ये तो हद ही जो गई
ये तो हद ही हो गई : ~~~~~~~~~~~~~~
दुनिया के बड़े बड़े शहरों में एक अजीब सा चलन सामने आया है। मोबाइल मेट नाम का एक संगी रखने का चलन। अक्सर लोग सड़क पर,मॉल में,मेट्रो- ट्रैन वगैरह में मोबाइल चलाते हुए चलते रहते हैं। बिना ऊपर नीचे देखे। इसके चलते कभी कभी एक्सीडेंट भी हो जाते हैं। लोगों का आपस में टकराना, चोट लग जाना, नियमों का उल्लघंन आदि बहुत कुछ हो जाता है। क्योंकि गंतव्य पर ध्यान नहीं है।
इसका तोड़ गलत ढूंढा जा रहा है। कहाँ तो चलते हुए, गाड़ी चलाते हुए मोबाईल के प्रयोग पर रोक लगनी चाहिए। तो रास्ता बनाया गया mobila mate का...अर्थात एक ऐसा बंदा hire करना होगा। जो आपका हाथ पकड़ कर चलेगा। सड़क पर या सार्वजनिक स्थान पर हो रही गतिविधि का वो ध्यान रखेगा। आप चाहे व्यस्त रहें लैपटॉप चलाएं, मोबाइल चलाये या कुछ पढ़ रहे हों। वह बंदा आपका हाथ कंधे से पकड़ कर रखेगा। और आपको सही रास्ते पर लेकर चलेगा।
दुनिया advance हो रही। पर ये advancements अच्छा नहीं। अपना ध्यान खुद ना रखकर किसी दूसरे पर dependent रहना। कल को खिलाने के लिए, नहलाने के लिए, सुलाने के लिए भी बंदा hire किया जाएगा क्या....क्या व्यस्तता इतनी जरूरी हो गई कि अपना ध्यान रखना भी एक काम लगने लगा..?? सच में दुनिया बदल रही है और ये बदलाव हम जैसी पीढ़ी को बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा...नई पीढ़ी ने तो अब जिंदगी को इस नज़रिये से देखना शुरू कर दिया कि जो है सिर्फ आज है। कल की कल देखेंगे। आज के निर्णयों के कल क्या impact पड़ने वाला है उन्हें कोई फ़िकर नहीं...!!
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