लंच से पहले तीन महत्वपूर्ण कार्य
लंच से पहले तीन महत्वपूर्ण कार्य ••••••••••••••••••••••••••••••
हमें पूरे चौबीस घण्टे मिलते हैं। जिसमें सुबह 5-6 बजे से दिन की शुरुआत होती है और रात 9-10 बजे हम सोने की तैयारी करने लगते हैं। अर्थात पूरी रात हम सोते हैं और दिन में जागते हुए अपने नियमित क्रियाकलाप करते हैं। यही जीवन का नियम बनाया गया है। जिसे मानव अपनी सुविधानुसार थोड़ा आगे पीछे कर लेता है। पर प्रकृति भी इस नियम को कटिबद्ध होकर मानती है। सूर्योदय होते ही पेड़ पौधे पशु पंछी आकाश सब जागने लगते हैं और सूर्यास्त के बाद अंधेरा होने पर सब विश्राम की ओर बढ़ते है। रात्रि को सोने का नियम शरीर और मन को आराम देने के लिए बनाया गया है। अगले दिन फिर से तरोताजा होकर नए challenges का सामना किया जा सके।
पर क्या कभी कार्यपूर्ति के लिए दिन के बारह घंटो को दो हिस्सों में बांट कर उसकी ऊर्जा का माप जांचा है ? ? सुबह जब हम सो कर उठते हैं तब हमारा मन मस्तिष्क बहुत तरोताजा महसूस करता है। क्योंकि पिछले दिन की तमाम थकन परेशानियां, चिंता,तनाव हम सो कर पीछे छोड़ आते हैं। उनका बोझ मन पर कुछ हल्का हो जाता है।
हारवर्ड बिज़नेस रिव्यू का ये आंकलन है कि किसी के लिए भी दिन का शुरुआती समय काफी उत्पादक होता है। क्योंकि मन और विचार से कोई भी इंसान ज्यादा ऊर्जावान होता है। इसलिए ये करना चाहिए कि दिन को दो भागों में बांटों और कम से कम तीन महत्वपूर्ण कार्य जो कि निपटाए जाने आवश्यक हैं। उन्हें दिन के प्रथम भाग में पूर्ण करें। जिससे उनके सफलतापूर्वक होने की संभावनाएं ज्यादा होए। ये अनुशासन से जुड़ा एक प्रयास है। क्योंकि अगर जीवन में खुशी चाहते हैं तो कार्य,समय और जिंदगी के बीच तारतम्य बनाकर चलना होगा।
ज्यादातर लोग दिन के प्रथम भाग को चाय कॉफी पीने में सोशल मीडिया देखने में गंवा देते हैं। और दिन के दूसरे भाग तक उनका मन और मस्तिष्क कई तरह की बातों और उलझनों में फंस कर मूल प्रवृति से हट चुका होता है। तो कार्य पूर्ति की संभावना लगभग असंभव हो जाती है।
लंच से पहले अपने किन्हीं तीन महत्वपूर्ण कार्य पूर्ण करने का अनुशासन जिंदगी में बहुत लाभ दिलाएगा। और उसे करने की संतुष्टि लंच टाइम में भोजन को और रुचिकर और संतोषजनक बनाएगी। कुछ pre planned works होते हैं। कुछ आकस्मिक आते है। तो जो pre planned है उन्हें तो पूर्ण करने का रात को सोते समय ही संकल्प लिया जा सकता है।
नया साल आ रहा । चलिए कुछ अच्छे से दो चार नियमों से जिंदगी को बांधते हैं एक आदत बनाने की कोशिश करते हैं। क्या पता वह कोशिश आदत में बदल जाए और उससे जिंदगी बेहतर बन जाये।
★◆★◆★◆★◆★◆★◆★◆★◆★
Comments
Post a Comment