Friends Hoarding
Friends Hoarding
अर्थात दोस्ती का संचय : *********************
विकास की अंधी दौड़ में बहुत सी अच्छी चीजें गवां भी दी गई हैं। अब लोगों के पास समय कम है, रिश्ते कम है, अपनापन कम है, धैर्य कम है, सहनशीलता कम है, वगैरह वग़ैरह....आजकल ये एक नया चलन समाज में सामने आया है जिसे फ्रेंड्स होर्डिंग के नाम से परिभाषित किया जा रहा। जिसमें लोग अपने प्रिय दोस्त को दूसरे दोस्तों से मिलाने से hesitate करते हैं। कारण कि कहीं वो मुझे छोड़ कर दूसरे दोस्त को ज़्यादा ना पसन्द करने लगे और उसको समय देने लगे।
ये मूलतः असुरक्षा और दोस्ती खोने के डर की भावना है। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में हर किसी को कोई एक तो संगी चाहिए होता है जो दिल की कह सुन सके। बस उसी दोस्त को सिर्फ अपना बना कर रखने की जिद ये सब करवाती है। अपने अलग अलग दोस्तों को आपस में मिलाने पर वह भी एक दूसरे से connected होने लगते हैं। और स्वभाव, रुचियाँ , रहनसहन मिलने पर जुड़ने भी लगते है। इसका परिणाम ये भी हो सकता है कि वह अपनी मूल कड़ी वाले दोस्त को दरकिनार कर दें। बस यही डर इस नए चलन को हवा दे रहा।
इसका एक दूसरा कारण है कि एक व्यक्ति अपने तमाम दोस्तों में एक ही पहचान के साथ नहीं जुड़ता। अर्थात जो बातें जिसको बताने लायक हैं सिर्फ़ वही बताई जाती है। ऐसे में अलग अलग जानकारियों के साथ मिले हुए दोस्त सारी बातें एक दूसरे के साथ share कर लेंगे। और मध्यस्थ व्यक्ति की identity को धक्का लगेगा या फिर उसे झूठा समझा जाएगा।
ये चलन महिलाओं में ज्यादा है। क्योंकि वो दोस्ती को निजी रखने में विश्वास रखती है। ये विश्वास सुरक्षा से जुड़ा है। जिस के साथ वह सुरक्षित महसूस करती हैं उसे दूसरों के साथ share करने से डरती हैं। इसमें कुछ हद तक जलन की भावना भी शामिल मान सकते है। ये पुरुष और महिला दोस्त दोनों पर समान रूप से लागू होता है।
इसके पीछे इंटरनेट और सोशल मीडिया भी बड़ा रोल है जो फ़्रेंडशिप को प्राइवेट रखने की ओर लोगों को धकेल रही है। लगातार अपने प्रिय से टच में रहना, उससे जुड़े रहने के लिए नए नए उपाय करना, और उसकी गतिविधियों पर भी नज़र रखना ये सब इंटरनेट की ही वजह से सम्भव हो पा रहा है
पर ये चलन समाज के लिए अच्छा नहीं है जो लोगों को एक सीमित दायरे में बांध कर रख रहा है । दोस्ती खुले आकाश की तरह होती है। जिसमें जितने ज्यादा लोग रहते हैं।उतना ही ऊंचा उड़ने की ललक होती हैं।क्योंकि बहुत से दोस्तों का साथ हौसला बढ़ाता है। अलग अलग व्यवहार परिवार और संस्कार के लोग एक दूसरे को कुछ नया ही सिखातें है। इसलिए इसे दायरे में बंधना कत्तई उचित नहीं।
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