भूख को 1से 10 स्केल पर माप कर खाएं
भूख को 1 से 10 scale पर माप कर खाएं .....! ••••••••••••••••••••••••••••••
आजकल tv देखते हुए या लैपटॉप मोबाइल चलाते हुए भोजन करने का चलन बहुत बढ़ गया है। लोग खाने को सिर्फ पेट भरने का एक उपक्रम समझने लगे हैं। स्वाद की भी रुचि सिर्फ बाजारू चीजों में ढूंढी जाने लगी है। यही कारण है कि ओवरईटिंग और ओबेसिटी जैसी समस्याएं जीवन में घर करती जा रही। भोजन कर तो रहे हैं पर भोजन को शरीर की जरूरत के हिसाब से उसे नहीं दे रहे। eating कई प्रकार की होती है।
1.Emotional eating : जब व्यक्ति मानसिक रूप से परेशान हो। समस्या से उसका मन मस्तिष्क जूझ रहा हो तब वो अपना मन divert करने के लिए कुछ खाता है। ये सामान्यतः जंक फूड ही होते हैं जैसे chipps, fried snacks, icecreams वगैरह।
2.Needful eating : ये वह भोजन है जो हम जरूरत महसूस होने पर ही खाते है। अर्थात बहुत भूख लगने पर। इस समय शरीर को इस भोजन की वाकई जरूरत होती है। जिसे वह सहर्ष स्वीकार भी करता है।
3. Mindful eating : ये भोजन को करने का एक व्यज्ञानिक तरीका है। जो भोजन पर ध्यान देकर खाया जाता हो। माइंडफुल ईटिंग का अर्थ ये है कि जब भी भोजन करें ध्यान पूरी तरह सिर्फ भोजन पर ही होना चाहिए। इससे भोजन से जुड़ी आदतों परिष्कृत होती है। जिससे भोजन और भूख के संकेतों को पूरी तरह समझते हुए खाया जाता है।
4.Hobby eating : ऐसे बहुत से लोग समाज में है जो खाने के बेहद शौकीन होते हैं। उन्हें आदत होती है नई नई dishes try करने की। नई जगह घूम कर हर प्रान्त की भोजन की विविधताएं आजमाने रहने की। ये निरंतर नए स्वाद को पाने का एक चक्र समान है ।
अब मूल मुद्दे की चर्चा करते हैं कि भूख को नापा कैसे जाए...? ? जब वास्तविक भूख होती है तब पेट में गुड़गुड़ाहट सी होने लगती है। शरीर में ऊर्जा की कमी महसूस होने लगती है। कभी कभी हल्के चक्कर से भी महसूस होने लगते हैं। ये भूख लगने के signs हैं। परंतु मन चाह रहा है इसलिए खाना है या पेट को जरूरत है इसलिए खाना है ये अंतर समझना जरूरी है। कई बार पानी की कमी को भी भूख समझ लिया जाता है। इसके लिए भोजन से 1 घण्टे पहले एक या दो गिलास पानी पी लेना चाहिए। जिससे एक तो अत्यधिक खाने से बचा जा सकता है। दूसरे भूख का अंदाजा हो जाता है। माइंडफुल ईटिंग से खाने सम्बंधित आदतें सुधरती हैं। इसलिए ध्यान देकर कुछ खाना पीना चाहिए। कुछ महत्वपूर्ण ध्यान देने योग्य बिंदु :
1. खाने का स्थान और समय निश्चित किया जाए।
2.व्यवस्थित होकर बैठें और ध्यान दें कि क्या और कितना खा रहे।
3.खाते समय मोबाइल व टीवी से दूर रहें।
4. जल्दीबाजी में भोजन ना निगलें। चबा चबा के स्वाद को महसूस करके खाये ।
5. सिर्फ पेट की संतुष्टि के लिए नहीं । दिमाग की भी संतुष्टि के लिए खाएं।
6. भूख को 1 से 10 की स्केल पर रेट करें ।अर्थात 0 को एकदम खाली समझें मतलब उस समय पेट बिल्कुल खाली है और भूखे पेट काम करने की शक्ति भी नहीं रही है। लेकिन ये नंबर 3 या 4 तक पहुंचने का इंतेज़ार करें। जब भूख अत्यधिक के स्तर पर पहुंचने लगे। फिर खाना शुरू करें और जैसे ही संतुष्टि का स्तर 7- 8 पर पहुंचने लगे। मतलब लगे कि पेट कुछ हद तक भर गया है, भोजन बन्द कर दें। उसे 10 या उससे ऊपर ना जाने दें ये over eating हो जाएगी।
इस तरह थोड़ा ध्यान देकर खाना खाया जाए। भोजन की रंग बनावट और खुशबू का भी आनंद लेकर खाना खाना चाहिए। इससे शरीर में जाने वाले न्यूट्रिएंट्स और प्रभावी हो जाते हैं।
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