गलतियाँ भी अच्छी होती हैं

 गलतियाँ भी अच्छी होती हैं :     *********************

निरंतर एक ही लीक पर चलने वाला उस राह या कार्य का अभ्यस्त हो जाता है और फिर गलतियों की गुंजाइश भी खत्म हो जाती है। पर जब कोई उस अभ्यास से परे कुछ नया करने की कोशिश करेगा वही निश्चय ही गलतियां करेगा। जरूरी नहीं कि पहली बार किया कार्य पूरी तरह सफल ही होए। 

ज्ञान से अधिक महत्वपूर्ण कल्पना होती है। क्योंकि ज्ञान का क्षेत्र सीमित होता है जबकि कल्पना ब्रमांड से परे भी जा सकती है। बुद्धिमत्ता ये है कि पहले परिकल्पना की जाए और उसे सत्य करने के लिए प्रयास किया जाए। अगर उस प्रयास में गलतियां होती भी हैं तो कोई ना कोई नया अनुभव तो होगा ही। और यही अनुभव आगे चलकर हमें perfect बनाते हैं।

जीवन को समझने के लिये एक ही बात के दोनों पहलुओं को मानना होगा। कि कुछ भी चमत्कार नहीं...लेकिन ये भी सत्य है कि सब कुछ चमत्कार जैसा ही है। इसे ही समझने के लिए जो efforts किये जाते हैं उनमें जब तक perfecetion नहीं आता। गलतियां होंगी। लेकिन वह गलतियां कुछ सिखाएंगी ही....क्योंकि एक चतुर व्यक्ति समस्या से उत्पन्न स्थिति के समाधान की सोचता है और एक बुद्धिमान व्यक्ति समस्या से बचने की कोशिश करता है। तो जब हम समस्या का सामना कर रहे तो उसे सुलझाने के तरीके सीख रहे। गलतियां यहाँ भी मुमकिन है पर भविष्य में हम पुनः इस समस्या से घबराएंगे नहीं.... 

जगत में दो ही चीजें अनंत है एक तो ब्रमांड दूसरा मानव की नासमझी। यही नासमझी जब प्रयास छोड़ देती है तब उसकी पराकाष्ठा का आंकलन बेबुनियाद हो जाता है। और तब गलतियों की भी गुंजाइश नहीं रहती। कुछ होगा तभी तो गलत या सही परिणाम आएंगे ...

इसलिए गलतियां करिए। क्योंकि गलतियां सीखने की राह में मील के पत्थर की तरह हमें अगली बार सही करने के लिए प्रेरित करती हैं।

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