पारिवारिक मानसिक बोझ से दबी महिलाएं
पारिवारिक मानसिक बोझ से दबी महिलाएं:
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विकास और व्यस्तता के चलन ने महिलाओं को परिवार में ज्यादा मानसिक बोझ उठाने के लिए बाध्य कर दिया है। पिता के मुकाबले माएँ ज्यादा मानसिक बोझ उठा रहीं। 10 में से 7 काम महिलाओं के ही भरोसे रहते हैं
पुरुषों के मुकाबले महिलाएं परिवार में व्यवस्था बनाये रखने और आयोजनों को समुचित करने के लिए निरंतर प्रयासशील रहती हैं। मेलबोर्न की यूनिवर्सिटी में एक अध्ययन से ये पता चला है कि बर्थडे पार्टी हो, डॉ से अपॉइंटमेंट हो,बिल्स चुकाने हो, बैंक का काम हो आदि बहुत से मानसिक बोझ वाले काम अब पूर्णतः स्त्रियों के भरोसे है।
मानसिक दबाव वाले तकरीबन 71% काम जैसे खाने में क्या बनेगा, उसका शेडयूल बनाना, वित्तीय प्लानिंग, घर की रिपेयरिंग, अतिथियों का सत्कार, बच्चों की जरूरतें, उनके पढ़ाई और स्कूल से संबंधित कार्य आदि सभी महिलाओं के ही जिम्मे रहतें हैं। इस तरह निरंतर काम के लिए सोचते रहना महिलाओं पर अदृश्य श्रम का मानसिक दबाव बना रहा है। इसे कम करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण प्रयास किये जा सकते हैं......
★ बच्चों में भी काम बांटा जाए -अगर बच्चे थोड़े बड़े हैं और जिम्मरियाँ सम्भाल सकते हैं तो उन्हें भी घर की कुछ सामान्य सी जिम्मेदारियों का हिस्सा बनाया जाना चाहिए। इससे वह भी परिपक्व होएंगे।
★ हफ़्तावर प्लानिंग - घर की व्यवस्था बनाने के लिए कैलेंडर या किसी एप के जरिये सबको मिलकर पूरे हफ्ते की एक प्लानिंग बना लेनी चाहिए। जिससे हर वक्त नए सिरे से सोचने से बचा जा सकता है।
★ परफेक्शन की उम्मीद ना रखें - अगर महिलाएं ये सब संभाल रही तो हर कार्य में उनसे परफेक्शन की उम्मीद ना रखी जाए। क्योंकि काम सदैव एक से नहीं होते।
★ रूटीन से थोड़ा अलग करें - एक जैसा काम रोज रोज करते करते महिलाएं भी बोर हो जाती हैं।तो उन्हें भी रूटीन से अलग हट कर कुछ अन्य करने का समय और प्रोत्साहन दिया जाए।
★ भावनाएं साझा करने के लिए प्रेरित करें - घर का माहौल ऐसा बनाया जाना चाहिए जिससे महिलाएं अपनी मानसिक परेशानी को सदस्यों से साझा कर सकें। इससे उनका मन हल्का होयेगा और वो उत्साह से अगला टास्क संभाल पाएंगी।
★ बदलाव के लिए घर को तैयार रखें - यदि कोई तरीका या काम ज्यादा stress दे रहा हो तो उसे छोड़ने या बदलने के लिए सभी घर के लोग राजी होने चाहिए। रुख लचीला होना चाहिए। जिससे रूटीन व जिम्मरियाँ बदलने की गुंजाइश सदैव बनी रहे।
★ सराहना मिलती रहे - स्त्रियां बहुत मेहनत से अपना घर संभालती है तो उनके प्रयास की सराहना तो बनती हैं। ये उनकी ड्यूटी है और वह रोज ही तो ये सब कर रही ये सोच कर उनको अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए।
अब महिलाएं सिर्फ घर तक ही सीमित नहीं रही हैं इसलिए घर परिवार की जिम्मेदारियों को बांट कर चलना हर सदस्य का कर्तव्य बन जाता है। यही ख़ुश रहने और रखने का मूलमंत्र है।
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