत हो कर उस कार्य के प्रति अपनी रूचि छोड़ देते हैं। और जिस का परिणाम असफलता होती है। ये भी एक सत्य है कि जीवन में वही होता है जो हमारे भाग्य चक्र में लिखा होता है। पर इसी से जुड़ा दूसरा सत्य ये है कि भाग्य को बदलने की ताकत सिर्फ कर्म में ही है। क्योंकि कोई नहीं जानता की उसके भाग्य में क्या लिखा है। और हताशा में असफलता को सत्य मान लेना उचित नहीं है। अड़चनें राह रोकने का कार्य करती रहती हैं पर विश्वास उसे दरकिनार कर आगे बढ़ने की प्रेरणा देता रहता है। आप जिसे अपना भाग्य समझ कर जी रहें हों , हो सकता है कि वह आप के अविश्वास का परिणाम है। कर्म को ढंग से फलीभूत न कर पाना या बीच में ही उसे छोड़ देना विश्वास की कमजोरी है। यदि आप विश्वास से भरपूर हो तो कार्य को करते हुए भी आप हमेशा उसके सकारात्मक परिणाम की उम्मीद लगाये रखोगे जो की एक हौसले का कार्य करती है।ये कोई ऐसी वस्तु नहीं है जिसे धन खर्च कर के या किसी दूसरे से मांग कर लाया जा सकता है ये स्वयं आप के अंदर मौजूद है और इसे आप को सहर्ष स्वीकार कर अपने अंदर मजबूती से संजों कर रखना है।और अंत में जीत आप की ही होगी ये ईश्वर भी तय कर लेगा।
एक बहुत मामूली सी चीज आपकी दुनिया कैसे बदल सकती है ये आप आजमा कर देखें। क्योकि कहते हैं कि कुछ चीजे कमाने में जिंदगी लग जाती है पर गवाने में एक पल भी नहीं लगता। जीवन की ये मामूली परन्तु अहम वस्तु है विश्वास। .... ईश्वर को किसी से नहीं देखा और न ही उसके अस्तित्व की पहचान हो पाई है पर फिर भी ये हमारा विश्वास ही है जो उसे जीवंत बना कर हमारे समक्ष खड़ा रखता है। और उसके होने के विश्वास के भरोसे हम वह कार्य भी कर डालते है जो हमारे लिए असंभव हो सकते हैं या जिसे हम कहते है कि हमारे भाग्य में नहीं था। कहने को तो विश्वास एक भावना भर है पर यही भावना जीवन को एक नयी दिशा दे कर पूरा भविष्य बदलने की ताकत रखती है। आज की भाग - दौड़ वाली जिंदगी में न जाने क्यों हमेशा ये महसूस होता है कि हम कही भी, कभी भी अपना विश्वास खो बैठते है जिस का नतीजा असफलता ही है। विश्वास हमेशा समय मांगता है और आज की सबसे बड़ी समस्या है की हमारे पास समय नहीं है। किसी भी मुद्दे को विश्वास में बदलने के लिए थोड़ा धैर्य और संयम चाहिए होता है फिर अपने आप ही वह एक रास्ता बन कर हमें मार्ग दिखाने लगता है। उस पर चल कर हमें सफलता मिल जाती है।
जब भी आप को लगे कि किसी मुद्दे पर आप सशंकित है तब आप धैर्य से उसके सभी पहलुओं पर गौर कर उसे समय दें। ये समय उस के भीतर दबी सभी परतों की गिरह खोल देगा जिस से समस्या का सच सामने आ जायेगा और तब आसान होगा कोई निर्णय लेना। सबसे जरूरी है कि आप का ये विश्वास बनाये रखना कि आगे सब कुछ अच्छा ही होगा। अगर किसी कार्य के पहले ही उसके परिणाम के प्रति आप आशंकित रहेंगे तब उसे कैसे अपने प्रयास से सकारात्मक बनाएंगे। यदि आप किसी परीक्षा की तैयारी कर रहें हो और ये भी जानते हों कि इसे अच्छे से निकलना एक ठेढ़ी खीर है। तब आप को सबसे ज्यादा जरूरत है इस विश्वास की। क्योंकि विश्वास ही है जो आप को ज्यादा मेहनत करने और लगन से प्रयास की प्रेरणा दे कर आगे बढाता रहेगा। सफलता या असफलता किसी भी सिक्के के दो पहलु हैं ये तो आप जानते ही हैं पर उस सिक्के का कौन सा हिस्सा अपनी तरफ रखना है ये आपके विश्वास पर निर्भर करता है। कभी कभी आप ने महसूस किया होगा कि कोई कार्य करते समय आप ये सोचते है कि मै ये कर तो रहा हूँ पर परिणाम मेरे पक्ष में न आया तो ? ये शंका आप को पहले ही हताश कर देती है। जिस से परिणाम से पहले ही आप भयभीत हो कर उस कार्य के प्रति अपनी रूचि छोड़ देते हैं। और जिस का परिणाम असफलता होती है। ये भी एक सत्य है कि जीवन में वही होता है जो हमारे भाग्य चक्र में लिखा होता है। पर इसी से जुड़ा दूसरा सत्य ये है कि भाग्य को बदलने की ताकत सिर्फ कर्म में ही है। क्योंकि कोई नहीं जानता की उसके भाग्य में क्या लिखा है। और हताशा में असफलता को सत्य मान लेना उचित नहीं है। अड़चनें राह रोकने का कार्य करती रहती हैं पर विश्वास उसे दरकिनार कर आगे बढ़ने की प्रेरणा देता रहता है। आप जिसे अपना भाग्य समझ कर जी रहें हों , हो सकता है कि वह आप के अविश्वास का परिणाम है। कर्म को ढंग से फलीभूत न कर पाना या बीच में ही उसे छोड़ देना विश्वास की कमजोरी है। यदि आप विश्वास से भरपूर हो तो कार्य को करते हुए भी आप हमेशा उसके सकारात्मक परिणाम की उम्मीद लगाये रखोगे जो की एक हौसले का कार्य करती है।ये कोई ऐसी वस्तु नहीं है जिसे धन खर्च कर के या किसी दूसरे से मांग कर लाया जा सकता है ये स्वयं आप के अंदर मौजूद है और इसे आप को सहर्ष स्वीकार कर अपने अंदर मजबूती से संजों कर रखना है।और अंत में जीत आप की ही होगी ये ईश्वर भी तय कर लेगा।
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