कठपुतली, एक कला
कठपुतली, एक कला : ••••••••••••••••••••••
मैं कठपुतली हूँ नाचती तेरे इशारे पर हूँ
मटक मटक कर सबको ख़ुश करती हूँ
उंगली पर बंधे हुए धागे के सहारे पर हूँ
साज सज्जा, चमक दमक से इठलाती
रंग बिरंगे पोशाकों से भरपूर नज़ारे पर हूँ
राजस्थान की इक गौरवशाली कला हूँ मैं
आधुनिक दिखावेबाजी भरे चोंचलों से परे
आंचलिक अनूभूति लिए भारी सारे पर हूँ
बस बदलती दुनिया के भागते कदमों से
लुप्त होती हुई संस्कृति के किनारे पर हूँ
★ जया सिंह
◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆
Comments
Post a Comment