खुद के सामर्थ्य पर भरोसा छोड़ ईश्वर से गुहार

 खुद के सामर्थ्य पर भरोसा छोड़ ईश्वर से गुहार :                         ***********************


धर्म और आस्था यकीनन मानव में विश्वास और धैर्य को जन्म देता है। पर सामाजिक ताने बाने के पुनरुद्धार के लिए धर्म से ही उम्मीद नहीं लगाई जा सकती। भगवान जी से हर स्थिति को संभालने बदलने की उम्मीद क्यों...क्या उसके लिए स्वयं का कोई प्रयास नहीं होना चाहिए। 
खाना सामने रखा है तो मुहं तक पहुंचाने के लिए हाथ तो हिलाना पड़ेगा। वह तो भगवान जी उड़ा कर मुख में डालेंगे नहीं....

उपरोक्त चित्र में ये समाचार पढ़ कर श्रद्धा और विश्वास का अनुपयुक्त उपयोग समझ आया। समाज में बेटियों के साथ गलत हो रहा, उनके साथ दुष्कर्म और जबर्दस्ती की जा रही, विवाहितों को दहेज के लिए परेशान किया जा रहा....अब इसमें सामाजिक स्थितियों का दोष है। कोई भी देवी या ईश्वरीय शक्ति ये कत्तई नहीं चाहेगी की किसी पर भी अत्याचार होए। तो उस सामाजिक ताने बाने को सुधारने की जिम्मेदारी किसकी है हमारी या देवी मां की...मतलब गलती तुम खुद करो और माफ़ी तुम्हारी तरफ से देवी माँ मांगे... क्या औलादों की परवरिश ऐसे नहीं कि जानी चाहिए कि वह एक दूसरे को आदर दें। स्त्री पुरुष में आपसी रिश्ता सम्मान का हो। हर एक बेटा दूसरी स्त्री को उसी नज़र से देखे जिस नज़र से वह अपने घर की स्त्रियों को देखता है। 

ये तो सार्वभौमिक सत्य है ना कि ईश्वर ने सबको सबके कर्मों के लेखे जोखे के साथ दुनिया में भेज दिया है। अब उसे सुधारना या बिगाड़ना हमारे खुद के हाथ में है। कर्म और भाग्य दोनों समानांतर चलते हैं।ईश्वर ने जिस भाग्य को लिख कर हमें जीने के लिए भेजा है वह कर्मों की गति से सुधारा भी जा सकता है। 

समाज में औरतों और बेटियों के साथ हो रहे अत्याचार को खत्म करने में ईश्वर से गुहार लगाने के बजाए हमारे प्रयासों का ज्यादा हाथ है। कुछ बेहतर परवरिश , कुछ सटीक कानून, कुछ ईमानदार पुलिस, कुछ सार्थक प्रयास, कुछ पारिवारिक नियंत्रण , कुछ सामाजिक परिवेश, कुछ बेहतर सोच के साथ इस समस्या से निपटा जा सकता है। देवी दर्शन करना है तो ज़रूर जाइये। पर ऐसी मांगों के साथ 50-100 लोग अपना बहुत सा जरूरी काम छोड़ कर देवी माँ के दरबार में धोक लगाएं । ये तो शायद देवी मां को भी नहीं सुहायेगा। कौन सी मां को अपने बच्चों को उनके सामर्थ्य पर विश्वास ना करने की बात अच्छी लगेगी ? ? देवी मां भी तो यही चाहती होगी कि उसके सभी बच्चे एक ऐसा माहौल बना कर रहें जहां स्नेह, अपनापन , बराबरी , सुरक्षा और सुकून बसता हो। तो ये सब खुद बनाइये। उसने आपको बना कर धरती पर भेज दिया ये काफी है ........!!

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