थोड़ा थोड़ा सब कुछ बदल गया
एक छोटी बच्ची जो मां पिता की छांव तले पढ़कर, पलकर बड़ी होती है। उसे अपना घर और परिवार वैसा नहीं मिलता जैसा कि वह घर से निकलने पर छोड़ कर गयी थी। कुछ परिस्थितियाँ, कुछ सबके व्यवहार, थोड़ा सा अपना बड़प्पन सब कुछ बदला बदला नज़र आता है। थोड़े से साल गुजरने से सब कुछ कितना बदल जाता है। ये वो समझने की कोशिश करती है .....!!
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